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बुधवार, 10 नवंबर 2010

परमेश्वर का आलिंगन

शाम को जब उसके परिवार के सदस्य घर वापस चले गए, तो कैरल को लगने लगा कि अस्पताल का उसका कमरा संसार का सबसे अधिक अकेलेपन का स्थान है। रात हो चुकी थी, उसकी बीमारी से संबंधित भय उसे सताने लगे और वह अपने आप को बहुत हताश अनुभव करने लगी थी। ऐसे में उसने अपनी आंखें बन्द करी और वह परमेश्वर से बात करने लगी: "हे प्रभु, मैं जानती हूँ कि यहां भी मैं वास्तव में अकेली नहीं हूँ। आप मेरे साथ यहां उपस्थित हैं। कृप्या मेरे मन को अपनी शांति से भर दीजिये। कृप्या, मैं आपकी बाहों के आलिंगन को, आपके द्वार अपने थामे जाने को अनुभव कर सकूँ।"

प्रार्थना करते करते कैरल को उसके भय जाते अनुभव हुए और जब उसने अपनी आंखें खोलीं तो उसकी सहेली मार्ज की चमकती आखें और मुस्कुराहट की गर्मी बिखेरता चेहरा उसके सामने था, और मार्ज ने कस कर उसे अपने आलिंगन में भर लिया। कैरल को लगा जैसे परमेश्वर ने स्वयं उसे अपने आलिंगन में भर लिया हो।

परमेश्वर अपने प्रेम को प्रगट करने के लिये अक्सर अपने विश्वासियों को उपयोग करता है, उसके द्वारा दिये गए वरदानों को एक दुसरे की भलाई के लिये उपयोग करने के द्वारा (रोमियों १२:४-८) और एक दूसरे की सहायता के द्वारा : "तुम एक दूसरे के भार उठाओ, और इस प्रकार मसीह की व्यवस्था को पूरी करो" (गलतियों ६:२)।

जैसे प्रभु यीशु ने हमारे प्रति किया, जब हम भी दूसरों के प्रति प्रेम और अनुकम्पा दिखाते हैं, तो संसार के लिये परमेश्वर की सेवाकाई को पूरा करते हैं : "और प्रेम में चलो, जैसे मसीह ने भी तुम से प्रेम किया और हमारे लिये अपने आप को सुखदायक सुगन्‍ध के लिये परमेश्वर के आगे भेंट करके बलिदान कर दिया।" (इफिसियों ५:२); "और यदि किसी को किसी पर दोष देने को कोई कारण हो, तो एक दूसरे की सह लो, और एक दूसरे के अपराध क्षमा करो, जैसे प्रभु ने तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी करो।" (कुलुस्सियों ३:१३)


जब हम परमेश्वर की सन्तानों से प्रेम करते हैं, हम परमेश्वर के प्रति अपने प्रेम को प्रकट करते हैं।

भाईचारे के प्रेम से एक दूसरे पर दया रखो; परस्‍पर आदर करने में एक दूसरे से बढ़ चलो। रोमियों १२:१०


बाइबल पाठ : रोमियों १२:३-११

क्‍योंकि मैं उस अनुग्रह के कारण जो मुझ को मिला है, तुम में से हर एक से कहता हूं, कि जैसा समझना चाहिए, उस से बढ़ कर कोई भी अपने आप को न समझे पर जैसा परमेश्वर ने हर एक को परिमाण के अनुसार बांट दिया है, वैसा ही सुबुद्धि के साथ अपने को समझे।
क्‍योंकि जैसे हमारी एक देह में बहुत से अंग हैं, और सब अंगों का एक ही सा काम नहीं।
वैसा ही हम जो बहुत हैं, मसीह में एक देह हो कर आपस में एक दूसरे के अंग हैं।
और जब कि उस अनुग्रह के अनुसार जो हमें दिया गया है, हमें भिन्न भिन्न वरदान मिले हैं, तो जिस को भविष्यद्वाणी का दान मिला हो, वह विश्वास के परिमाण के अनुसार भविष्यद्वाणी करे।
यदि सेवा करने का दान मिला हो, तो सेवा में लगा रहे, यदि कोई सिखाने वाला हो, तो सिखाने में लगा रहे।
जो उपदेशक हो, वह उपदेश देने में लगा रहे; दान देने वाला उदारता से दे, जो अगुआई करे, वह उत्‍साह से करे, जो दया करे, वह हर्ष से करे।
प्रेम निष्‍कपट हो; बुराई से घृणा करो; भलाई में लगे रहो।
भाईचारे के प्रेम से एक दूसरे पर दया रखो; परस्‍पर आदर करने में एक दूसरे से बढ़ चलो।
प्रयत्‍न करने में आलसी न हो; आत्मिक उन्माद में भरो रहो; प्रभु की सेवा करते रहो।

एक साल में बाइबल:
  • यर्मियाह ४८-४९
  • इब्रानियों ७