मुझे अभी भी स्मरण है कि हम कैसे आनन्द के साथ छुट्टी मनाने के लिए एक परिवार के रूप में निकलते थे, किंतु कार की पिछली सीट पर बैठे बच्चों के आपसी झगड़ों के कारण छुट्टी के आनन्द का सारा मज़ा किरकिरा हो जाता था। ऐसा कौन सा परिवार है जो छोटी छोटी और बिना महत्व की बातों पर बच्चों के आपसी झगड़ों, एक दूसरे की शिकायतों, बच्चों की एक दूसरे से तुलना और एक दूसरे के प्रति माता-पिता के प्रेम के आंकलन से दुखी नहीं हुआ होगा?
यदि आप ऐसे अनुभव से होकर निकले हैं तो आप भली भांति समझ सकेंगे कि हमारे पिता परमेश्वर को कैसा प्रतीत होता है जब उनकी सन्तान उनके प्रेम को संसार में फैलाने की बजाए आपस में लड़ती-झगड़ती है, एक दूसरे से दुर्व्यहार और एक दूसरे की शिकायतें करने में लगी रहती है। हमारा आपस में मेल-मिलाप से रहना परमेश्वर के लिए महत्वपूर्ण है। प्रभु यीशु ने क्रूस पर चढ़ाए जाने के लिए पकड़वाए जाने से पहले अपने वर्तमान और भविष्य के चेलों की आपसी एकमनता के लिए प्रार्थना करी: "मैं केवल इन्हीं के लिये बिनती नहीं करता, परन्तु उन के लिये भी जो इन के वचन के द्वारा मुझ पर विश्वास करेंगे, कि वे सब एक हों। जैसा तू हे पिता मुझ में हैं, और मैं तुझ में हूं, वैसे ही वे भी हम में हों, इसलिये कि जगत प्रतीति करे, कि तू ने ही मुझे भेजा है" (यूहन्ना १७:२०-२१)। प्रभु यीशु ने आपस में बड़ा-छोटा होने का विवाद करने वाले अपने चेलों को निर्देष भी दिया कि वे परस्पर डाह और विरोध नहीं वरन प्रेम और सेवा-भाव रखें (यूहन्ना १३:३४-३५; मत्ती २०:२०-२८)। जिन सात बातों से परमेश्वर को जी से घृणा है, उनमें से एक है "... भाइयों के बीच में झगड़ा उत्पन्न करने वाला मनुष्य" (नीतिवचन ६:१९)।
यह अचरज की बात नहीं कि भजनकार ने परमेश्वर की प्रेर्णा से लिखे गए भजन में लिखा है कि जब भाई लोग आपस में मेल-मिलाप से रहते हैं तो "देखो, यह क्या ही भली और मनोहर बात है कि भाई लोग आपस में मिले रहें! यह तो उस उत्तम तेल के समान है, जो हारून के सिर पर डाला गया था, और उसकी दाढ़ी पर बहकर, उसके वस्त्र की छोर तक पहुंच गया" (भजन १३३:१-२)। प्राचीन समयों में अभिषेक के तेल में कई सुगन्धित द्रव्यों को मिश्रित किया जाता था, और इस तेल से अभिषिक्त जन जब कहीं जाता था तो इस विशेष सुगन्ध के द्वारा ही वह पहचान लिया जाता था; उसके पास से आने वाली सुगन्ध जहां भी वह होता था उस स्थान और वहां के वातावरण को सुगन्धित और मनोहर कर देती थी।
हम मसीही विश्वासियों का यही प्रयास रहे कि हमारे आपसी प्रेम और सेवा-भाव की सुगन्ध ना केवल हमारे परिवार और चर्च को महकाए वरन हमारे समाज और कार्य-स्थल को भी मसीह के प्रेम की सुगन्ध से भर दे। - जो स्टोवैल
जो मसीही विश्वासी प्रेम और मेल-मिलाप में रहते हैं उन से मसीह यीशु की सुगन्ध फैलती रहती है।
देखो, यह क्या ही भली और मनोहर बात है कि भाई लोग आपस में मिले रहें! - भजन १३३:१
बाइबल पाठ: भजन १३३:१-३; २ कुरिन्थियों २:१४-१६
Psa 133:1 देखो, यह क्या ही भली और मनोहर बात है कि भाई लोग आपस में मिले रहें!
Psa 133:2 यह तो उस उत्तम तेल के समान है, जो हारून के सिर पर डाला गया था, और उसकी दाढ़ी पर बहकर, उसके वस्त्र की छोर तक पहुंच गया।
Psa 133:3 वह हेर्मोन् की उस ओस के समान है, जो सिरयोन के पहाड़ों पर गिरती है! यहोवा ने तो वहीं सदा के जीवन की आशीष ठहराई है।
2Co 2:14 परन्तु परमेश्वर का धन्यवाद हो, जो मसीह में सदा हम को जय के उत्सव में लिये फिरता है, और अपने ज्ञान का सुगन्ध हमारे द्वारा हर जगह फैलाता है।
2Co 2:15 क्योंकि हम परमेश्वर के निकट उद्धार पाने वालों, और नाश होने वालों, दोनो के लिये मसीह के सुगन्ध हैं।
2Co 2:16 कितनों के लिये तो मरने के निमित्त मृन्यु की गन्ध, और कितनों के लिये जीवन के निमित्त जीवन की सुगन्ध, और इन बातों के योग्य कौन है?
एक साल में बाइबल:
- यर्मियाह ३-५
- १ तिमुथियुस ४