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गुरुवार, 13 मई 2010

भक्ति का शोक

चोरों ने वेस्ट विर्जीनिया के एक चर्च से ५००० डॉलर मूल्य का सामान चुरा लिया। अगली रात उन्होंने चुपचाप से चर्च में घुसकर सारा सामान वापस रख दिया। सम्भवतः एक चर्च में चोरी करने के दोष ने उनकी अन्तरात्मा को बोझिल किया और उन्हें लगा कि "तू चोरी न करना" (निर्गमन २०:१५) आज्ञा के उल्लंघन के अपने इस आपराधिक व्यवहार को उन्हें सुधारना चाहिये। उनके इस व्यवहार ने मुझे सांसरिक रीति के शोक और परमेश्वरीय भक्ति के शोक के बारे में सोचने का अवसर दिया।

पौलुस ने कुरिन्थियों की मण्डली द्वारा इस फर्क को समझने के लिये उनकी सराहना करी। उस मण्डली को लिखी गई पौलुस की पहली पत्री काफी तीखी थी, क्योंकि उसमें उस ने उन में पाये जाने वाले पापों के बारे में लिखा था। पौलुस की बातों से उनमें शोक उत्पन्न हुआ और इससे पौलुस आनन्दित हुआ। क्यों? क्योंकि उनका शोक पापों के पकड़े जाने या पापों के बुरे परिणाम भोगने से ही संभधित नहीं था। उनक शोक परमेश्वरीय भक्ति का शोक था, अपने पापों के लिये सच्चा पछ्तावा। इस शोक ने उन्हें पश्चाताप करवाया - उनकी विचारधारा में एक परिवर्तन जिससे वे पापों को त्यागकर सच्चे मन से परमेश्वर की ओर मुड़े। पश्चाताप ने अन्ततः उन्हें उनके पापम्य स्वभाव से मुक्ति दिलाई।

पश्चाताप या मनफिराव ऐसा कार्य नहीं है जिसे हम स्वतः ही कर सकें, इसके लिये पवित्र आत्मा की प्रेरणा आवश्यक है; यह परमेश्वर की ओर से दिया गया वरदान है। परमेश्वर से आज ही मनफिराव के लिये प्रार्थना करें (२ तिमुथियुस २:२४-४६)। - मार्विन विलियम्स


मनफिराव का अर्थ है कि पाप से ऐसी घृणा करना के उससे हट जाएं।


बाइबल पाठः २ कुरिन्थियों ७:५-१०


मैं आनन्दित हूं, पर इसलिये नहीं कि तुम को शोक पहुंचा, वरन इसलिये कि तुमने उस शोक के कारण मन फिराया, क्योंकि तुम्हारा शोक परमेश्वर की इच्छा के अनुसार था। - २ कुरिन्थियों ७:(


एक साल में बाइबल:
  • २ राजा १७, १८
  • यूहन्ना३:१९-३६