पिछले कई वर्षों से मेरी बेटी, रोज़ी, स्थानीय माध्यमिक विद्यालय में नाटकों की निर्देशक रही है। छात्र उसके पास आते हैं कि वे नाटकों में भाग ले सकें और वह उनका परीक्षण करके उनके लिए उपयुक्त भूमिकाएं निर्धारित करती है। कुछ छात्र प्रमुख पात्रों की भूमिकाएं पाते हैं, लेकिन फिर भी ऐसी कई सहायक भूमिकाएं होती हैं जो नाटक के लिए आवश्यक हैं और जिनके लिए छात्रों को निर्धारित करना नाटक के सफल प्रदर्शन के लिए अनिवार्य है।
फिर, ऐसे भी छात्र होते हैं जो नाटक का भाग होना तो चाहते हैं पर पर्दे के सामने आना नहीं चाहते। उनको पर्दा उठाने-गिराने, मंच सज्जा को बदलने, रौशनी तथा विद्युत व्यवस्था की देखभाल करने, पात्रों के साज-सिंगार करने तथा वस्त्र आदि के बदलने में सहायता के लिए उपयोग किया जाता है। कुछ माता-पिता और अभिभावक भी नाटक का अप्रत्यक्ष भाग हो जाते हैं। जब नाटक का पूर्वाभ्यास चल रहा होता है तो वे लोग कार्य करने वालों के लिए अल्पाहार का प्रबंध करते हैं, आवश्यक वस्तुओं को भेंट करते हैं, मंच का सामान और वस्त्र बनाने में सहायता करते हैं, नाटक से संबंधित विज्ञापन और सूचनाएं बनाते तथा वितृत करते हैं। किसी भी नाटक के सफल प्रदर्शन के लिए 4 - 5 महीनों का अथक परिश्रम करना होता है जो अनेक समर्पित स्वयंसेवकों के सहयोग और सहायता से ही संभव होने पाता है।
प्रभु यीशु मसीह की देह अर्थात उसकी मण्डली के सफल और पूर्णरूपेण कार्य के लिए भी प्रत्येक मसीही विश्वासी का योगदान अनिवार्य है। प्रत्येक मसीही विश्वासी को परमेश्वर द्वारा कोई ना कोई वरदान दिया गया है। जब ये सभी वरदान मिलकर कार्य करते हैं तब ही "सारी देह हर एक जोड़ की सहायता से एक साथ मिलकर, और एक साथ गठकर उस प्रभाव के अनुसार जो हर एक भाग के परिमाण से उस में होता है, अपने आप को बढ़ाती है, कि वह प्रेम में उन्नति करती जाए" (इफिसियों 4:16); ये सभी भिन्न भाग मिलकर ही एक देह बनते हैं (रोमियों 12:5)।
हम सभी मसीही विश्वासियों को एक दूसरे की आवश्यकता है, मसीह की देह अर्थात मसीह की मण्डली की उन्नति के लिए आप क्या भूमिका निभा रहे हैं? - सिंडी हैस कैस्पर
किसी भी मण्डली के सुचारू रूप से कार्य करने के लिए उसके सभी सदस्यों को एक दूसरे के लिए अपने आत्मिक वर्दानों का उपयोग करते रहना चाहिए।
इसी प्रकार तुम सब मिल कर मसीह की देह हो, और अलग अलग उसके अंग हो। - 1 कुरिन्थियों 12:27
बाइबल पाठ: रोमियों 12:1-8
Romans 12:1 इसलिये हे भाइयों, मैं तुम से परमेश्वर की दया स्मरण दिला कर बिनती करता हूं, कि अपने शरीरों को जीवित, और पवित्र, और परमेश्वर को भावता हुआ बलिदान कर के चढ़ाओ: यही तुम्हारी आत्मिक सेवा है।
Romans 12:2 और इस संसार के सदृश न बनो; परन्तु तुम्हारी बुद्धि के नये हो जाने से तुम्हारा चाल-चलन भी बदलता जाए, जिस से तुम परमेश्वर की भली, और भावती, और सिद्ध इच्छा अनुभव से मालूम करते रहो।
Romans 12:3 क्योंकि मैं उस अनुग्रह के कारण जो मुझ को मिला है, तुम में से हर एक से कहता हूं, कि जैसा समझना चाहिए, उस से बढ़कर कोई भी अपने आप को न समझे पर जैसा परमेश्वर ने हर एक को परिमाण के अनुसार बांट दिया है, वैसा ही सुबुद्धि के साथ अपने को समझे।
Romans 12:4 क्योंकि जैसे हमारी एक देह में बहुत से अंग हैं, और सब अंगों का एक ही सा काम नहीं।
Romans 12:5 वैसा ही हम जो बहुत हैं, मसीह में एक देह हो कर आपस में एक दूसरे के अंग हैं।
Romans 12:6 और जब कि उस अनुग्रह के अनुसार जो हमें दिया गया है, हमें भिन्न भिन्न वरदान मिले हैं, तो जिस को भविष्यद्वाणी का दान मिला हो, वह विश्वास के परिमाण के अनुसार भविष्यद्वाणी करे।
Romans 12:7 यदि सेवा करने का दान मिला हो, तो सेवा में लगा रहे, यदि कोई सिखाने वाला हो, तो सिखाने में लगा रहे।
Romans 12:8 जो उपदेशक हो, वह उपदेश देने में लगा रहे; दान देनेवाला उदारता से दे, जो अगुआई करे, वह उत्साह से करे, जो दया करे, वह हर्ष से करे।
एक साल में बाइबल:
- ज़कर्याह 13-14
- प्रकाशितवाक्य 21