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सोमवार, 22 जून 2015

सामर्थ


   नैशनल जियोग्राफिक सोसायटी द्वारा प्रकाशित एक संसार के नक्शे पर लिखा हुआ है, "पृथ्वी का वज़न 6.6 सिक्सट्रिल्यन टन है" और हमारी कलपना से भी परे यह इतना भारी वज़न किस पर स्थिर किया गया है - शून्य पर! यह पृथ्वी जिस पर हम निवास करते हैं और अपना जीवन जीते हैं, अपनी धुरी पर 1000 मील प्रति घंटा की गति से घूमते हुए अन्तरिक्ष में सूरज के चारों ओर भी चक्कर लगा रही है; ये सभी कार्य नियमित और निर्धारित रीति से अपने समयानुसार अविरल होते रहते हैं। लेकिन अपने स्वास्थ्य, रिश्तेदारियों, भुगतानों को करने आदि की चिन्ताओं में पड़े होने से हमें इन बातों को पहचानने तथा उनकी ओर ध्यान देने का समय ही नहीं मिल पाना हमारे लिए बड़ी सामान्य सी बात है। लेकिन परमेश्वर हमारी प्रत्येक बात और आवश्यकता का ध्यान करता है; उनका भी जिन्हें हम जानते भी नहीं हैं, और उनके लिए भी जो उसे जानते और मानते नहीं हैं।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में पुराने नियम खण्ड के एक पात्र, अय्युब ने अपने स्वास्थ्य, परिवार और संपदा की आक्समिक और समझ से बाहर भारी हानि उठाने पर, परमेश्वर की सृष्टि में विदित उसके कार्यों और सामर्थ के द्वारा अपनी परिस्थिति को समझने की प्रयास किया। उसने कहा, "वह उत्तर दिशा को निराधार फैलाए रहता है, और बिना टेक पृथ्वी को लटकाए रखता है" (अय्युब 26:7)। अय्युब ने बादलों को देखकर अचंभा किया जो इतना जल लिए रहते हैं फिर भी फटते नहीं (अय्युब 26:8); अय्युब ने उजियाले और अन्धकार के सिवाने पर विचार किया (अय्युब 26:10) और इन सब बातों को परमेश्वर की गति का महज़ छोर मात्र ही कहा (अय्युब 26:14)।

   सृष्टि ने अय्युब के प्रश्नों का उत्तर तो नहीं दिया, परन्तु उस सृष्टिकर्ता परमेश्वर की ओर, जो सहायता और आशा के साथ उसके प्रश्नों के उत्तर दे सकता था, उसका ध्यान अवश्य कर दिया।

   वह परमेश्वर जो इस सृष्टि को अपने शब्द से संभाले हुए है (इब्रानियों 1:3; कुलुस्सियों1:17), वही हमारे जीवनो को भी संभाले रहता है। वे अनुभव जो हमें "शून्य" या महत्वहीन प्रतीत होते हैं, वे सब परमेश्वर पिता की सामर्थ और प्रेम में होकर हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण और आवश्यक कार्य पूरा कर रहे हैं। परमेश्वर का कोई भी कार्य व्यर्थ अथवा महत्वहीन नहीं है; उसपर भरोसा रखिए, उसके समय की प्रतीक्षा कीजिए, उसे समर्पित रहिए। - डेविड मैक्कैसलैण्ड


जब हम परमेश्वर की सृष्टि में दिखने वाली उसकी सामर्थ पर मनन करते हैं, हम अपने प्रति उसकी देखरेख की सामर्थ को भी पहिचानते हैं।

वह [प्रभु यीशु] उस की महिमा का प्रकाश, और उसके तत्‍व की छाप है, और सब वस्‍तुओं को अपनी सामर्थ के वचन से संभालता है: वह पापों को धोकर ऊंचे स्थानों पर महामहिमन के दाहिने जा बैठा। - इब्रानियों 1:3 

बाइबल पाठ: अय्युब 26:5-14
Job 26:5 बहुत दिन के मरे हुए लोग भी जलनिधि और उसके निवासियों के तले तड़पते हैं। 
Job 26:6 अधोलोक उसके साम्हने उघड़ा रहता है, और विनाश का स्थान ढंप नहीं सकता। 
Job 26:7 वह उत्तर दिशा को निराधार फैलाए रहता है, और बिना टेक पृथ्वी को लटकाए रखता है। 
Job 26:8 वह जल को अपनी काली घटाओं में बान्ध रखता, और बादल उसके बोझ से नहीं फटता। 
Job 26:9 वह अपने सिंहासन के साम्हने बादल फैला कर उसको छिपाए रखता है। 
Job 26:10 उजियाले और अन्धियारे के बीच जहां सिवाना बंधा है, वहां तक उसने जलनिधि का सिवाना ठहरा रखा है। 
Job 26:11 उसकी घुड़की से आकाश के खम्भे थरथरा कर चकित होते हैं। 
Job 26:12 वह अपने बल से समुद्र को उछालता, और अपनी बुद्धि से घपण्ड को छेद देता है। 
Job 26:13 उसकी आत्मा से आकाशमण्डल स्वच्छ हो जाता है, वह अपने हाथ से वेग भागने वाले नाग को मार देता है। 
Job 26:14 देखो, ये तो उसकी गति के किनारे ही हैं; और उसकी आहट फुसफुसाहट ही सी तो सुन पड़ती है, फिर उसके पराक्रम के गरजने का भेद कौन समझ सकता है?

एक साल में बाइबल: 
  • एस्तेर 6-8
  • प्रेरितों 6