मेरे घर के निकट स्थित एक कॉफ़ीहाउस
का नाम ‘फिका’ है। फिका
एक स्वीडिश शब्द है जिसका अर्थ होता है कुछ अवसर निकालकर परिवार, या मित्रों, या सह-कर्मियों के साथ कॉफ़ी और पेस्ट्री
लेना। मैं स्वीडन से नहीं हूँ, किन्तु फिका का अर्थ उस भाव
का वर्णन करता है जो मुझे प्रभु यीशु के बारे में बहुत पसंद है – उनका व्यस्तता
में से अवसर निकाल कर औरों के साथ भोजन करने में समय बिताना।
विद्वानों का मानना है कि
प्रभु यीशु के भोजन समय अनियमित नहीं होते थे, वरन इस्राएली पर्वों और समारोहों में,
भोजन की मेज़ पर प्रभु यीशु अपने साथियों के साथ आनन्द और उत्सव मनाते थे, भोजन के
दौरान उन्हें आत्मिक बातें सिखाते थे। उनके द्वारा 5,000 की भीड़ को भोजन कराने से
लेकर, उनके पुनरुत्थान के बाद अपने दो शिष्यों के साथ भोजन करने
(लूका 24:30), सभी के द्वारा प्रभु यीशु हमें आमंत्रित करता है कि हम भी अपने जीवन
के संघर्षों से विश्राम लेकर, उसके साथ समय बिताएँ, उन से
सीखें, उनकी निकटता में बढ़ें। जब तक वे दोनों शिष्य प्रभु के
साथ भोजन करने नहीं बैठे, वे प्रभु को पहचानने भी नहीं पाए, “जब वह उन के साथ भोजन करने बैठा, तो उसने रोटी ले कर धन्यवाद किया, और उसे तोड़कर उन को देने लगा। तब उन की आंखे
खुल गईं; और उन्होंने उसे
पहचान लिया” (पद 30, 31)।
अभी हाल ही में अपने एक मित्र
के साथ फिका में बैठकर कॉफ़ी और पेस्ट्री का आनन्द लेते हुए, हमारी बातचीत प्रभु यीशु की ओर मुड़ गई। वही तो जीवन की रोटी
है; हम अधिक से अधिक समय
उसके साथ उसकी मेज़ पर बिताएँ और उसके साथ आत्मिक भोजन करें। - पेट्रीशिया रेबौन
निरंतर जीवन की रोटी का भोजन करने के लिए समय निकालते रहें।
यीशु ने उन से कहा, जीवन की
रोटी मैं हूं: जो मेरे पास आएगा वह कभी भूखा न होगा और जो मुझ पर विश्वास करेगा,
वह कभी प्यासा न होगा। - यूहन्ना 6:35
बाइबल पाठ: लूका 24:28-35
लूका 24:28 इतने में वे उस गांव के पास पहुंचे, जहां वे जा रहे थे, और उसके ढंग से ऐसा जान पड़ा, कि वह आगे बढ़ना चाहता है।
लूका 24:29 परन्तु उन्होंने यह कहकर उसे रोका, कि हमारे साथ रह; क्योंकि संध्या हो चली है और दिन अब बहुत ढल गया है।
तब वह उन के साथ रहने के लिये भीतर गया।
लूका 24:30 जब वह उन के साथ भोजन करने बैठा, तो उसने रोटी ले कर धन्यवाद किया, और उसे तोड़कर उन को देने लगा।
लूका 24:31 तब उन की आँखें खुल गईं; और उन्होंने उसे पहचान लिया, और वह उन की आंखों से छिप गया।
लूका 24:32 उन्होंने आपस में कहा; जब वह मार्ग में हम से बातें करता था, और पवित्र शास्त्र का अर्थ हमें समझाता था, तो क्या हमारे मन में उत्तेजना न उत्पन्न हुई?
लूका 24:33 वे उसी घड़ी उठ कर यरूशलेम को लौट गए, और उन ग्यारहों और उन के साथियों को इकट्ठे पाया।
लूका 24:34 वे कहते थे, प्रभु
सचमुच जी उठा है, और शमौन को दिखाई
दिया है।
लूका 24:35 तब उन्होंने मार्ग की बातें उन्हें बता दीं और यह भी कि उन्होंने उसे
रोटी तोड़ते समय क्योंकर पहचाना।
एक साल में बाइबल:
- गिनती 12-14
- मरकुस 5:21-43