ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

बुधवार, 20 जनवरी 2021

लक्ष्य

 

          हम अपने जीवन की दिशा कैसे निर्धारित कर सकते हैं? एक बार मैंने इस प्रश्न का उत्तर एक अप्रत्याशित स्थान पर सुना – एक मोटर साइकिल सीखने के स्थान पर। मैं और मेरे कुछ मित्र मोटर साइकिल चलाना चाहते थे, इसलिए हम उसे चलाना सीखने के लिए गए। हमारे प्रशिक्षण का एक भाग था लक्ष्य निर्धारण करना। हमारे प्रशिक्षक ने हम से कहा, “कभी न कभी आपको कोई अनपेक्षित बाधा का सामना करना पड़ेगा। यदि आप उस बाधा ही को देखते रहोगे, तो वही लक्ष्य बन जाएगा, और आप उस से जा टकराओगे। परन्तु यदि आप उस बाधा के इधर-उधर और उसके पार देखोगे तो लक्ष्य भी उस बाधा से हट कर हो जाएगा और सामान्यतः आप उस बाधा से बचने पाओगे। आप जहाँ देखते हैं, वहीं पहुँचते भी हैं।”

          यही सरल और साधारण सिद्धांत हमारे आत्मिक जीवनों पर भी लागू होता है। जब हम अपनी समस्याओं और संघर्षों पर ही अपने ध्यान को केन्द्रित रखते हैं, तो वे ही हमारा लक्ष्य बने रहते हैं, और स्वतः ही हम अपने जीवनों को उन्हीं के चारों ओर चलाते रहते हैं।

          किन्तु परमेश्वर के वचन बाइबल में हमें प्रोत्साहित किया गया है कि हम अपनी समस्याओं के पार, उसकी ओर देखें जो उनके समाधान दे सकता है, हमारी सहायता कर सकता है। हम भजन 121:1 में पढ़ते हैं, मैं अपनी आंखें पर्वतों की ओर लगाऊंगा। मुझे सहायता कहां से मिलेगी?” फिर भजनकार स्वयं ही उत्तर देता है “मुझे सहायता यहोवा की ओर से मिलती है, जो आकाश और पृथ्वी का कर्ता है।... यहोवा तेरे आने जाने में तेरी रक्षा अब से ले कर सदा तक करता रहेगा” (पद 2, 8)।

          हो सकता है कि हमें अपनी बाधाएँ इतनी बड़ी लगें कि हमें लगने लगे कि हम उन्हें पार नहीं कर सकते हैं। परन्तु परमेश्वर हमें आमंत्रित करता है कि हम अपनी उन बाधाओं के पार उसकी ओर देखें, उसी पर अपनी दृष्टि लगाए रहें। उन बाधाओं को नहीं, परमेश्वर को अपना लक्ष्य बनाएँ, और वह हमें बाधाओं के पार निकाल ले जाएगा। - एडम होल्ज़

 

यहोवा जो आकाश और पृथ्वी का कर्ता है, हमारी सहायता उसी के नाम से होती है। (भजन 124:8)


तब उसने मुझे उत्तर देकर कहा, जरूब्बाबेल के लिये यहोवा का यह वचन है : न तो बल से, और न शक्ति से, परन्तु मेरे आत्मा के द्वारा होगा, मुझ सेनाओं के यहोवा का यही वचन है। - ज़कर्याह 4:6

बाइबल पाठ: भजन 121

भजन 121:1 मैं अपनी आंखें पर्वतों की ओर लगाऊंगा। मुझे सहायता कहां से मिलेगी?

भजन 121:2 मुझे सहायता यहोवा की ओर से मिलती है, जो आकाश और पृथ्वी का कर्ता है।

भजन 121:3 वह तेरे पांव को टलने न देगा, तेरा रक्षक कभी न ऊंघेगा।

भजन 121:4 सुन, इस्राएल का रक्षक, न ऊंघेगा और न सोएगा।

भजन 121:5 यहोवा तेरा रक्षक है; यहोवा तेरी दाहिनी ओर तेरी आड़ है।

भजन 121:6 न तो दिन को धूप से, और न रात को चांदनी से तेरी कुछ हानि होगी।

भजन 121:7 यहोवा सारी विपत्ति से तेरी रक्षा करेगा; वह तेरे प्राण की रक्षा करेगा।

भजन 121:8 यहोवा तेरे आने जाने में तेरी रक्षा अब से ले कर सदा तक करता रहेगा।

 

एक साल में बाइबल: 

  • उत्पत्ति 49-50
  • मत्ती 13:31-58