रूथ
अपने नए जीवन की कहानी बिना रोए नहीं बता पाती है। वह अब अपनी आयु के अस्सीवें दशक
के मध्य में है, और अधिक चल फिर नहीं सकती है, और न ही वह हमारे चर्च में कोई
प्रमुख व्यक्ति है। कहीं भी आने-जाने के लिए उसे औरों की सहायता पर निर्भर रहना
पड़ता है, और क्योंकि वह अकेली रहती है इसलिए उसके प्रभाव का दायरा भी छोटा ही है।
परन्तु
जब वह अपने नए जीवन – अपने उद्धार पाने की कहानी को बताती है, जो वह बहुधा करती
है, रूथ परमेश्वर के अनुग्रह के कार्य का एक अनुपम उदाहरण बनकर सामने आती है। जब
वह आयु के तीसवें दशक में थी, तो एक रात उसकी एक सहेली ने उसे एक सभा में आने के
लिए आमंत्रित किया। रूथ को यह पता नहीं था कि उस सभा में वह एक प्रचारक को सुनने
जा रही है। वह कहती है, “यदि मुझे यह पता होता, तो मैं न जाती।” वह पहले से ही
“धर्म” को निभा रही थी, किन्तु उसे इससे कुछ लाभ होता हुआ नहीं दिख रहा था। परन्तु
वह उस सभा में गई, और उस रात्रि वहाँ उसने प्रभु यीशु मसीह के सुसमाचार को सुना।
अब,
पचास से भी अधिक वर्ष बीत जाने के बाद भी, जब भी वह उस रात्रि उसे प्रभु यीशु मसीह
पर विश्वास लाने के द्वारा मिले नए जीवन के विषय बताती है, और फिर कैसे प्रभु यीशु
ने उसका जीवन परिवर्तित किया, उसकी आँखों से आनन्द और हर्ष के आँसू निकलने लगते
हैं। उस रात्रि वह परमेश्वर की एक पुत्री बन गई; और उसके नए जीवन की यह कहानी कभी
पुरानी नहीं होती है, सदा रोमांचित करती रहती है।
इससे
कोई फर्क नहीं पड़ता है कि हमारी कहानी भी रूथ के समान है कि नहीं। जिस बात का फर्क
पड़ता है वह है कि हम ने भी रूथ के समान, “धर्म” के निर्वाह के स्थान पर प्रभु यीशु
के हमारे पापों के लिए मारे जाने, गाड़े जाने, और तीसरे दिन मृतकों में से जी उठने
तथा उसमें मिलने वाली पापों की क्षमा में विश्वास लाने का निर्णय लिया है या नहीं।
परमेश्वर के वचन बाइबल में पौलुस प्रेरित ने लिखा है, “कि यदि तू अपने मुंह से
यीशु को प्रभु जानकर अंगीकार करे और अपने मन से विश्वास करे, कि परमेश्वर ने उसे मरे हुओं में से जिलाया, तो तू
निश्चय उद्धार पाएगा” (रोमियों 10:9)।
रूथ
ने भी बस यही किया था, और प्रभु यीशु ने उसे पापों से छुड़ाकर, उसका जीवन परिवर्तित
कर दिया, उसे एक अविनाशी तथा अनन्तकालीन नया जीवन दे दिया। रूथ के समान प्रभु में
विश्वास लाने से यह नया जीवन आपको भी मिल सकता है – अभी; इसी वक्त! – डेव ब्रैनन
मसीह यीशु का हो जाना पुनःस्थापित होना
नहीं है; यह नई सृष्टि होना है!
सो यदि कोई मसीह में है तो वह नई सृष्टि
है: पुरानी बातें बीत गई हैं; देखो, वे
सब नई हो गईं। - 2 कुरिन्थियों 5:17
बाइबल पाठ: रोमियों 10:1-13
Romans 10:1 हे भाइयो, मेरे मन की अभिलाषा और उन के लिये परमेश्वर से मेरी प्रार्थना है, कि वे उद्धार पाएं।
Romans 10:2 क्योंकि मैं उन की गवाही देता
हूं, कि उन को परमेश्वर के लिये धुन रहती है, परन्तु बुद्धिमानी के साथ नहीं।
Romans 10:3 क्योकि वे परमेश्वर की
धामिर्कता से अनजान हो कर, और अपनी धामिर्कता स्थापन करने का
यत्न कर के, परमेश्वर की धामिर्कता के आधीन न हुए।
Romans 10:4 क्योंकि हर एक विश्वास करने
वाले के लिये धामिर्कता के निमित मसीह व्यवस्था का अन्त है।
Romans 10:5 क्योंकि मूसा ने यह लिखा है,
कि जो मनुष्य उस धामिर्कता पर जो व्यवस्था से है, चलता है, वह इसी कारण जीवित रहेगा।
Romans 10:6 परन्तु जो धामिर्कता विश्वास
से है, वह यों कहती है, कि तू अपने मन
में यह न कहना कि स्वर्ग पर कौन चढ़ेगा? अर्थात मसीह को उतार
लाने के लिये!
Romans 10:7 या गहिराव में कौन उतरेगा?
अर्थात मसीह को मरे हुओं में से जिलाकर ऊपर लाने के लिये!
Romans 10:8 परन्तु वह क्या कहती है?
यह, कि वचन तेरे निकट है, तेरे मुंह में और तेरे मन में है; यह वही विश्वास का
वचन है, जो हम प्रचार करते हैं।
Romans 10:9 कि यदि तू अपने मुंह से यीशु
को प्रभु जानकर अंगीकार करे और अपने मन से विश्वास करे, कि
परमेश्वर ने उसे मरे हुओं में से जिलाया, तो तू निश्चय
उद्धार पाएगा।
Romans 10:10 क्योंकि धामिर्कता के लिये मन
से विश्वास किया जाता है, और उद्धार के लिये मुंह से अंगीकार
किया जाता है।
Romans 10:11 क्योंकि पवित्र शास्त्र यह
कहता है कि जो कोई उस पर विश्वास करेगा, वह लज्जित न होगा।
Romans 10:12 यहूदियों और यूनानियों में
कुछ भेद नहीं, इसलिये कि वह सब का प्रभु है; और अपने सब नाम लेने वालों के लिये उदार है।
Romans 10:13 क्योंकि जो कोई प्रभु का नाम
लेगा, वह उद्धार पाएगा।
एक साल में बाइबल:
- यिर्मयाह 22-23
- तीतुस 1