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बुधवार, 26 जुलाई 2017

धनी


   एक सफल व्यवसायी ने चर्च में हमारे साथ अपने जीवन की कहानी साझा की। उसने अपने मसीही विश्वास और धन की बहुतायत से संबंधित संघर्षों के बारे में खुलासे से बताया। उसने कहा, "धन से मुझे डर लगता है।"

   उसने प्रभु यीशु के कथन, "परमेश्वर के राज्य में धनवान के प्रवेश करने से ऊंट का सूई के नाके में से निकल जाना सहज है" (लूका 18:25) को उद्धत किया। उसने परमेश्वर के वचन बाइबल से लूका 16:19-31 का हवाला दिया, जो धनी व्यक्ति और लाज़रस की कहानी है, और इस कहानी में धनी व्यक्ति नरक में जाता है। उस "धनी युवक" का दृष्टांत (लूका 12:16-21) उसे विचलित करता था। उसने ठान लिया कि वह धन को परमेश्वर के प्रति उसकी भक्ति के आड़े नहीं आने देगा, वरन अपने संसाधनों से निर्धनों तथा ज़रुरतमन्दों की सहायता करेगा।

   शताब्दियों से परमेश्वर कुछ लोगों को भरपूर संपदा से आशीषित करता आया है। हम बाइबल में 2 इतिहास 17:5 में यहोशापात के विषय में पढ़ते हैं, "इस कारण यहोवा ने राज्य को उसके हाथ में दृढ़ किया, और सारे यहूदी उसके पास भेंट लाया करते थे, और उसके पास बहुत धन और उसका वैभव बढ़ गया।" इतना धनी होने पर भी यहोशपात ना तो घमण्डी हुआ और न ही उसने अपने धन के सहारे दूसरों पर दुराचार किया। वरन, "यहोवा के मार्गों पर चलते चलते उसका मन मगन हो गया" (पद 6); तथा "और वह अपने पिता आसा की लीक पर चला ओर उस से न मुड़ा, अर्थात जो यहोवा की दृष्टि में ठीक है वही वह करता रहा" (2 इतिहास 20:32)।

   परमेश्वर धन के विरुद्ध नहीं है, क्योंकि उसने स्वयं ही कुछ को उस से आशीषित किया है; परन्तु निश्चय ही वह धन के अनुचित संचय और दुरुप्योग के विरुद्ध है। परमेश्वर नहीं चाहता है कि धन के लोभ में पड़कर मसीही विश्वासी उसके मार्गों से भटक जाएं। वह अपने अनुयायियों से चाहता है कि वे सच्ची भक्ति के साथ उसके प्रति विश्वास योग्य बने रहें, और वह उनकी सभी आवश्यकताओं को पूरा करता रहेगा। - लॉरेंस दरमानी


धन हो या न हो, समर्पित हृदय परमेश्वर को प्रसन्न करते रहेंगे।

क्योंकि धन का लोभ सब प्रकार की बुराइयों की जड़ है, जिसे प्राप्त करने का प्रयत्न करते हुए कितनों ने विश्वास से भटक कर अपने आप को नाना प्रकार के दुखों से छलनी बना लिया है। - 1 तिमुथियुस 6:10

बाइबल पाठ: 2 इतिहास 17:1-11
2 Chronicles 17:1 और उसका पुत्र यहोशापात उसके स्थान पर राज्य करने लगा, और इस्राएल के विरुद्ध अपना बल बढ़ाया। 
2 Chronicles 17:2 और उसने यहूदा के सब गढ़ वाले नगरों में सिपाहियों के दल ठहरा दिए, और यहूदा के देश में और एप्रैम के उन नगरों में भी जो उसके पिता आसा ने ले लिये थे, सिपाहियों की चौकियां बैठा दीं। 
2 Chronicles 17:3 और यहोवा यहोशापात के संग रहा, क्योंकि वह अपने मूलपुरुष दाऊद की प्राचीन चाल सी चाल चला और बाल देवताओं की खोज में न लगा। 
2 Chronicles 17:4 वरन वह अपने पिता के परमेश्वर की खोज में लगा रहता था और उसी की आज्ञाओं पर चलता था, और इस्राएल के से काम नहीं करता था। 
2 Chronicles 17:5 इस कारण यहोवा ने राज्य को उसके हाथ में दृढ़ किया, और सारे यहूदी उसके पास भेंट लाया करते थे, और उसके पास बहुत धन और उसका वैभव बढ़ गया। 
2 Chronicles 17:6 और यहोवा के मार्गों पर चलते चलते उसका मन मगन हो गया; फिर उसने यहूदा से ऊंचे स्थान और अशेरा नाम मूरतें दूर कर दीं। 
2 Chronicles 17:7 और उसने अपने राज्य के तीसरे वर्ष में बेन्हैल, ओबद्याह, जकर्याह, नतनेल और मीकायाह नामक अपने हाकिमों को यहूदा के नगरों में शिक्षा देने को भेज दिया। 
2 Chronicles 17:8 और उनके साथ शमायाह, नतन्याह, जबद्याह, असाहेल, शमीरामोत, यहोनातान, अदोनिय्याह, तोबिय्याह और तोबदोनिय्याह, नाम लेवीय और उनके संग एलीशामा और यहोराम नामक याजक थे। 
2 Chronicles 17:9 सो उन्होंने यहोवा की व्यवस्था की पुस्तक अपने साथ लिये हुए यहूदा में शिक्षा दी, वरन वे यहूदा के सब नगरों में प्रजा को सिखाते हुए घूमे। 
2 Chronicles 17:10 और यहूदा के आस पास के देशों के राज्य राज्य में यहोवा का ऐसा डर समा गया, कि उन्होंने यहोशापात से युद्ध न किया। 
2 Chronicles 17:11 वरन कितने पलिश्ती यहोशापात के पास भेंट और कर समझ कर चान्दी लाए; और अरबी लोग भी सात हजार सात सौ मेढ़े और सात हजार सात सौ बकरे ले आए।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 40-42
  • प्रेरितों 27:1-26