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मंगलवार, 22 फ़रवरी 2022

कलीसिया में अपरिपक्वता के दुष्प्रभाव (10)


भ्रामक शिक्षाओं के स्वरूप - पवित्र आत्मा के विषय गलत शिक्षाएं (2) - पवित्र आत्मा से भरना

 

पिछले कुछ लेखों से हम इफिसियों 4:14 में दी गई बातों में से, बालकों के समान अपरिपक्व मसीही विश्वासियों और कलीसियाओं को प्रभावित करने वाले तीसरे दुष्प्रभाव, भ्रामक या गलत उपदेशों के बारे में देखते आ रहे हैं। इन गलत या भ्रामक शिक्षाओं के मुख्य स्वरूपों के बारे में परमेश्वर पवित्र आत्मा ने प्रेरित पौलुस के द्वारा 2 कुरिन्थियों 11:4 में लिखवाया है कि इन भ्रामक शिक्षाओं के, गलत उपदेशों के, मुख्यतः तीन स्वरूप होते हैं, “यदि कोई तुम्हारे पास आकर, किसी दूसरे यीशु को प्रचार करे, जिस का प्रचार हम ने नहीं किया: या कोई और आत्मा तुम्हें मिले; जो पहिले न मिला था; या और कोई सुसमाचार जिसे तुम ने पहिले न माना था, तो तुम्हारा सहना ठीक होता”, जिन्हें शैतान और उसके लोग प्रभु यीशु के झूठे प्रेरित, धर्म के सेवक, और ज्योतिर्मय स्‍वर्गदूतों का रूप धारण कर के बताते और सिखाते हैं। सच्चाई को पहचानने और शैतान के झूठ से बचने के लिए इन तीनों स्वरूपों के साथ इस पद में एक बहुत महत्वपूर्ण बात भी दी गई है। इस पद में लिखा है कि शैतान की युक्तियों के तीनों विषयों, प्रभु यीशु मसीह, पवित्र आत्मा, और सुसमाचार के बारे में जो यथार्थ और सत्य है वह वचन में पहले से ही बता दिया गया है। 

इन तीनों प्रकार की गलत शिक्षाओं में से इस पद में सबसे पहली है कि शैतान और उस के जन, प्रभु यीशु के विषय ऐसी शिक्षाएं देते हैं जो वचन में नहीं दी गई हैं, और इसके बारे में हम पहले दो लेखों में विस्तार से देख चुके हैं। दूसरी बात जिसके बारे में भ्रामक शिक्षा और गलत बातें सिखाई, फैलाई जाती हैं, वह है परमेश्वर पवित्र आत्मा के विषय।कोई और आत्मा तुम्हें मिले; जो पहिले न मिला था”, गलत शिक्षा के पहले विषय के समान ही, इस दूसरी के लिए भी यहाँ यही लिखा गया है, “जो पहिले न मिला था” - अर्थात, जो भी गलत शिक्षाएं और बातें होंगी, वे उन शिक्षाओं और बातों के अतिरिक्त होंगी जो परमेश्वर के वचन में पहले से लिखवा दी गई हैं, और जिनके आधार पर उन शिक्षाओं को परखा, जाँचा, और उनकी सत्यता को स्थापित किया जा सकता है। 

पिछले लेख से हमने परमेश्वर पवित्र आत्मा के संबंध में बताई और फैलाई जाने वाली कुछ सामान्य गलत शिक्षाओं के विषय देना आरंभ किया, और यह सीखा था कि मसीही विश्वासी के उद्धार पाते ही, उसी क्षण से, पवित्र आत्मा आकर मसीही विश्वासियों में निवास करने लग जाता है। किसी को भी पवित्र आत्मा पाने के लिए अलग से कोई प्रयास करने, या प्रतीक्षा करने, या प्रार्थनाएं करने की को आवश्यकता नहीं है। परमेश्वर पवित्र आत्मा प्रत्येक सच्चे, नया जन्म अर्थात उद्धार पाए हुए विश्वासी में, उसके उद्धार पाने के पल से ही विद्यमान है। परमेश्वर पवित्र आत्मा से संबंधित गलत शिक्षाएं देने वाले ये लोग सिखाते हैं कि पवित्र आत्मा प्राप्त करना एक बात है, किन्तु प्रभावी मसीही जीवन और सेवकाई के लिए एक दूसरे अनुभव - पवित्र आत्मा से भरने, और पवित्र आत्मा से बपतिस्मा पाने की आवश्यकता होती है, और जिसे पवित्र आत्मा प्राप्त होता है वह फिर अन्य-भाषाएं बोलने लगता है, जो कि पवित्र आत्मा प्राप्त हो जाने का प्रमाण है। उनकी ये शिक्षाएं भी वचन के कुछ भाग को उसके संदर्भ से बाहर लेकर, अन्य संबंधित बातों का ध्यान रखे बिना, अपनी ही धारणा बना लेने के कारण हैं। आज हम उनके द्वारा दी जाने वाली पवित्र आत्मा से भरना की व्याख्या और शिक्षा के गलत होने बारे में देखेंगे, और वचन से इस बात के सही अर्थ को समझेंगे।

पवित्र आत्मा से भर जाने का पहला उल्लेख प्रभु यीशु के शिष्यों के द्वारा पिन्तेकुस्त के दिन पवित्र आत्मा प्राप्त करने के साथ किया गया है। प्रेरितों के काम 2:4 में लिखा है,“और वे सब पवित्र आत्मा से भर गए, और जिस प्रकार आत्मा ने उन्हें बोलने की सामर्थ्य दी, वे अन्य अन्य भाषा बोलने लगेध्यान कीजिए, इस पहले ही उल्लेख में यह नहीं लिखा है कि उन्होंने पवित्र आत्मा प्राप्त किया; वरन इस पद 4 का आरंभिक वाक्य कहता है किऔर वे सब पवित्र आत्मा से भर गए। यह भी नहीं लिखा है कि उन सभी ने पवित्र आत्मा की थोड़ी-थोड़ी सामर्थ्य प्राप्त कर ली; वरन यह के वे सभी पवित्र आत्मा से भर गए। अर्थात, पवित्र आत्मा जब आया, तब सभी एकत्रित शिष्यों पर, वे चाहे जो भी हों और अपने चाहे विश्वास में कितने भी दृढ़ अथवा दुर्बल थे, एक ही रीति से, एक जैसा ही, तथा अपनी परिपूर्णता के साथ आया। किसी पर कम किसी पर ज़्यादा नहीं आया, और उस स्थान पर उपस्थित सभी जन (प्रेरितों 1:15 - गिनती में लगभग 120) पवित्र आत्मा से भर गए। यहाँ पर वचन यह स्पष्ट कर देता है कि पवित्र आत्मा का विश्वासी में आना और उस विश्वासी का पवित्र आत्मा से भर जाना एक ही बात है। बाइबल में पवित्र आत्मा से भरने के लिए किसी अतिरिक्त प्रार्थना, प्रतीक्षा, या प्रयास करने का न तो कोई उदाहरण है, और न ही कोई निर्देश अथवा शिक्षा है। इसे एक अलग या विशेष अनुभव बताना और सिखाना इन लोगों की अपनी मन-गढ़ंत बात है; वचन की शिक्षा नहीं है। पवित्र आत्मा परमेश्वर है, पवित्र त्रिएक परमेश्वर का एक व्यक्तित्व, उसे बांटा नहीं जाता है, वह टुकड़ों या किस्तों में नहीं मिलता है (यूहन्ना 3:34), न ही किसी व्यक्ति में उसे घटाया या बढ़ाया जा सकता है, और वह हर किसी सच्चे मसीही विश्वासी में मात्रा तथा गुणवत्ता में समान ही विद्यमान होता है।

सामान्य वार्तालाप एवं उपयोग में वाक्यांशभर जानेयापरिपूर्ण हो जानेके विभिन्न अभिप्राय होते हैं, और इस वाक्यांश के विषय ऐसा ही हम परमेश्वर के वचन बाइबल में भी देखते हैं। इन विभिन्न अभिप्रायों के कुछ उदाहरण हैं:

  • किसी रिक्त/खाली स्थान में समा जाना और उसे अपनी उपस्थिति सेभरदेना या परिपूर्ण अथवा ओतप्रोत कर देना। बाइबल में इस अभिप्राय का एक जाना-माना उदाहरण है मरियम द्वारा प्रभु के पाँवों पर इत्र उडेलना, जिसकी सुगंध से घर सुगंधित हो गया (अंग्रेज़ी में filled with the fragrance) अर्थात सुगंध से भर गया। बाइबल से इसी अभिप्राय का एक और परिचित उदाहरण है राजा के कहने पर सभी स्थानों से लोगों को लाकर ब्याह के भोज के लिए बैठाना जिससे ब्याह का घर जेवनहारों से भर गया” (मत्ती 22:10) 
  • किसी बात या भावना के वशीभूत होकर कुछ कार्य अथवा व्यवहार करना; जैसे कि 
    • लोगों का प्रभु या उसके शिष्यों के विरुद्ध क्रोध से भर जाना और हानि पहुँचाने का प्रयास करना (लूका 4:28-29; 6:11-english; प्रेरितों 5:17; 13:45)
    • आश्चर्यकर्म को देखकर अचरज और भय के वशीभूत हो जाना (लूका 5:26-english; प्रेरितों 3:10-english)
    • अत्यधिक आनंदित हो जाना (प्रेरितों 13:52)
  • पवित्र आत्मा को प्राप्त करना (प्रेरितों 9:17) - यहाँ एक बार फिर से पवित्र आत्मा प्राप्त करना और उससे परिपूर्ण हो जाने, या उस से भर जाने को एक ही समान बताया गया है।
  • पवित्र आत्मा की सामर्थ्य से अभूतपूर्व कार्य करना (प्रेरितों 4:8, 31; 13:9-11)

जब सामान्य भाषा और प्रयोग में कहा जाए किउसने प्रेम से भर कर यह कर दिया”, याउसने क्रोध से भर कर ऐसा कर दिया”, यावह घृणा से भर गया”, आदि, तो क्या हम यह समझते हैं कि उस व्यक्ति ने कहीं से या किसी प्रकार प्रेम, या क्रोध, या घृणा की कुछ अधिक मात्रा प्राप्त की और फिर वह कार्य किया? या फिर हम सीधी भाषा में यह समझ लेते हैं कि किसी बात के कारण वह व्यक्ति, उस में पहले से ही विद्यमान प्रेम, या क्रोध, या घृणा, आदि, की भावना के वशीभूत हो गया और उस वशीभूत होने की स्थिति में उसने वह कार्य कर दिया, जो वह अन्यथा नहीं करता! यही बातपवित्र आत्मा से भरना, या भरकर कुछ कार्य करनापर भी लागू होती है। सामान्यतः बाइबल में वाक्यांशभर जानेयापरिपूर्ण हो जानेका अर्थ और प्रयोग किसी की सामर्थ्य अथवा उपस्थिति के वशीभूत होकर अथवा उससे प्रेरित होकर कुछ अद्भुत या अभूतपूर्व कर पाने के संदर्भ में होता है। अर्थात, पवित्र आत्मा से भर जाना से अभिप्राय है पवित्र आत्मा की सामर्थ्य, उसके नियंत्रण में होकर कार्य करना।

 प्रभु ने यूहन्ना 14:16 में कहाऔर मैं पिता से बिनती करूंगा, और वह तुम्हें एक और सहायक देगा, कि वह सर्वदा तुम्हारे साथ रहेतो अर्थ स्पष्ट है कि अब जब उद्धार के समय एक बार पवित्र आत्मा शिष्यों को दे दिया गया, और पवित्र आत्मा जब उनमें आ गया तो सर्वदा, उनके जीवन भर उनके साथ रहने के लिए आ गया। जब पवित्र आत्मा अपनी संपूर्णता में किसी व्यक्ति में आ गया तो फिर इसके बाद उससे अतिरिक्त, या अधिक, या दोबारा तो किसी को कभी मिल ही नहीं सकता है; परमेश्वर पवित्र आत्मा उस व्यक्ति में अपनी संपूर्णता में हमेशा वही, वैसा ही, और उतना ही रहेगा। तथाकथितपवित्र आत्मा का बपतिस्माया अलग सेपवित्र आत्मा से भरनाइससे अधिक और क्या दे सकता है? इसलिए अब तो बस उस व्यक्ति को अपने में विद्यमान पवित्र आत्मा की उपस्थिति को अपने आचरण द्वारा व्यक्त करते रहना है, अपने व्यवहारिक जीवन में पवित्र आत्मा के प्रभाव एवं नियंत्रण को दिखाते रहना है। इसलिए अब बार-बार पवित्र आत्मा मांगने या भरने की प्रार्थना करने और इससे संबंधित गीत गाने का क्या औचित्य हैअगले लेख में हम वचन सेपवित्र आत्मा का बपतिस्मापाने के बारे में देखेंगे।

यदि आप एक मसीही विश्वासी हैं, तो आपके लिए यह जानना और समझना अति-आवश्यक है कि आप परमेश्वर पवित्र आत्मा से संबंधित इन गलत शिक्षाओं में न पड़ जाएं; न खुद भरमाए जाएं, और न ही आपके द्वारा कोई और भरमाया जाए। यदि आप इन गलत शिक्षाओं में प चुके हैं, तो अभी वचन के अध्ययन और बात को जाँच-परख कर, सही शिक्षा को, उसी के पालन को अपना लें।

यदि आपने प्रभु की शिष्यता को अभी तक स्वीकार नहीं किया है, तो अपने अनन्त जीवन और स्वर्गीय आशीषों को सुनिश्चित करने के लिए अभी प्रभु यीशु के पक्ष में अपना निर्णय कर लीजिए। जहाँ प्रभु की आज्ञाकारिता है, उसके वचन की बातों का आदर और पालन है, वहाँ प्रभु की आशीष और सुरक्षा भी है। प्रभु यीशु से अपने पापों के लिए क्षमा माँगकर, स्वेच्छा से तथा सच्चे मन से अपने आप को उसकी अधीनता में समर्पित कर दीजिए - उद्धार और स्वर्गीय जीवन का यही एकमात्र मार्ग है। आपको स्वेच्छा और सच्चे मन से प्रभु यीशु मसीह से केवल एक छोटी प्रार्थना करनी है, और साथ ही अपना जीवन उसे पूर्णतः समर्पित करना है। आप यह प्रार्थना और समर्पण कुछ इस प्रकार से भी कर सकते हैं, “प्रभु यीशु मैं आपका धन्यवाद करता हूँ कि आपने मेरे पापों की क्षमा और समाधान के लिए उन पापों को अपने ऊपर लिया, उनके कारण मेरे स्थान पर क्रूस की मृत्यु सही, गाड़े गए, और मेरे उद्धार के लिए आप तीसरे दिन जी भी उठे, और आज जीवित प्रभु परमेश्वर हैं। कृपया मेरे पापों को क्षमा करें, मुझे अपनी शरण में लें, और मुझे अपना शिष्य बना लें। मैं अपना जीवन आप के हाथों में समर्पित करता हूँ।सच्चे और समर्पित मन से की गई आपकी एक प्रार्थना आपके वर्तमान तथा भविष्य को, इस लोक के और परलोक के जीवन को, अनन्तकाल के लिए स्वर्गीय एवं आशीषित बना देगी।  

 

एक साल में बाइबल पढ़ें:

  • गिनती 3-4         
  • मरकुस 3:20-35