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रविवार, 12 जनवरी 2020

मेल


      ली अपने कार्यस्थल में एक ईमानदार और भरोसेमंद कर्मचारी है। परन्तु फिर भी अपने मसीही विश्वास के निर्वाह के कारण वह अपने आप को औरों से अलग पाता है। और यह उसके व्यावाहारिक जीवन में प्रत्यक्ष दिखाई देता है, जैसे कि जब किसी संगति में कोई अनुचित अथवा भद्दी बातें होने लगती हैं तो वह वहाँ से निकल जाता है। एक बार परमेश्वर के वचन, बाइबल, के अध्ययन के समय उसने अपने मित्रों को बताया कि, “मुझे भय है कि मुझे तरक्की के अवसर नहीं मिल रहे हैं, क्योंकि मैं अन्य सभी के साथ मेल नहीं रखता हूँ।”

      पुराने नियम की अंतिम पुस्तक, मलाकी, के समय में भी परमेश्वर के लोगों के सामने इसी प्रकार की चुनौतियाँ थीं। वे इस्राएली लोग, बाबुल की बन्धुआई से लौट कर आए थे, यरूशलेम का मंदिर बनाया जा चुका था, परन्तु उनके भविष्य के लिए परमेश्वर की योजनाओं को लेकर उन्हें संदेह और असमंजस था। कुछ इस्राएली कहने लग थे, “...परमेश्वर की सेवा करनी व्यर्थ है। हम ने जो उसके बताए हुए कामों को पूरा किया और सेनाओं के यहोवा के डर के मारे शोक का पहिरावा पहिने हुए चले हैं, इस से क्या लाभ हुआ? अब से हम अभिमानी लोगों को धन्य कहते हैं; क्योंकि दुराचारी तो सफल बन गए हैं, वरन वे परमेश्वर की परीक्षा करने पर भी बच गए हैं” (मलाकी 3:14-15)।

      हम परमेश्वर के प्रति उस समाज में दृढ़ होकर कैसे खड़े रह सकते हैं जो यह कहता है कि हमसे मेल नहीं रखोगे, और हमारे समान नहीं होगे तो हानि उठाओगे? मलाकी के समय में परमेश्वर के प्रति भरोसेमंद लोगों ने तब उनके सामने आई इस चुनौती का सामना एक-दूसरे के साथ संगति रखने और एक-दूसरे को प्रोत्साहित करने के द्वारा किया। मलाकी उनकी इस बात के संबंध में एक महत्वपूर्ण बात लिखता है: “तब यहोवा का भय मानने वालों ने आपस में बातें की, और यहोवा ध्यान धर कर उनकी सुनता था...” (पद 16)।

      जितने परमेश्वर का भय मानते और उसका आदर करते हैं, परमेश्वर उनका ध्यान रखता है और उनकी चिंता करता है। उसने हमें संसार से मेल रखने के लिए नहीं बुलाया है, वरन दिन-प्रतिदिन उसकी निकटता में बढ़ते जाने और उस से मेल रखने के लिए बुलाया है। हम मसीही विश्वासी परमेश्वर तथा एक-दूसरे के साथ मेल रखें, एक-दूसरे को प्रोत्साहित करते रहें, और भरोसेमंद बने रहें। - पो फैंग चिया

हमारे विश्वास की परख इसलिए होती है 
ताकि हम परमेश्वर की विश्वासयोग्यता को जान सकें।

और इस संसार के सदृश न बनो; परन्तु तुम्हारी बुद्धि के नये हो जाने से तुम्हारा चाल-चलन भी बदलता जाए, जिस से तुम परमेश्वर की भली, और भावती, और सिद्ध इच्छा अनुभव से मालूम करते रहो। - रोमियों 12:2

बाइबल पाठ: मलाकी 3:13-18
Malachi 3:13 यहोवा यह कहता है, तुम ने मेरे विरुद्ध ढिठाई की बातें कही हैं। परन्तु तुम पूछते हो, हम ने तेरे विरुद्ध में क्या कहा है?
Malachi 3:14 तुम ने कहा है कि परमेश्वर की सेवा करनी व्यर्थ है। हम ने जो उसके बताए हुए कामों को पूरा किया और सेनाओं के यहोवा के डर के मारे शोक का पहिरावा पहिने हुए चले हैं, इस से क्या लाभ हुआ?
Malachi 3:15 अब से हम अभिमानी लोगों को धन्य कहते हैं; क्योंकि दुराचारी तो सफल बन गए हैं, वरन वे परमेश्वर की परीक्षा करने पर भी बच गए हैं।।
Malachi 3:16 तब यहोवा का भय मानने वालों ने आपस में बातें की, और यहोवा ध्यान धर कर उनकी सुनता था; और जो यहोवा का भय मानते और उसके नाम का सम्मान करते थे, उनके स्मरण के निमित्त उसके साम्हने एक पुस्तक लिखी जाती थी।
Malachi 3:17 सेनाओं का यहोवा यह कहता है, कि जो दिन मैं ने ठहराया है, उस दिन वे लोग मेरे वरन मेरे निज भाग ठहरेंगे, और मैं उन से ऐसी कोमलता करूंगा जैसी कोई अपने सेवा करने वाले पुत्र से करे।
Malachi 3:18 तब तुम फिरकर धर्मी और दुष्ट का भेद, अर्थात जो परमेश्वर की सेवा करता है, और जो उसकी सेवा नहीं करता, उन दोनों को भेद पहिचान सकोगे।

एक साल में बाइबल: 

  • उत्पत्ति 29-30 
  • मत्ती 9:1-17