मैं स्टॉक मार्केट के उतार-चढ़ाव के साथ मनुष्यों पर उन के लोभ और धन के भय के प्रभाव देखकर विचार करता हूँ कि धन संचय उनके लिए कितना महत्वपूर्ण हो गया है। सन १९८० में बनी एक फिल्म के एक पात्र की धारणा थी: "लोभ भला है, सही है और सफल बनाता है। लोभ ही अमेरिका को बचाएगा" - आज की अमेरिका की आर्थिक और नैतिक स्थिति इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि यह विचार कितना मूर्खतापूर्ण था और है।
परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रभु यीशु से एक व्यक्ति का वार्तालाप मुझे स्मरण आता है। उस व्यक्ति ने प्रभु यीशु के पास आकर निवेदन किया कि प्रभु उसके भाई से बात करके संपत्ति के बंटवारे में उन की सहयाता करे। प्रभु यीशु ने उसका यह निवेदन ठुकरा दिया परन्तु उस व्यक्ति के साथ एक बड़ी भलाई करी; उसे उसके निवेदन के पीछे छुपे उद्देश्य और उसके नतीजों से अवगत करा दिया: "और उस ने उन से कहा, चौकस रहो, और हर प्रकार के लोभ से अपने आप को बचाए रखो: क्योंकि किसी का जीवन उस की संपत्ति की बहुतायत से नहीं होता" (लूका १२:१५)।
इसके साथ ही प्रभु ने एक नीतिकथा के द्वारा सही निवेष के बारे में भी सिखाया; प्रभु ने बताया कि कैसे एक मनुष्य के पास बहुत उपज हुई और वह अपनी संपत्ति की वृद्धि और उससे मौज-मस्ती की योजनाएं बनाने लगा। तब परमेश्वर ने उस से कहा: "हे मूर्ख, इसी रात तेरा प्राण तुझ से ले लिया जाएगा: तब जो कुछ तू ने इकट्ठा किया है, वह किस का होगा? ऐसा ही वह मनुष्य भी है जो अपने लिए धन बटोरता है, परन्तु परमेश्वर की दृष्टि में धनी नहीं" (लूका १२:२०-२१)।
लोभ के साथ समस्या यह है कि अन्ततः जमा किया हुआ धन बना नहीं रहता; किंतु और भी बुरी बात यह है कि लोभ करने वाला मनुष्य भी बना नहीं रहता। बेहतर है कि हम परमेश्वर के पास स्वर्ग में अपना धन संजोएं, आत्मिक बातों में निवेष करें, परमेश्वर की दृष्टि में धनवान बनें; जिससे हमारा धन अनन्त काल तक हमारे लिए हमारे साथ रहे और हमें लाभ देता रहे। - डेविड रोपर
हमारा असली धन वह है जो हमने अनन्तता के लिए निवेष किया है।
क्योंकि जहां तुम्हारा धन है, वहां तुम्हारा मन भी लगा रहेगा। - लूका १२:३४
बाइबल पाठ: लूका १२:१३-३१
Luk 12:13 फिर भीड़ में से एक ने उस से कहा, हे गुरू, मेरे भाई से कह, कि पिता की संपत्ति मुझे बांट दे।
Luk 12:14 उस ने उस से कहा; हे मनुष्य, किस ने मुझे तुम्हारा न्यायी या बांटने वाला नियुक्त किया है?
Luk 12:15 और उस ने उन से कहा, चौकस रहो, और हर प्रकार के लोभ से अपने आप को बचाए रखो: क्योंकि किसी का जीवन उस की संपत्ति की बहुतायत से नहीं होता।
Luk 12:16 उस ने उन से एक दृष्टान्त कहा, कि किसी धनवान की भूमि में बड़ी उपज हुई।
Luk 12:17 तब वह अपने मन में विचार करने लगा, कि मैं क्या करूं, क्योंकि मेरे यहां जगह नहीं, जहां अपनी उपज इत्यादि रखूं।
Luk 12:18 और उस ने कहा, मैं यह करूंगा: मैं अपनी बखारियां तोड़ कर उन से बड़ी बनाऊंगा;
Luk 12:19 और वहां अपना सब अन्न और संपत्ति रखूंगा: और अपने प्राण से कहूंगा, कि प्राण, तेरे पास बहुत वर्षों के लिये बहुत संपत्ति रखी है; चैन कर, खा, पी, सुख से रह।
Luk 12:20 परन्तु परमेश्वर ने उस से कहा; हे मूर्ख, इसी रात तेरा प्राण तुझ से ले लिया जाएगा: तब जो कुछ तू ने इकट्ठा किया है, वह किस का होगा?
Luk 12:21 ऐसा ही वह मनुष्य भी है जो अपने लिये धन बटोरता है, परन्तु परमेश्वर की दृष्टि में धनी नहीं।
Luk 12:22 फिर उस ने अपने चेलों से कहा; इसलिये मैं तुम से कहता हूं, अपने प्राण की चिन्ता न करो, कि हम क्या खाएंगे? न अपने शरीर की कि क्या पहिनेंगे?
Luk 12:23 क्योंकि भोजन से प्राण, और वस्त्र से शरीर बढ़कर है।
Luk 12:24 कौवों पर ध्यान दो; वे न बोते हैं, न काटते; न उन के भण्डार और न खत्ता होता है; तौभी परमेश्वर उन्हें पालता है; तुम्हारा मूल्य पक्षियों से कहीं अधिक है।
Luk 12:25 तुम में से ऐसा कौन है, जो चिन्ता करने से अपनी अवस्था में ऐक घड़ी भी बढ़ा सकता है?
Luk 12:26 इसलिये यदि तुम सब से छोटा काम भी नहीं कर सकते, तो और बातों के लिये क्यों चिन्ता करते हो?
Luk 12:27 सोसनों के पौधों पर ध्यान करो कि वे कैसे बढ़ते हैं; वे न परिश्रम करते, न कातते हैं: तौभी मैं तुम से कहता हूं, कि सुलैमान भी, अपने सारे वैभव में, उन में से किसी एक के समान वस्त्र पहिने हुए न था।
Luk 12:28 इसलिये यदि परमेश्वर मैदान की घास को जो आज है, और कल भाड़ में झोंकी जाएगी, ऐसा पहिनाता है, तो हे अल्प विश्वासियों, वह तुम्हें क्यों न पहिनाएगा?
Luk 12:29 और तुम इस बात की खोज में न रहो, कि क्या खाएंगे और क्या पीएंगे, और न सन्देह करो।
Luk 12:30 क्योंकि संसार की जातियां इन सब वस्तुओं की खोज में रहती हैं: और तुम्हारा पिता जानता है, कि तुम्हें इन वस्तुओं की आवश्यकता है।
Luk 12:31 परन्तु उसके राज्य की खोज में रहो, तो ये वस्तुऐं भी तुम्हें मिल जाएंगी।
एक साल में बाइबल:
- लैव्यवस्था ८-१०
- मत्ती २५:३१-४६