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बुधवार, 8 जुलाई 2015

प्रेम का आनन्द


   जब मौसम ठंडा होता है तो हमारा पालतु कुत्ता, जो अब बूढ़ा हो चला है, हमारे आँगन में धूप का स्थान ढूँढ़ कर, गर्म रहने के लिए धूप में बैठा रहता है; जैसे जैसे धूप स्थान बदलती है, वह भी अपना स्थान बदलता रहता है जिससे वह दिन भर धूप से गर्मी लेता रहे।

   यह मुझे स्मरण दिलाता है कि हम मसीही विश्वासियों को भी अपने आप को परमेश्वर के प्रेम में बनाए रखना चाहिए। इसका यह कदापि तात्पर्य नहीं है कि हमें कुछ ऐसा विशेष करते रहना होगा कि परमेश्वर हम से प्रेम करता रहे! मसीही विश्वासी होने के नाते हम परमेश्वर की सन्तान हैं और परमेश्वर हम से सदा प्रेम करता है, हमारे प्रति उसका प्रेम कभी कम नहीं होता, चाहे हम कुछ करें या ना करें - हमारे प्रति उसका प्रेम हमारे कर्मों पर नहीं वरन मसीह यीशु में होकर उसके साथ हमारे कभी ना बदलने तथा कभी ना टलने वाले पिता-पुत्र के संबंध पर आधारित है, और उसने तो हम से तब भी प्रेम किया जब हम अपने पापों में थे, उससे दूर थे; परमेश्वर ने हमसे हमारे जन्म लेने से पूर्व भी प्रेम किया और वह अब भी हम से प्रेम करता है। परमेश्वर के हमारे प्रति प्रेम से हमें कुछ भी अलग नहीं कर सकता, जैसा परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पौलुस ने लिखा, "न गहिराई और न कोई और सृष्टि, हमें परमेश्वर के प्रेम से, जो हमारे प्रभु मसीह यीशु में है, अलग कर सकेगी" (रोमियों 8:39)। उसके प्रेम में बने रहने से तात्पर्य यह है कि हमें उसके साथ निकटता से बने रहने और चलते रहने के द्वारा अपने आप को सदा उसके प्रेम की गर्माहट में बनाए रखना है।

   प्रेरित यूहन्ना ने अपने द्वारा लिखित प्रभु यीशु की जीवनी में पाँच बार अपने आप को "वह चेला जिससे प्रभु प्रेम करता था" कहकर संबोधित किया (यूहन्ना 13:23; 19:26; 20:2; 21:7, 20)। प्रभु यीशु तो अपने सब चेलों से प्रेम रखता था, चेलों के प्रति प्रभु के प्रेम में कभी कोई भेद-भाव नहीं था; यहूदा इस्करियोती के प्रति भी नहीं जो अन्ततः उसे पकड़वाने वाला था। लेकिन यूहन्ना इस बात से आनन्दित रहता था कि प्रभु उससे प्रेम करता है और इस बात को व्यक्त करता रहता था। आज हम भी यूहन्ना की यह बात ऐसे ही अपना सकते हैं और इस बात से आनन्दित रह सकते हैं, इसे बार बार अपने आप से दोहरा सकते हैं कि प्रभु हम से भी प्रेम करता है।

   हम जितना अपने प्रति प्रभु परमेश्वर के प्रेम को स्मरण करते रहेंगे, हम उसके प्रेम के आनन्द को उतना अधिक अनुभव करते रहेंगे और हमारे लिए शैतान तथा संसार की बातों में आकर ठोकर खाना और गिरना उतना ही अधिक कठिन होता जाएगा। परमेश्वर के प्रेम के आनन्द में बने रहें; उससे बढ़कर कोई अन्य आनन्द नहीं है। - डेविड रोपर

    
परमेश्वर हम से इसलिए प्रेम नहीं करता कि हम कौन हैं, वरन वह कौन है इसलिए प्रेम करता है।

अपने आप को परमेश्वर के प्रेम में बनाए रखो; और अनन्त जीवन के लिये हमारे प्रभु यीशु मसीह की दया की आशा देखते रहो। - यहूदा 1:21

बाइबल पाठ: रोमियों 8:31-39
Romans 8:31 सो हम इन बातों के विषय में क्या कहें? यदि परमेश्वर हमारी ओर है, तो हमारा विरोधी कौन हो सकता है? 
Romans 8:32 जिसने अपने निज पुत्र को भी न रख छोड़ा, परन्तु उसे हम सब के लिये दे दिया: वह उसके साथ हमें और सब कुछ क्योंकर न देगा? 
Romans 8:33 परमेश्वर के चुने हुओं पर दोष कौन लगाएगा? परमेश्वर वह है जो उन को धर्मी ठहराने वाला है। 
Romans 8:34 फिर कौन है जो दण्ड की आज्ञा देगा? मसीह वह है जो मर गया वरन मुर्दों में से जी भी उठा, और परमेश्वर की दाहिनी ओर है, और हमारे लिये निवेदन भी करता है। 
Romans 8:35 कौन हम को मसीह के प्रेम से अलग करेगा? क्या क्लेश, या संकट, या उपद्रव, या अकाल, या नंगाई, या जोखिम, या तलवार? 
Romans 8:36 जैसा लिखा है, कि तेरे लिये हम दिन भर घात किए जाते हैं; हम वध होने वाली भेंडों की नाईं गिने गए हैं। 
Romans 8:37 परन्तु इन सब बातों में हम उसके द्वारा जिसने हम से प्रेम किया है, जयवन्त से भी बढ़कर हैं। 
Romans 8:38 क्योंकि मैं निश्चय जानता हूं, कि न मृत्यु, न जीवन, न स्वर्गदूत, न प्रधानताएं, न वर्तमान, न भविष्य, न सामर्थ, न ऊंचाई, 
Romans 8:39 न गहिराई और न कोई और सृष्टि, हमें परमेश्वर के प्रेम से, जो हमारे प्रभु मसीह यीशु में है, अलग कर सकेगी।

एक साल में बाइबल: 
  • अय्युब 36-37
  • प्रेरितों 15:22-41