ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

गुरुवार, 19 अगस्त 2010

दिल की बात

टी. वी. के एक व्यापरिक विज्ञापन में, विनोदात्मक रूप से दिखाया गया, कि जब भी सूसन मुहँ खोलती तो उसके मुहँ से सायरन की सी आवाज़ निकलती, क्योंकि सूसन के दांत खराब थे और वह अपने दन्त चिकित्सक के पास जाना टालती जा रही थी। उसे स्मरण दिलाने के लिये उसके दांतों से सायरन बजता था।

इस विज्ञापन ने मुझे सोच में डाल दिया कि जब मैं मुहँ खोलता हूँ तो मेरे मुहँ से क्या निकलता है? प्रभु यीशु ने कहा कि हमारे मुहँ के शब्द हमारे हृदय से आते हैं (मत्ती १५:१८)। यीशु ने कहा कि "जो मुंह में जाता है, वह मनुष्य को अशुद्ध नहीं करता, पर जो मुंह से निकलता है, वही मनुष्य को अशुद्ध करता है। तब चेलों ने आकर उस से कहा, क्‍या तू जानता है कि फरीसियों ने यह वचन सुनकर ठोकर खाई" (मत्ती १५:११, १२), और उसकी इस बात ने उसके समय के धर्मगुरुओं - फरीसियों को क्रुद्ध किया। फरीसी मानते थे कि वे परमेश्वर के साथ सही हैं क्योंकि वे धर्म संबंधी नियमों और रीति रिवाज़ों का कड़ाई से पालन करते थे। वे केवल "शुद्ध" भोजन वस्तुएं ही ग्रहण करते थे और भोजन से पहले शरीर की स्वच्छता का पालन करते थे। यीशु ने अपनी शिक्षाओं से उनके धर्म संबम्धी घमण्ड को झकझोरा, जो उन्हें अच्छा नहीं लगा।

प्रभु यीशु हमारे घमण्ड को भी झकझोरता है। हम सोचते हैं कि हम धर्मी हैं क्योंकि हम नियम से चर्च जाते हैं, प्रार्थना करते हैं, विधियों का पलन करते हैं आदि; लेकिन और क्या करते हैं - पीठ पीछे लोगों की बुराई, इससे-उससे किसी के बारे में उलटा सीधा बोलना? याकूब ने अपनी पत्री में लिखा "इसी [हमारी जीभ] से हम प्रभु और पिता की स्‍तुति करते हैं, और इसी से मनुष्यों को जो परमेश्वर के स्‍वरूप में उत्‍पन्न हुए हैं श्राप देते हैं। एक ही मुंह से धन्यवाद और श्राप दोनों निकलते हैं। हे मेरे भाइयों, ऐसा नहीं होना चाहिए।" (याकूब ३:९-११)

जब हम मुहँ खोलें और अनुचित बोलें तो हमें अपने दिल को जांचने और मन की मलिन्ता के लिये परमेश्वर से क्षमा माँगने की आवश्यक्ता है, और साथ ही परमेश्वर से यह भी माँगें कि उसकी सहायता से हम दूसरों के लिये आशीश का कारण हो सकें। - एने सेटास


आपका मुहँ आपके मन का दर्पण है।

पर जो कुछ मुंह से निकलता है, वह मन से निकलता है, और वही मनुष्य को अशुद्ध करता है। - मत्ती १५:१८


बाइबल पाठ: मत्ती १५:७-२०

हे कपटियों, यशायाह ने तुम्हारे विषय में यह भविष्यद्वाणी ठीक की।
कि ये लोग होठों से तो मेरा आदर करते हैं, पर उन का मन मुझ से दूर रहता है।
और ये व्यर्थ मेरी उपासना करते हैं, क्‍योंकि मनुष्य की विधियों को धर्मोपदेश करके सिखाते हैं।
और उस ने लोगों को अपने पास बुलाकर उन से कहा, सुनो और समझो।
जो मुंह में जाता है, वह मनुष्य को अशुद्ध नहीं करता, पर जो मुंह से निकलता है, वही मनुष्य को अशुद्ध करता है।
तब चेलों ने आकर उस से कहा, क्‍या तू जानता है कि फरीसियों ने यह वचन सुनकर ठोकर खाई
उस ने उत्तर दिया, हर पौधा जो मेरे स्‍वर्गीय पिता ने नहीं लगाया, उखाड़ा जाएगा।
उन को जाने दो; वे अन्‍धे मार्ग दिखाने वाले हैं: और अन्‍धा यदि अन्‍धे को मार्ग दिखाए, तो दोनों गड़हे में गिर पड़ेंगे।
यह सुनकर, पतरस ने उस से कहा, यह दृष्‍टान्‍त हमें समझा दे।
उस ने कहा, क्‍या तुम भी अब तक ना समझ हो?
क्‍या नहीं समझते, कि जो कुछ मुंह में जाता, वह पेट में पड़ता है, और सण्‍डास में निकल जाता है?
पर जो कुछ मुंह से निकलता है, वह मन से निकलता है, और वही मनुष्य को अशुद्ध करता है।
क्‍योंकि कुचिन्‍ता, हत्या, परस्त्रीगमन, व्यभिचार, चोरी, झूठी गवाही और निन्‍दा मन ही से निकलती हैं।
यही हैं जो मनुष्य को अशुद्ध करती हैं, परन्‍तु हाथ बिना धोए भोजन करना मनुष्य को अशुद्ध नहीं करता।

एक साल में बाइबल:
  • भजन१०३, १०४ १
  • कुरिन्थियों २