जब दाऊद कहता है "मेरा मन गर्व से भरा नहीं है" (भजन संहिता १३१:१) तो हमारे मन में उसके प्रति ऐसा ही सन्देह उठ सकता है; पर जब हम सारे भजन के अर्थ और पृष्टभूमि को देखते हैं तो जान पाते हैं कि वह अपनी नम्रता पर गर्व नहीं कर रहा। राजा शाऊल के आदमियों ने उसपर राजद्रोह का आरोप लगाया, इस आरोप की प्रतिक्रिया में दाऊद ने कहा कि उसने अपने आप को इतना प्रधान नहीं माना कि उसकी दृष्टि घमंड से भरी रहे।
वह अपने प्रभु की बाहों में "दूध छुड़ाए बालक" के समान रहा (पद २)। अपने मां-बाप पर पूरी तरह निर्भर एक बच्चे के जैसे वह शाऊल राजा के अत्याचार से भागते समय परमेश्वर के संरक्षण की ही प्रतीक्षा में रहा। अपने सबसे कठिन समय में दाऊद ने परमेश्वर के संरक्षण की ज़रूरत समझी और लोगों को सलाह दी, "अब से लेकर सदा सर्वदा यहोवा पर ही आशा लगाए रह" (पद ३)।
नम्रता में दो बातें आवश्यक हैं; पहला - हमें अपने आप को सही पहचानना है, घमंड नहीं परन्तु उचित आत्मसम्मान के साथ। इससे बढ़कर हमें परमेश्वर को जानना है - उसका आदर करना, उसपर विश्वास करना है कि हर अवसर पर वह अपने समय में सब कुछ सबसे अच्छा ही करेगा। - एल्बर्ट ली
जब हम सोचते हैं कि हम नम्र हैं तब हम नम्र नहीं हैं।
बाइबल पाठ: भजन संहिता १३१
प्रभु के सामने दीन बनो, तो वह तुम्हें शिरोमणि बनायेगा। - याकूब ४:१०
एक साल में बाइबल:
- लैव्यवस्था ११,१२
- मत्ती २६:१-२५