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रविवार, 2 अक्तूबर 2016

तूफान


   एक भयानक तूफान के आने के लक्षण साफ दिख रहे थे - केवल क्षितिज़ पर ही नहीं, वरन मेरे एक मित्र के घर में भी। उस मित्र ने बताया कि जब वह हाँग-काँग में थी तो स्थानीय मौसम विभाग ने चेतावनी ज़ारी करी कि एक तीव्र तूफान आने को है। लेकिन घर की खिड़की के बाहर दस्तक दे रहे उस तूफान से भी बड़ा तूफान घर के अन्दर आने की तैयारियाँ कर रहा था। उस मित्र के पिता बीमार थे, अस्पताल में भरती थे, और उनकी देखभाल में लगे परिवार के लोग अपनी पारिवारिक तथा कार्य संबंधी ज़िम्मेदारियों को निभाने और उन ज़िम्मेदारियों में परस्पर संतुलन बनाए रखने तथा घर एवं अस्पताल के बीच आने-जाने की कशमकश में लगे हुए थे। सब थक रहे थे, सबका धैर्य कमज़ोर पड़ रहा था और घर के अन्दर की परिस्थिति तनावपूर्ण होती जा रही थी।

   जब बदकिस्मती, दुःख और तनाव के थपेड़े हमें इधर से उधर पटकते हैं, तब जीवन एक तूफान के समान प्रतीत हो सकता है। ऐसे में हम किस ओर मुड़ें? परमेश्वर का वचन बाइबल हमें बताती है कि जब प्रभु यीशु के चेले नाव द्वारा झील पार करते समय एक तूफान में फंस गए, और नाव भयानक रीति से हिचकोले लेने लगी, और उन्हें लगा कि वे अब डूबने पर हैं, तब उनके मन में उनके साथ यात्रा कर रहे प्रभु यीशु को लेकर विचार आया कि क्या प्रभु को उनकी कोई चिन्ता नहीं है? अर्थात, उस विकट परिस्थिति में भी चेले जानते थे कि उन्हें किसकी ओर मुड़ना है; उनकी सहायता कौन कर सकता है। और प्रभु यीशु ने उस तूफान को शांत करके अपनी सामर्थ उन पर प्रकट करी (मरकुस 4:38-39)।

   लेकिन कई बार प्रभु तुरंत ही तूफान को शांत नहीं करता है, जिससे उस समय उन चेलों के समान, आज हम भी यही सोचने लगते हैं कि क्या प्रभु को हमारी चिंता है भी? अपने भय को शांत करने के लिए हमें अपने उस विश्वास को थामे रहना है कि परमेश्वर कौन है और क्या कुछ कर सकता है। हम उसमें शरण ले सकते हैं: "जो परमप्रधान के छाए हुए स्थान में बैठा रहे, वह सर्वशक्तिमान की छाया में ठिकाना पाएगा" (भजन 91:1)। हम उसकी सहायता से, उसके अनुग्रह के द्वारा दूसरों को सांत्वना और शांति दे सकते हैं। हम सर्वशक्तिमान, सर्वज्ञानी, प्रेम करने वाले सबसे बुद्धिमान पिता परमेश्वर की शरण में आकर शांत होकर बैठ सकते हैं; क्योंकि वह जीवन के हर तूफान में हमारे साथ बना रहता है, और उस तूफान में से हमें सुरक्षित निकाल भी लाता है। - पोह फैंग चिया


किसी को ज़ोर से चिल्लाकर उसे पुकारने की आवश्यकता नहीं है; 
प्रभु हमारे सोचने से भी अधिक निकट है। - भाई लॉरेंस

चुप हो जाओ, और जान लो, कि मैं ही परमेश्वर हूं। मैं जातियों में महान हूं, मैं पृथ्वी भर में महान हूं! - भजन 46:10

बाइबल पाठ: मरकुस 4:35-41
Mark 4:35 उसी दिन जब सांझ हुई, तो उसने उन से कहा; आओ, हम पार चलें,। 
Mark 4:36 और वे भीड़ को छोड़कर जैसा वह था, वैसा ही उसे नाव पर साथ ले चले; और उसके साथ, और भी नावें थीं। 
Mark 4:37 तब बड़ी आन्‍धी आई, और लहरें नाव पर यहां तक लगीं, कि वह अब पानी से भरी जाती थी। 
Mark 4:38 और वह आप पिछले भाग में गद्दी पर सो रहा था; तब उन्होंने उसे जगाकर उस से कहा; हे गुरू, क्या तुझे चिन्‍ता नहीं, कि हम नाश हुए जाते हैं? 
Mark 4:39 तब उसने उठ कर आन्‍धी को डांटा, और पानी से कहा; “शान्‍त रह, थम जा”: और आन्‍धी थम गई और बड़ा चैन हो गया। 
Mark 4:40 और उन से कहा; तुम क्यों डरते हो? क्या तुम्हें अब तक विश्वास नहीं? 
Mark 4:41 और वे बहुत ही डर गए और आपस में बोले; यह कौन है, कि आन्‍धी और पानी भी उस की आज्ञा मानते हैं?

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 14-16
  • इफिसियों 5:1-16