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बुधवार, 9 दिसंबर 2015

परिस्थितियाँ


   परमेश्वर के भविष्यद्वक्ता योना और उसका परमेश्वर के निर्देशों का पालन ना करने की कहानी हमें सिखाती है कि कैसे परमेश्वर परिस्थितियों को, चाहे वे भली हों या बुरी, हमें जागरूक करने और हमें भला बनाने के लिए प्रयोग करता है। परमेश्वर के वचन बाइबल में योना की पुस्तक में हम देखते हैं कि परमेश्वर ने पाँच बार योना के लिए कुछ परिस्थितियाँ तैयार करीं, कुछ भली तो कुछ कष्टप्रद।

   हम योना 1:4 में पढ़ते हैं कि परमेश्वर ने उसकी आज्ञाकारिता से बचकर भाग रहे योना को लौटा लाने के लिए तूफान को भेजा, "तब यहोवा ने समुद्र में एक प्रचण्ड आंधी चलाई, और समुद्र में बड़ी आंधी उठी, यहां तक कि जहाज टूटने पर था" (योना 1:4)। जब उस जलपोत के नाविकों ने जाना कि उनके तूफान में फंसने का कारण योना ही है, तो योना के कहने पर उन्होंने उसे समुद्र में फेंक दिया (योना 1:15), जहाँ परमेश्वर ने पहले से उसके लिए एक बड़ा मच्छ ठहरा रखा था जिसने उसे निगल कर डूबने से बचा लिया (योना 1:17)। आगे चलकर हम पाते हैं कि परमेश्वर ने योना को कड़ी धूप से छाया देने के लिए एक पेड़ को उगाया (योना 4:6), और फिर परमेश्वर ने योना को समझाने के लिए पहले एक कीड़े को भेजा जिसने उस पेड़ को नाश करके योना पर से उसकी छाया को हटा दिया, फिर तेज़ लू और धूप को भेजा (योना 4:7-9)। इन सब परिस्थितियों के द्वारा परमेश्वर ने योना पर उसके बलवई तथा दयाविहीन मन को उजागर किया, योना को तैयार किया कि परमेश्वर उससे बात कर सके और उसे समझा सके।

   अपने जीवनों में जब हम भिन्न परिस्थितियों का सामना करते हैं तो हमें स्मरण रखना चाहिए कि चाहे आशीष हो या परेशानी, परमेश्वर की पूर्ण प्रभुता प्रत्येक बात और परिस्थिति पर रहती है। परमेश्वर हर परिस्थिति के द्वारा हमारे चरित्र का निर्माण करता रहता है (याकूब 1:1-5)। वह भली और कष्टप्रद, दोनों ही बातों को हमें सुधारने और हमारा मार्गदर्शन करने के लिए प्रयोग करता है। - डेनिस फिशर


परमेश्वर देता भी है और ले भी लेता है; हर बात से उसकी महिमा हो, उसका नाम धन्य हो।

हे मेरे भाइयों, जब तुम नाना प्रकार की परीक्षाओं में पड़ो तो इसको पूरे आनन्द की बात समझो, यह जान कर, कि तुम्हारे विश्वास के परखे जाने से धीरज उत्पन्न होता है। - याकूब 1:2-3

बाइबल पाठ: योना4:1-11
Jonah 4:1 यह बात योना को बहुत ही बुरी लगी, और उसका क्रोध भड़का। 
Jonah 4:2 और उसने यहोवा से यह कह कर प्रार्थना की, हे यहोवा जब मैं अपने देश में था, तब क्या मैं यही बात न कहता था? इसी कारण मैं ने तेरी आज्ञा सुनते ही तर्शीश को भाग जाने के लिये फुर्ती की; क्योंकि मैं जानता था कि तू अनुग्रहकारी और दयालु परमेश्वर है, विलंब से कोप करने वाला करूणानिधान है, और दु:ख देने से प्रसन्न नहीं होता। 
Jonah 4:3 सो अब हे यहोवा, मेरा प्राण ले ले; क्योंकि मेरे लिये जीवित रहने से मरना ही भला है। 
Jonah 4:4 यहोवा ने कहा, तेरा जो क्रोध भड़का है, क्या वह उचित है? 
Jonah 4:5 इस पर योना उस नगर से निकल कर, उसकी पूरब ओर बैठ गया; और वहां एक छप्पर बना कर उसकी छाया में बैठा हुआ यह देखने लगा कि नगर को क्या होगा? 
Jonah 4:6 तब यहोवा परमेश्वर ने एक रेंड़ का पेड़ लगा कर ऐसा बढ़ाया कि योना के सिर पर छाया हो, जिस से उसका दु:ख दूर हो। योना उस रेंड़ के पेड़ के कारण बहुत ही आनन्दित हुआ। 
Jonah 4:7 बिहान को जब पौ फटने लगी, तब परमेश्वर ने एक कीड़े को भेजा, जिसने रेंड़ का पेड़ ऐसा काटा कि वह सूख गया। 
Jonah 4:8 जब सूर्य उगा, तब परमेश्वर ने पुरवाई बहा कर लू चलाई, और घाम योना के सिर पर ऐसा लगा कि वह मूर्च्छा खाने लगा; और उसने यह कह कर मृत्यु मांगी, मेरे लिये जीवित रहने से मरना ही अच्छा है। 
Jonah 4:9 परमेश्वर ने योना से कहा, तेरा क्रोध, जो रेंड़ के पेड़ के कारण भड़का है, क्या वह उचित है? उसने कहा, हां, मेरा जो क्रोध भड़का है वह अच्छा ही है, वरन क्रोध के मारे मरना भी अच्छा होता। 
Jonah 4:10 तब यहोवा ने कहा, जिस रेंड़ के पेड़ के लिये तू ने कुछ परिश्रम नहीं किया, न उसको बढ़ाया, जो एक ही रात में हुआ, और एक ही रात में नाश भी हुआ; उस पर तू ने तरस खाया है। 
Jonah 4:11 फिर यह बड़ा नगर नीनवे, जिस में एक लाख बीस हजार से अधिक मनुष्य हैं, जो अपने दाहिने बाएं हाथों का भेद नहीं पहिचानते, और बहुत घरेलू पशु भी उस में रहते हैं, तो क्या मैं उस पर तरस न खाऊं?

एक साल में बाइबल: 
  • दानिय्येल 11-12
  • यहूदा