जब तकनीकी में अचानक आए परिवर्तनों के कारण एक उच्च-प्रशिक्षण पाए वैज्ञानिक को नौकरी से हाथ धोना पड़ा तो उसे एक फास्ट-फूड रेस्टोरॉन्ट में काम करना पड़ गया। एक संध्या को परमेश्वर के वचन बाइबल के हमारे अध्ययन के पश्चात उसने अपनी परिस्थिति का वर्णन करते हुए कहा कि उसका यह अनुभव बहुत कठिन और दीन करने वाला है; साथ ही उसने यह भी कहा, "एक अच्छी बात जो मैं इसके विषय में कह सकता हूँ वह है कि वहाँ आने वाले जवान लोग मेरे मसीही विश्वास में बड़ी रुचि लेते हैं"। हमारे बाइबल अध्ययन समूह में उपस्थित एक जवान ने तुरंत उससे कहा, "मैं आपकी दीनता और नम्रता की प्रशंसा करता हूँ। मुझे निश्चय है कि इसके पीछे आपका मसीही विश्वास ही है।"
उस वैज्ञानिक के समान ही जब फिलेप्पुस को अचानक ही सामरिया में चल रही सेवकाई (प्रेरितों 8:4-8) से निकालकर जंगल के एक मार्ग पर लाकर खड़ा कर दिया गया (प्रेरितों 8:26), तो उसे भी बहुत आश्चर्य हुआ होगा। लेकिन उसे वहाँ उसकी भेंट कूश (इथोपिया) देश के एक उच्च राज्य-अधिकारी से हुई जिसे परमेश्वर का वचन समझने की आवश्यकता थी (प्रेरितों 8:27-35), और तब फिलेप्पुस को बात तर्कसंगत लगी होगी।
जब प्रभु यीशु ने अपने अनुयायियों से वायदा किया कि वह उन्हें कभी अकेला नहीं छोड़ेगा (मत्ती 28:20; इब्रानियों 13:5), तो उसका यह कहना हमारे कठिन एवं अच्छे दोनों समयों के लिए था। अपने जीवन के हर प्रकार के समय में, भले या बुरे, हमारा उद्देश्य होना चाहिए कि हम अपना हर कार्य, हर ज़िम्म्दारी यह स्मरण रखते हुए पूरी करें कि हम यह परमेश्वर के लिए कर रहे हैं, और परमेश्वर को अपने समय और उद्देश्य के अनुसार हमें प्रतिफल देने के लिए अपना धैर्य बनाए रखें।
क्या आपका समय या कार्यस्थल कठिन है? ऐसे में भी परमेश्वर को अवसर दें, और देखें कि वह आपके द्वारा वहाँ क्या कुछ करता है। - रैंडी किल्गोर
परिस्थित्यों के लिए प्रश्नों को उठाने से उत्तम है परमेश्वर पर विश्वास बनाए रखना जिसके पास परिस्थितियों के लिए कारण हैं।
यीशु ने उन के पास आकर कहा, कि स्वर्ग और पृथ्वी का सारा अधिकार मुझे दिया गया है। इसलिये तुम जा कर सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ और उन्हें पिता और पुत्र और पवित्रआत्मा के नाम से बपतिस्मा दो। और उन्हें सब बातें जो मैं ने तुम्हें आज्ञा दी है, मानना सिखाओ: और देखो, मैं जगत के अन्त तक सदैव तुम्हारे संग हूं। - मत्ती 28:18-20
बाइबल पाठ: प्रेरितों 8:4-8, 26-35
Acts 8:4 जो तित्तर बित्तर हुए थे, वे सुसमाचार सुनाते हुए फिरे।
Acts 8:5 और फिलेप्पुस सामरिया नगर में जा कर लोगों में मसीह का प्रचार करने लगा।
Acts 8:6 और जो बातें फिलेप्पुस ने कहीं उन्हें लोगों ने सुनकर और जो चिन्ह वह दिखाता था उन्हें देख देखकर, एक चित्त हो कर मन लगाया।
Acts 8:7 क्योंकि बहुतों में से अशुद्ध आत्माएं बड़े शब्द से चिल्लाती हुई निकल गई, और बहुत से झोले के मारे हुए और लंगडे भी अच्छे किए गए।
Acts 8:8 और उस नगर में बड़ा आनन्द हुआ।
Acts 8:26 फिर प्रभु के एक स्वर्गदूत ने फिलेप्पुस से कहा; उठ कर दक्खिन की ओर उस मार्ग पर जा, जो यरूशलेम से अज्ज़ाह को जाता है, और जंगल में है।
Acts 8:27 वह उठ कर चल दिया, और देखो, कूश देश का एक मनुष्य आ रहा था जो खोजा और कूशियों की रानी कन्दाके का मन्त्री और खजांची था, और भजन करने को यरूशलेम आया था।
Acts 8:28 और वह अपने रथ पर बैठा हुआ था, और यशायाह भविष्यद्वक्ता की पुस्तक पढ़ता हुआ लौटा जा रहा था।
Acts 8:29 तब आत्मा ने फिलेप्पुस से कहा, निकट जा कर इस रथ के साथ हो ले।
Acts 8:30 फिलेप्पुस ने उस ओर दौड़ कर उसे यशायाह भविष्यद्वक्ता की पुस्तक पढ़ते हुए सुना, और पूछा, कि तू जो पढ़ रहा है क्या उसे समझता भी है?
Acts 8:31 उसने कहा, जब तक कोई मुझे न समझाए तो मैं क्योंकर समझूं और उसने फिलेप्पुस से बिनती की, कि चढ़कर मेरे पास बैठ।
Acts 8:32 पवित्र शास्त्र का जो अध्याय वह पढ़ रहा था, वह यह था; कि वह भेड़ की नाईं वध होने को पहुंचाया गया, और जैसा मेम्ना अपने ऊन कतरने वालों के साम्हने चुपचाप रहता है, वैसे ही उसने भी अपना मुंह न खोला।
Acts 8:33 उस की दीनता में उसका न्याय होने नहीं पाया, और उसके समय के लोगों का वर्णन कौन करेगा, क्योंकि पृथ्वी से उसका प्राण उठाया जाता है।
Acts 8:34 इस पर खोजे ने फिलेप्पुस से पूछा; मैं तुझ से बिनती करता हूं, यह बता कि भविष्यद्वक्ता यह किस विषय में कहता है, अपने या किसी दूसरे के विषय में।
Acts 8:35 तब फिलेप्पुस ने अपना मुंह खोला, और इसी शास्त्र से आरम्भ कर के उसे यीशु का सुसमाचार सुनाया।
एक साल में बाइबल:
- सभोपदेशक 4-6
- 2 कुरिन्थियों 12