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शुक्रवार, 18 अक्टूबर 2013

सहानुभूति

   मेरा एक मित्र है जो अपने घर से ही कार्य करता है और उसने अपने घर के एक कमरे को अपना कार्यालय बना रखा है। एक शाम वह कुछ आवश्यक कार्य कर रहा था, उसकी 4 वर्षीय बेटी भी वहीं पर खेल रही थी। वह बच्ची कभी मेज़ की दराज़ खींचती और अन्दर के सामान को निकाल कर बाहर फैला देती, कभी भिन्न चिज़ों को इधर-उधर बिखेरती, उसके चारों ओर चक्कर लगाती और शोर मचाती रही। मेरा मित्र यह सब सहता रहा और चुपचाप अपना कार्य करता रहा।

   अचानक ही मेज़ की एक दराज़ बन्द करते हुए उस बच्ची की ऊँगली दब गई और वह चिल्लाकर रो पड़ी। मेरे मित्र ने खिसिए हुए स्वर में कहा, "बस! अब बहुत हो गया!" और उस बच्ची को उठाकर कमरे से बाहर ले गया और दरवाज़ा बन्द कर लिया। बाद में बच्ची की माँ ने बच्ची को अपने कमरे में रोते हुए पाया। माँ ने उससे पूछा, "क्या तुम्हारी ऊँगली अभी भी दुख रही है?" बच्ची ने रोते हुए उत्तर दिया, "नहीं"; माँ ने फिर पूछा, "तो फिर तुम रो क्यों रही हो?" बच्ची ने रोते हुए ही उत्तर दिया, "क्योंकि जब मेरी ऊँगली पर चोट आई तो पापा ने ’हाय’ नहीं कहा।"

   अनेक बार हमें बस इतना ही तो चाहिए होता है - कोई हमारी पीड़ा को समझे और हमसे दो शब्द सहानुभूति के कहे। कोई ऐसा जन जो करुणा और दया के साथ हमारी तकलीफों में हमारे साथ प्रतिक्रीया करे; जो हमारे लिए ’हाय’ कहने वाला हो। प्रभु यीशु में हमारे पास एक ऐसा जन है। प्रभु यीशु हमारी हर पीड़ा को समझता है, हम से सहानुभूति रखता है और हमसे इतना प्रेम रखता है कि हमारे पापों से छुड़ाए जाने के लिए उसने उन पापों को अपने ऊपर ले लिया और अपने प्राण बलिदान कर दिए जिससे हम पापों के दण्ड से बच जाएं और उद्धार पाएं।

   अब वह हमसे आशा रखता है कि जैसे वह हमारे प्रति अनुग्रहकारी और सहानुभूतिपूर्ण रहा, हम भी दूसरों के साथ ऐसा ही प्रेमपूर्ण व्यवहार दिखाएं और उनके दुखों में उन्हें शान्ति और सांत्वना देने वाले लोग हों। अपने उद्धारकर्ता के प्रति यह हम मसीही विश्वासियों का कर्तव्य है। - डेविड रोपर


हमारी परीक्षाओं के शोर को परमेश्वर की दिलासा की धीमी से आवाज़ भी शान्त कर देती है।

यहोवा अनुग्रहकारी और दयालु, विलम्ब से क्रोध करने वाला और अति करूणामय है। - भजन145:8

बाइबल पाठ: इफिसियों 5:1-10
Ephesians 5:1 इसलिये प्रिय, बालकों की नाईं परमेश्वर के सदृश बनो। 
Ephesians 5:2 और प्रेम में चलो; जैसे मसीह ने भी तुम से प्रेम किया; और हमारे लिये अपने आप को सुखदायक सुगन्‍ध के लिये परमेश्वर के आगे भेंट कर के बलिदान कर दिया। 
Ephesians 5:3 और जैसा पवित्र लोगों के योग्य है, वैसा तुम में व्यभिचार, और किसी प्रकार अशुद्ध काम, या लोभ की चर्चा तक न हो। 
Ephesians 5:4 और न निर्लज्ज़ता, न मूढ़ता की बातचीत की, न ठट्ठे की, क्योंकि ये बातें सोहती नहीं, वरन धन्यवाद ही सुना जाएं। 
Ephesians 5:5 क्योंकि तुम यह जानते हो, कि किसी व्यभिचारी, या अशुद्ध जन, या लोभी मनुष्य की, जो मूरत पूजने वाले के बराबर है, मसीह और परमेश्वर के राज्य में मीरास नहीं। 
Ephesians 5:6 कोई तुम्हें व्यर्थ बातों से धोखा न दे; क्योंकि इन ही कामों के कारण परमेश्वर का क्रोध आज्ञा ने मानने वालों पर भड़कता है। 
Ephesians 5:7 इसलिये तुम उन के सहभागी न हो। 
Ephesians 5:8 क्योंकि तुम तो पहले अन्धकार थे परन्तु अब प्रभु में ज्योति हो, सो ज्योति की सन्तान की नाईं चलो। 
Ephesians 5:9 (क्योंकि ज्योति का फल सब प्रकार की भलाई, और धामिर्कता, और सत्य है)। 
Ephesians 5:10 और यह परखो, कि प्रभु को क्या भाता है।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 53-55 
  • 2 थिस्सुलुनीकियों 1