दो
किशोरियों की कलपना कीजिए; उनमें से एक स्वस्थ और सबल है, परन्तु दूसरे ने अपने आप
से विचरण करने की स्वतंत्रता को कभी अनुभव नहीं किया। अपनी पहियों वाली कुर्सी पर
बैठे-बैठे वह न केवल जीवन में सामान्यतः आने वाली भावनात्मक चुनौतियों का सामना
करती रहती है, वरन शारीरिक कष्ट और संघर्षों का भी सामना करती है। परन्तु वे दोनों
किशोर युवतियां मुस्कुरा रही हैं, एक दूसरे की संगति का आनन्द ले रही हैं, एक
दूसरे में मित्रता के खजाने को देख रही हैं।
प्रभु
यीशु मसीह ने अपना बहुत समय और ध्यान पहियों वाली कुर्सी पर बैठी हुई उस किशोरी के
समान लोगों पर लगाया। ऐसे लोगों पर जिन्हें किसी प्रकार की जीवन भर की अयोग्यता थी
अथवा शारीरिक विकार था, या समाज के लोग जिन्हें किसी कारण से तिरिस्कार की नज़रों
से देखते थे। वास्तव में प्रभु यीशु ने एक “ऐसी” महिला को अपने ऊपर तेल उंडेलने
दिया, जिसे देखकर उस समय के धार्मिक अगुवे घृणा से विचलित हो गए (लूका 7:39)। एक
अन्य अवसर पर जब एक अन्य महिला ने प्रभु के प्रति अपने प्रेम को इसी प्रकार से
व्यक्त किया, तो आलोचना करने वालों से प्रभु यीशु ने कहा “उसे छोड़ दो;
उसे क्यों सताते हो? उसने तो मेरे साथ भलाई की
है” (मरकुस 14:6)।
परमेश्वर
प्रत्येक को समान महत्व देता है; उसकी दृष्टि में कोई भेद-भाव नहीं है। सत्य यही
है कि हम सब को प्रभु यीशु मसीह के प्रेम और क्षमा की बहुत आवश्यकता है; और इसी
कारण उसने सारे सँसार के सभी लोगों के लिए अपने आप को बलिदान किया। हमें भी सभी
लोगों को प्रभु के समान दृष्टि से देखना चाहिए – परमेश्वर के स्वरूप में सृजे गए
और उसके प्रेम के पात्र।
हम
जितने भी लोगों से मिलें, उन सभी को मसीह यीशु के समान ही देखें और उसके समान ही
सब में कुछ सुन्दर एवँ आकर्षक देखने पाएँ। - डेव ब्रैनन
हम जिस से भी मिलें, ध्यान रखें कि वह
परमेश्वर के स्वरूप में सृजा गया है।
क्योंकि जो अपनी बड़ाई करता है, वह नहीं, परन्तु जिस की बड़ाई प्रभु करता है,
वही ग्रहण किया जाता है। - 2 कुरिन्थियों 10:18
बाइबल पाठ: लूका 7:36-50
Luke 7:36 फिर किसी फरीसी ने उस से बिनती
की, कि मेरे साथ भोजन कर; सो वह उस
फरीसी के घर में जा कर भोजन करने बैठा।
Luke 7:37 और देखो, उस
नगर की एक पापिनी स्त्री यह जानकर कि वह फरीसी के घर में भोजन करने बैठा है,
संगमरमर के पात्र में इत्र लाई।
Luke 7:38 और उसके पांवों के पास, पीछे खड़ी हो कर, रोती हुई, उसके
पांवों को आंसुओं से भिगाने और अपने सिर के बालों से पोंछने लगी और उसके पांव
बारबार चूमकर उन पर इत्र मला।
Luke 7:39 यह देखकर, वह
फरीसी जिसने उसे बुलाया था, अपने मन में सोचने लगा, यदि यह भविष्यद्वक्ता होता तो जान लेता, कि यह जो
उसे छू रही है, वह कौन और कैसी स्त्री है? क्योंकि वह तो पापिनी है।
Luke 7:40 यह सुन यीशु ने उसके उत्तर में
कहा; कि हे शमौन मुझे तुझ से कुछ कहना है वह बोला, हे गुरू कह।
Luke 7:41 किसी महाजन के दो देनदार थे,
एक पांच सौ, और दूसरा पचास दीनार धारता था।
Luke 7:42 जब कि उन के पास पटाने को कुछ न
रहा, तो उसने दोनों को क्षमा कर दिया: सो उन में से कौन उस
से अधिक प्रेम रखेगा।
Luke 7:43 शमौन ने उत्तर दिया, मेरी समझ में वह, जिस का उसने अधिक छोड़ दिया: उसने
उस से कहा, तू ने ठीक विचार किया है।
Luke 7:44 और उस स्त्री की ओर फिरकर उसने
शमौन से कहा; क्या तू इस स्त्री को देखता है मैं तेरे घर में
आया परन्तु तू ने मेरे पांव धाने के लिये पानी न दिया, पर इस
ने मेरे पांव आंसुओं से भिगाए, और अपने बालों से पोंछा!
Luke 7:45 तू ने मुझे चूमा न दिया, पर जब से मैं आया हूं तब से इस ने मेरे पांवों का चूमना न छोड़ा।
Luke 7:46 तू ने मेरे सिर पर तेल नहीं मला;
पर इस ने मेरे पांवों पर इत्र मला है।
Luke 7:47 इसलिये मैं तुझ से कहता हूं;
कि इस के पाप जो बहुत थे, क्षमा हुए, क्योंकि इस ने बहुत प्रेम किया; पर जिस का थोड़ा
क्षमा हुआ है, वह थोड़ा प्रेम करता है।
Luke 7:48 और उसने स्त्री से कहा, तेरे पाप क्षमा हुए।
Luke 7:49 तब जो लोग उसके साथ भोजन करने
बैठे थे, वे अपने अपने मन में सोचने लगे, यह कौन है जो पापों को भी क्षमा करता है?
Luke 7:50 पर उसने स्त्री से कहा, तेरे विश्वास ने तुझे बचा लिया है, कुशल से चली जा।
एक साल में बाइबल:
- यहेजकेल 33-34
- 1 पतरस 5