मैंने अपनी एक पुरानी सहेली को, उसकी माँ के देहान्त पर फोन किया। उसकी माँ और मेरी माँ भी बहुत अच्छी सहेलियाँ रहे थे, और अब दोनों ही इस संसार से जा चुके थे। परस्पर बातचीत करते हुए, हमारा वार्तालाप भावनाओं के चक्र में चला गया - देहान्त के कारण दुःख के आँसू और उनके प्रेम, देखभाल करने वाले स्वभाव और ज़िन्दादिली के उदाहरणों को स्मरण करके उनके साथ बिताए हुए पलों के लिए खुशी के आँसू।
हम में से अनेकों ने इन मिश्रित भावनाओं का अनुभव किया होगा - एक पल रोना और दूसरे पल हँसना। यह परमेश्वर द्वारा हमें प्रदान की गई बड़ी अद्भुत बात है कि हम दुःख और खुशी दोनों ही में आँसुओं के द्वारा अपने मन की भावना व्यक्त कर सकते हैं, अपना मन हलका कर सकते हैं।
परमेश्वर का वचन बाइबल हमें बताती है कि हमें परमेश्वर ने अपने स्वरूप में सृजा है (उत्पत्ति 1:26)। क्योंकि सारे संसार के सभी मनुष्य उसी एक परमेश्वर के द्वारा, उस ही के स्वरूप में सृजे गए हैं, और संसार भर में, सभी संसकृतियों में विनोद व्यवहार का एक अभिन्न अंग है, इसलिए मेरा विचार है कि प्रभु यीशु का भी विनोदप्रीय व्यवहार रहा होगा। परन्तु हम यह भी जानते हैं कि वह दुःख की पीड़ा से भी भली-भांति अवगत था। जब प्रभु के मित्र लाज़र का देहान्त हुआ और प्रभु ने लाज़र की बहन मरियम को रोते हुए देखा, तो "जब यीशु न उसको और उन यहूदियों को जो उसके साथ आए थे रोते हुए देखा, तो आत्मा में बहुत ही उदास हुआ, और घबरा कर कहा, तुम ने उसे कहां रखा है? यीशु के आंसू बहने लगे" (यूहन्ना 11:33, 35)।
अपनी भावनाओं को आँसुओं द्वारा व्यक्त करना परमेश्वर का एक दान है, और बाइबल हमें आश्वस्त करती है कि परमेश्वर हमारे प्रत्येक आँसू का हिसाब रखता है: "तू मेरे मारे मारे फिरने का हिसाब रखता है; तू मेरे आंसुओं को अपनी कुप्पी में रख ले! क्या उनकी चर्चा तेरी पुस्तक में नहीं है?" (भजन 56:8)। लेकिन साथ ही बाइबल हमें यह आश्वासन भी देती है कि हम मसीही विश्वासियों के लिए एक ऐसा समय भी आने वाला है, जब हर दुःख, हर पीड़ा का अन्त हो जाएगा, और आँसुओं का भी; परमेश्वर हमारे साथ निवास करेगा और स्वयं हमारे सभी आँसू पोंछ डालेगा। - सिंडी हैस कैस्पर
हमारा प्रेमी परमेश्वर पिता, जिसने हमारे सभी पापों को धो डाला है,
वही हमारे सभी आँसुओं को भी पोंछ देगा।
फिर मैं ने सिंहासन में से किसी को ऊंचे शब्द से यह कहते सुना, कि देख, परमेश्वर का डेरा मनुष्यों के बीच में है; वह उन के साथ डेरा करेगा, और वे उसके लोग होंगे, और परमेश्वर आप उन के साथ रहेगा; और उन का परमेश्वर होगा। और वह उन की आंखों से सब आंसू पोंछ डालेगा; और इस के बाद मृत्यु न रहेगी, और न शोक, न विलाप, न पीड़ा रहेगी; पहिली बातें जाती रहीं। - प्रकाशितवाक्य 21:3-4
बाइबल पाठ: यूहन्ना 11:32-44
John 11:32 जब मरियम वहां पहुंची जहां यीशु था, तो उसे देखते ही उसके पांवों पर गिर के कहा, हे प्रभु, यदि तू यहां होता तो मेरा भाई न मरता।
John 11:33 जब यीशु न उसको और उन यहूदियों को जो उसके साथ आए थे रोते हुए देखा, तो आत्मा में बहुत ही उदास हुआ, और घबरा कर कहा, तुम ने उसे कहां रखा है?
John 11:34 उन्होंने उस से कहा, हे प्रभु, चलकर देख ले।
John 11:35 यीशु के आंसू बहने लगे।
John 11:36 तब यहूदी कहने लगे, देखो, वह उस से कैसी प्रीति रखता था।
John 11:37 परन्तु उन में से कितनों ने कहा, क्या यह जिसने अन्धे की आंखें खोली, यह भी न कर सका कि यह मनुष्य न मरता
John 11:38 यीशु मन में फिर बहुत ही उदास हो कर कब्र पर आया, वह एक गुफा थी, और एक पत्थर उस पर धरा था।
John 11:39 यीशु ने कहा; पत्थर को उठाओ: उस मरे हुए की बहिन मारथा उस से कहने लगी, हे प्रभु, उस में से अब तो र्दुगंध आती है क्योंकि उसे मरे चार दिन हो गए।
John 11:40 यीशु ने उस से कहा, क्या मैं ने तुझ से न कहा था कि यदि तू विश्वास करेगी, तो परमेश्वर की महिमा को देखेगी।
John 11:41 तब उन्होंने उस पत्थर को हटाया, फिर यीशु ने आंखें उठा कर कहा, हे पिता, मैं तेरा धन्यवाद करता हूं कि तू ने मेरी सुन ली है।
John 11:42 और मैं जानता था, कि तू सदा मेरी सुनता है, परन्तु जो भीड़ आस पास खड़ी है, उन के कारण मैं ने यह कहा, जिस से कि वे विश्वास करें, कि तू ने मुझे भेजा है।
John 11:43 यह कहकर उसने बड़े शब्द से पुकारा, कि हे लाजर, निकल आ।
John 11:44 जो मर गया था, वह कफन से हाथ पांव बन्धे हुए निकल आया और उसका मुंह अंगोछे से लिपटा हुआ था यीशु ने उन से कहा, उसे खोल कर जाने दो।
एक साल में बाइबल:
- 2 इतिहास 10-12
- यूहन्ना 11:30-57