उसमें विस्फोटक शक्ति है, अपने मार्ग में आने वाली हर वस्तु को वह भस्म कर डालता है और उसका प्रभाव आणविक विस्फोट के समान विनाशकारी होता है। जब क्रोध किसी व्यक्ति विशेष को निशाना बना कर प्रदर्षित किया जाए तब वह किसी फटते हुए ज्वालामुखी के समान ही होता है। क्रोध के आवेश का वह समय चाहे थोड़े सी देर का ही हो लेकिन अपने पीछे ध्वस्त भावनाएं, आहत संबंध और पीड़ादायक कटु अनुभव छोड़ जाता है जो लंबे समय तक कष्ट देते रहते हैं।
दुख की बात यह भी है कि वे लोग जिनसे हम प्रेम करते हैं और जिनके साथ हम समय व्यतीत करते हैं, वे ही हमारे क्रोध और आहत करने वाले शब्दों का सबसे अधिक शिकार होते हैं। चाहे हम आवेश में आकर क्रोधित हों या किसी बात से उकसाए गए हों, प्रतिक्रीया के लिए एक चुनाव सदा ही हमारे हाथ में होता है - हमारी प्रतिक्रीया क्रोध में होगी या संयम तथा सहनशीलता के साथ।
परमेश्वर का वचन बाइबल हमें सिखाती है कि "सब प्रकार की कड़वाहट और प्रकोप और क्रोध, और कलह, और निन्दा सब बैरभाव समेत तुम से दूर की जाए। और एक दूसरे पर कृपाल, और करूणामय हो, और जैसे परमेश्वर ने मसीह में तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी एक दूसरे के अपराध क्षमा करो" (इफिसियों ४:३१-३२)।
यदि आप क्रोध करने की आदत से परेशान हैं और इसके कारण आपके संबंधों पर प्रभाव आ रहा है तो अपनी इस कमज़ोरी को प्रभु यीशु के हाथों में सौंप दें क्योंकि उसी की सामर्थ से आप इस पर जयवंत हो सकते हैं: "जो मुझे सामर्थ देता है उस में मैं सब कुछ कर सकता हूं" (फिलिप्पियों ४:१३)। परमेश्वर से अपने अनियंत्रित व्यवहार और क्रोध के लिए क्षमा माँगें और उस से प्रार्थना करें कि वह आपको अपनी भावनाओं और आवेश को नियंत्रित करने की सामर्थ दे तथा दूसरों को अपने से अधिक आदर देने वाला बनाए: "भाईचारे के प्रेम से एक दूसरे पर दया रखो; परस्पर आदर करने में एक दूसरे से बढ़ चलो" (रोमियों १२:१०)। अन्य परिपक्व मसीही विश्वासियों से सहायता लें, उनकी संगति में रहें और उनसे सीखें कि उत्तेजित होने पर अपने आप को कैसे संयम में रखें।
यदि परमेश्वर का आदर करने, उसे प्रसन्न करने तथा उसके प्रेम को दूसरों के सामने प्रदर्शित करने की सच्ची मनोभावना मन में होगी तो अपने ज्वालामुखी समान क्रोध पर जयवन्त भी अवश्य होंगे। - सिंडी हैस कैसपर
दूसरों पर अपना क्रोध उँडेल देना क्रोध से छुटकारा पाने का तरीका नहीं है।
क्रोध करने वाला मनुष्य झगड़ा मचाता है और अत्यन्त क्रोध करने वाला अपराधी होता है। - नीतिवचन २९:२२
बाइबल पाठ: इफिसियों ४:२०-३२
Ephesians 4:20 पर तुम ने मसीह की ऐसी शिक्षा नहीं पाई।
Ephesians 4:21 वरन तुम ने सचमुच उसी की सुनी, और जैसा यीशु में सत्य है, उसी में सिखाए भी गए।
Ephesians 4:22 कि तुम अगले चालचलन के पुराने मनुष्यत्व को जो भरमाने वाली अभिलाषाओं के अनुसार भ्रष्ट होता जाता है, उतार डालो।
Ephesians 4:23 और अपने मन के आत्मिक स्वभाव में नये बनते जाओ।
Ephesians 4:24 और नये मनुष्यत्व को पहिन लो, जो परमेश्वर के अनुसार सत्य की धामिर्कता, और पवित्रता में सृजा गया है।
Ephesians 4:25 इस कारण झूठ बोलना छोड़कर हर एक अपने पड़ोसी से सच बोले, क्योंकि हम आपस में एक दूसरे के अंग हैं।
Ephesians 4:26 क्रोध तो करो, पर पाप मत करो: सूर्य अस्त होने तक तुम्हारा क्रोध न रहे।
Ephesians 4:27 और न शैतान को अवसर दो।
Ephesians 4:28 चोरी करने वाला फिर चोरी न करे; वरन भले काम करने में अपने हाथों से परिश्रम करे; इसलिये कि जिसे प्रयोजन हो, उसे देने को उसके पास कुछ हो।
Ephesians 4:29 कोई गन्दी बात तुम्हारे मुंह से न निकले, पर आवश्यकता के अनुसार वही जो उन्नति के लिये उत्तम हो, ताकि उस से सुनने वालों पर अनुग्रह हो।
Ephesians 4:30 और परमेश्वर के पवित्र आत्मा को शोकित मत करो, जिस से तुम पर छुटकारे के दिन के लिये छाप दी गई है।
Ephesians 4:31 सब प्रकार की कड़वाहट और प्रकोप और क्रोध, और कलह, और निन्दा सब बैरभाव समेत तुम से दूर की जाए।
Ephesians 4:32 और एक दूसरे पर कृपाल, और करूणामय हो, और जैसे परमेश्वर ने मसीह में तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी एक दूसरे के अपराध क्षमा करो।
एक साल में बाइबल:
- लैव्यवस्था १३
- मत्ती २६:२६-५०