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मंगलवार, 29 दिसंबर 2020

समझ

 

          जब अठारह वर्ष की आयु में मुझे सेना में भरती के लिए जाना पड़ा, जैसा कि सिंगापुर के प्रत्येक पुरुष को जाना होता है, तो मैंने बहुत आग्रह के साथ किसी सरल स्थान पर नियुक्ति के लिए बहुत प्रार्थनाएँ कीं – कि मैं कहीं क्लर्क, या ड्राइवर या ऐसा ही कुछ कार्य करने वाला नियुक्त किया जाऊँ। क्योंकि मैं शरीर से बहुत शक्तिशाली नहीं था, इसलिए मेरी अपेक्षा थी कि मुझे युद्ध प्रशिक्षण की कठिनाइयों से नहीं गुज़ारना पड़ेगा। लेकिन एक संध्या को जब मैं परमेश्वर के वचन बाइबल को पढ़ रहा था, तो एक पद ने मुझ से बात की; वह पद था, “और उसने मुझ से कहा, मेरा अनुग्रह तेरे लिये बहुत है...” (2 कुरिन्थियों 12:9)।

          मेरा दिल बैठ गया – परन्तु ऐसा होना नहीं चाहिए था। परमेश्वर ने मेरी प्रार्थना का उत्तर दिया था। चाहे मुझे कठिन नियुक्ति ही क्यों न मिले, वह मेरे लिए प्रावधान करेगा। और मुझे कठिन कार्य की युद्ध के लिए जाने वाले सैनिकों में नियुक्ति मिली, और मुझे वह सब करना पड़ा जो करना मुझे अच्छा नहीं लगता था। अब जब मैं पीछे मुड़कर देखता हूँ, तो मैं परमेश्वर का धन्यवादी हूँ कि उसने मुझे वह नहीं दिया जो मैंने चाहा था, परन्तु वह दिया जिसकी मुझे आवश्यकता थी। उस सैन्य प्रशिक्षण और अनुभव ने मुझे शारीरिक और मानसिक रीति से मजबूत करा, और मुझ में वयस्क जीवन की जिम्मेदारियों को निभाने के लिए भरोसा उत्पन्न किया।

          यशायाह 25:1-5 में, इस्राएल के शत्रुओं द्वारा उसे दण्ड देने और उसके बाद छुटकारे की भविष्यवाणी देने के बाद भविष्यद्वक्ता परमेश्वर की, उस की अद्भुत योजनाओं के लिए स्तुति करता है। यशायाह लिखता है कि इन सभी “आश्चर्यकर्म” की योजनाएँ “प्राचीन काल से” बनाई गई थीं (पद 1), किन्तु उनमें कुछ कठिन समय भी थे।

          परमेश्वर को ‘नहीं कहते सुनना कठिन हो सकता है, और इसे समझ पाना और भी कठिन, विशेषकर तब जब हम किसी भली बात के लिए – जैसे कि किसी के किसी संकट से बच निकलने, की प्रार्थना कर रहे हों। ऐसे में हमें परमेश्वर की भली योजना के सत्य को दृढ़ता से थामे रहने की आवश्यकता होती है। चाहे हमें समझ में न भी आए कि यह क्यों हुआ, परन्तु हम उसके प्रेम, भलाई, और विश्वासयोग्यता में भरोसा बनाए रख सकते हैं। - लेस्ली कोह

 

जब परमेश्वर ‘नहीं कहता है, तब उसकी कोई भली योजना है; उसपर भरोसा बनाए रखिए।


और उसने मुझ से कहा, मेरा अनुग्रह तेरे लिये बहुत है; क्योंकि मेरी सामर्थ्य निर्बलता में सिद्ध होती है; इसलिये मैं बड़े आनन्द से अपनी निर्बलताओं पर घमण्ड करूंगा, कि मसीह की सामर्थ्य मुझ पर छाया करती रहे। -  2 कुरिन्थियों 12:9

बाइबल पाठ: यशायाह 25:1-5

यशायाह 25:1 हे यहोवा, तू मेरा परमेश्वर है; मैं तुझे सराहूँगा, मैं तेरे नाम का धन्यवाद करूँगा; क्योंकि तू ने आश्चर्यकर्म किए हैं, तू ने प्राचीनकाल से पूरी सच्चाई के साथ युक्तियाँ की हैं।

यशायाह 25:2 तू ने नगर को ढेर बना डाला, और उस गढ़ वाले नगर को खण्डहर कर डाला है; तू ने परदेशियों की राजपुरी को ऐसा उजाड़ा कि वह नगर नहीं रहा; वह फिर कभी बसाया न जाएगा।

यशायाह 25:3 इस कारण बलवन्त राज्य के लोग तेरी महिमा करेंगे; भयंकर अन्यजातियों के नगरों में तेरा भय माना जाएगा।

यशायाह 25:4 क्योंकि तू संकट में दीनों के लिये गढ़, और जब भयानक लोगों का झोंका भीत पर बौछार के समान होता था, तब तू दरिद्रों के  लिये उनकी शरण, और तपन में छाया का स्थान हुआ।

यशायाह 25:5 जैसे निर्जल देश में बादल की छाया से तपन ठण्डी होती है वैसे ही तू परदेशियों का कोलाहल और क्रूर लोगों को जयजयकार बन्द करता है।

 

एक साल में बाइबल: 

  • ज़कर्याह 9-12
  • प्रकाशितवाक्य 20