मेरा
मित्र जेमी एक विशाल अन्तर्राष्ट्रीय कंपनी में काम करता है। उस कंपनी में काम
करने के उसके आरंभिक दिनों की बात है कि एक व्यक्ति उसके दफ्तर में उसके पास आया
और उससे बातचीत करने लगा, उसने जेमी से पता किया कि वह वहाँ क्या काम कर रहा है।
जेमी ने उस व्यक्ति को अपने काम के बारे में बताने के पश्चात, उससे उसका नाम पूछा,
तो उस व्यक्ति ने कहा ‘मेरा नाम रिच है’; जेमी ने उत्तर दिया कि ‘आपसे मिलकर
प्रसन्नता हुई; आप यहाँ पर क्या काम करते हैं?’ तो व्यक्ति ने जेमी को उत्तर दिया,
‘मैं यहाँ का मालिक हूँ!’ जेमी ने उस पल अचानक ही पहचाना कि उसका यह आकस्मिक,
सामान्य शिष्टाचार के अन्तर्गत किया जा रहा वार्तालाप, सँसार के सबसे धनी
व्यक्तियों में से एक के साथ हो रहा था।
आज
के आत्म-प्रशंसा और “मैं” के महत्व को ऊपर रखने के युग में, जेमी की यह कहानी हमारा
ध्यान पौलुस प्रेरित द्वारा परमेश्वर के वचन बाइबल में फिलिप्पी की मसीही मण्डली
को लिखी गई पत्री की बात स्मरण की ओर खींचती है: “विरोध या झूठी बड़ाई के लिये
कुछ न करो पर दीनता से एक दूसरे को अपने से अच्छा समझो” (फिलिप्पियों 2:3)।
पौलुस यहाँ जिन गुणों का वर्णन कर रहा है वे उन में पाए जाते हैं जो अपने पर नहीं
वरन औरों पर अपना ध्यान लगाते हैं।
जब
हम “दूसरे को अपने आप से अच्छा” समझते हैं, तब हम मसीह यीशु के समान दीनता
को प्रगट करते हैं (पद 3); हम अपने जीवनों से प्रभु यीशु के जीवन को प्रतिबिंबित
करते हैं जो सेवा लेने नहीं परन्तु औरों की सेवा करने के लिए आए थे (मरकुस 10:45)।
जब हम प्रभु यीशु के समान सेवक का स्वरूप धारण कर लेते हैं (2:7), तब हम में प्रभु
यीशु का स्वभाव आ जाता है (पद 5)।
आज
जब हम औरों के साथ बातचीत करें, उनके साथ संपर्क में आएँ, तो हम केवल अपने बारे
में ही न सोचें, वरन औरों के हितों की भी चिंता करें (पद 4)। - डेव ब्रैनन
औरों की सेवा के द्वारा परमेश्वर की सेवा
करें।
क्योंकि मनुष्य का पुत्र इसलिये नहीं आया,
कि उस की सेवा टहल की जाए, पर इसलिये आया,
कि आप सेवा टहल करे, और बहुतों की छुड़ौती के
लिये अपना प्राण दे। - मरकुस 10:45
बाइबल पाठ: फिलिप्पियों 2: 1-11
Philippians 2:1 सो यदि मसीह में कुछ शान्ति
और प्रेम से ढाढ़स और आत्मा की सहभागिता, और कुछ करूणा और
दया है।
Philippians 2:2 तो मेरा यह आनन्द पूरा करो
कि एक मन रहो और एक ही प्रेम, एक ही चित्त, और एक ही मनसा रखो।
Philippians 2:3 विरोध या झूठी बड़ाई के
लिये कुछ न करो पर दीनता से एक दूसरे को अपने से अच्छा समझो।
Philippians 2:4 हर एक अपने ही हित की नहीं,
वरन दूसरों के हित की भी चिन्ता करे।
Philippians 2:5 जैसा मसीह यीशु का स्वभाव
था वैसा ही तुम्हारा भी स्वभाव हो।
Philippians 2:6 जिसने परमेश्वर के स्वरूप
में हो कर भी परमेश्वर के तुल्य होने को अपने वश में रखने की वस्तु न समझा।
Philippians 2:7 वरन अपने आप को ऐसा शून्य
कर दिया, और दास का स्वरूप धारण किया, और मनुष्य की समानता में हो गया।
Philippians 2:8 और मनुष्य के रूप में
प्रगट हो कर अपने आप को दीन किया, और यहां तक आज्ञाकारी रहा,
कि मृत्यु, हां, क्रूस
की मृत्यु भी सह ली।
Philippians 2:9 इस कारण परमेश्वर ने उसको
अति महान भी किया, और उसको वह नाम दिया जो सब नामों में
श्रेष्ठ है।
Philippians 2:10 कि जो स्वर्ग में और
पृथ्वी पर और जो पृथ्वी के नीचे है; वे सब यीशु के नाम पर
घुटना टेकें।
Philippians 2:11 और परमेश्वर पिता की
महिमा के लिये हर एक जीभ अंगीकार कर ले कि यीशु मसीह ही प्रभु है।
एक साल में बाइबल:
- भजन 116-118
- 1 कुरिन्थियों 7:1-19