चित्रकला
की एक कक्षा में, हमारा शिक्षक, जो कि एक बहुत ही अनुभवी व्यावसायिक कलाकार था, मेरे द्वारा बनाए गए चित्र के सामने आकर खड़ा हो गया, और शांत रहते हुए ध्यान से देखने लगा। मैं सोचने लगी, अब ये कहेगा, ‘ये बिलकुल बेकार है;’ लेकिन उसने ऐसा नहीं कहा।
उसने कहा
कि उसे रंगों का चुनाव और चित्र में खुलेपन की भावना अच्छा लगी। फिर वह बोला कि
दूर दिखाए गए पेड़ों को कुछ हल्के रंगों से दिखाया जा सकता है, और निकट दिखाई गए खर-पतवार की झाड़ियों के किनारों को
कुछ सौम्य किया जा सकता है। उसके पास मेरे चित्र की आलोचना करने का पूर्ण अधिकार
था, किन्तु फिर भी उसकी आलोचना सच्ची किन्तु नम्र थी।
परमेश्वर
के वचन बाइबल में प्रभु यीशु के पास, उनके पापों के लिए, लोगों की निंदा करने और उन्हें दोषी ठहराने का पूर्ण अधिकार था। प्रभु ने उस
सामरी स्त्री को, जिससे उसकी मुलाकात कुएँ पर हुई थी, उसके पापों के दोष के नीचे कुचल देने के लिए दस आज्ञाओं से प्रहार नहीं किया।
प्रभु ने केवल कुछ नम्र व्यवहार और वाक्यों के द्वारा उसे उसके जीवन का दिखा दिया; प्रभु द्वारा इतनी ही आलोचना पर्याप्त थी।
परिणामस्वरूप, वह स्त्री यह देखने और समझने पाई कि कैसे संतुष्टि के लिए उसके
प्रयासों ने उसे पापों में उलझा दिया था। उस स्त्री को यह एहसास होने पर, प्रभु ने आगे उसे प्रकट किया कि वही संपूर्ण और
अनन्तकालीन संतुष्टि का स्त्रोत है (यूहन्ना 4:10-13)।
इस परिस्थिति
में प्रभु द्वारा अनुग्रह और सत्य का अद्भुत तालमेल के साथ प्रयोग करना उस स्त्री
के जीवन को, और फिर उस गाँव के लोगों के
जीवनों को बदलने का माध्यम बना। आज हमारे साथ संबंध में भी प्रभु इसी अनुग्रह और सत्य
का प्रयोग करता है (यूहन्ना 1:17), नम्रता के साथ हमारे जीवन की
वास्तविकता हम पर प्रकट करता है। उसका अनुग्रह हमें हमारे पाप से अभिभूत नहीं होने
देता है; और उसका सत्य हमें उस पाप की, एक
मामूली सी बात के समान अनदेखी नहीं करने देता है।
क्या हम
प्रभु यीशु को आमंत्रित करेंगे कि वह आकर हमारे जीवन का अवलोकन करे और अपनी नम्र
आलोचना के द्वारा हमें जीवन को सुधारने का मार्ग सिखाए? – जेनिफर बेन्सन शुल्ट
प्रभु परमेश्वर मुझे मेरे पाप से छुड़ाकर अनन्त जीवन के
मार्ग पर डालने के लिए धन्यवाद।
इसलिये कि व्यवस्था तो मूसा के द्वारा दी गई; परन्तु अनुग्रह, और सच्चाई यीशु मसीह के द्वारा पहुंची। - यूहन्ना
1:17
बाइबल पाठ: यूहन्ना 4:7-15, 28-29
यूहन्ना 4:7 इतने में एक सामरी स्त्री जल भरने को आई: यीशु ने
उस से कहा, मुझे पानी पिला।
यूहन्ना 4:8 क्योंकि उसके चेले तो नगर में भोजन मोल लेने को
गए थे।
यूहन्ना 4:9 उस सामरी स्त्री ने उस से कहा, तू यहूदी हो कर मुझ सामरी स्त्री से पानी क्यों मांगता है? (क्योंकि यहूदी सामरियों के साथ किसी प्रकार का व्यवहार नहीं रखते।)
यूहन्ना 4:10 यीशु ने उत्तर दिया, यदि तू परमेश्वर
के वरदान को जानती, और यह भी जानती कि वह कौन है जो तुझ से कहता है; मुझे पानी पिला तो तू उस से मांगती, और वह तुझे जीवन का जल देता।
यूहन्ना 4:11 स्त्री ने उस से कहा, हे प्रभु, तेरे पास जल भरने को तो कुछ है भी नहीं, और कुआं गहरा है:
तो फिर वह जीवन का जल तेरे पास कहां से आया?
यूहन्ना 4:12 क्या तू हमारे पिता याकूब से बड़ा है, जिसने हमें यह कुआं दिया; और आप ही अपने सन्तान, और अपने पशुओं समेत उस में से पीया?
यूहन्ना 4:13 यीशु ने उसको उत्तर दिया, कि जो कोई यह जल पीएगा वह फिर प्यासा होगा।
यूहन्ना 4:14 परन्तु जो कोई उस जल में से पीएगा जो मैं उसे दूंगा, वह फिर अनन्तकाल तक प्यासा न होगा: वरन जो जल मैं उसे दूंगा, वह उस में एक सोता बन जाएगा जो अनन्त जीवन के लिये उमड़ता रहेगा।
यूहन्ना 4:15 स्त्री ने उस से कहा, हे प्रभु, वह जल मुझे दे ताकि मैं प्यासी न होऊं और न जल भरने को इतनी दूर आऊं।
यूहन्ना 4:28 तब स्त्री अपना घड़ा छोड़कर नगर में चली गई, और लोगों से कहने लगी।
यूहन्ना 4:29 आओ, एक मनुष्य को देखो, जिसने सब कुछ जो मैं ने किया मुझे बता दिया: कहीं यही तो मसीह नहीं है?
एक साल में बाइबल:
- 2 राजाओं 19-21
- यूहन्ना 4:1-30