मुझे
पक्षी बहुत पसन्द हैं, इसलिए मैं पिंजरे में रखे छः पक्षी खरीद लाया और अपनी बेटी
एलिस को उन्हें सौंप दिया, जो उनकी देखभाल करने लगी। फिर उनमें से एक पक्षी बीमार
पड़कर मर गया। हम सोचने लगे कि यदि वे पक्षी पिंजरे में होने के स्थान पर खुले उड़
रहे होते तो अधिक स्वस्थ रहते। इसलिए हमने शेष पाँचों पक्षियों को पिंजरे से रिहा
कर दिया और उन्हें आनन्द के साथ उड़कर जाते हुए देखा।
तब
एलिस ने ध्यान दिलाया, “पिताजी, क्या आपने ध्यान किया, कि एक पक्षी की मृत्यु औरों
की स्वतंत्रता का कारण बन गई?”
प्रभु
यीशु ने भी तो हम सभी के लिए यही किया! जिस प्रकार एक मनुष्य (आदम) के पाप से सारे
सँसार पर मृत्यु आई, उसी प्रकार एक मनुष्य (प्रभु यीशु) की धार्मिकता के द्वारा उन
सभी के लिए जीवन और उद्धार भी आया, जो उसपर विश्वास लाते हैं (रोमियों 5:12-19)।
प्रभु यीशु ने कहा “अच्छा चरवाहा मैं हूं; अच्छा चरवाहा भेड़ों के लिये अपना प्राण देता
है” (यूहन्ना 10:11)।
यूहन्ना
इसे और अधिक व्यावाहारिक बना देता है जब वह कहता है, “हम ने प्रेम इसी से जाना,
कि उसने हमारे लिये अपने प्राण दे दिए; और
हमें भी भाइयों के लिये प्राण देना चाहिए” (1 यूहन्ना 3:16)।
इसका अर्थ शारीरिक मर जाना नहीं है, परन्तु जब हम अपने जीवनों को प्रभु यीशु के
बलिदानी प्रेम के अनुरूप करते हैं, हम पाते हैं कि हम भी “अपने प्राण दे रहे हैं।”
उदाहरण के लिए, हम यह निर्णय कर सकते हैं कि दूसरों के साथ बाँटने के लिए हम भौतिक
वस्तुओं का त्याग करेंगे; या किसी ऐसे के लिए अपने समय को लगाएंगे जिसे सांत्वना
और संगति की आवश्यकता है।
आज
आपको क्या बलिदान करने की आवश्यकता है? – लॉरेंस दरमानी
मसीह का महान बलिदान, हमें प्रेरित करता है
कि हम भी औरों के लिए बलिदान करें।
दिया करो, तो तुम्हें
भी दिया जाएगा: लोग पूरा नाप दबा दबाकर और हिला हिलाकर और उभरता हुआ तुम्हारी गोद
में डालेंगे, क्योंकि जिस नाप से तुम नापते हो, उसी से तुम्हारे लिये भी नापा जाएगा। - लूका 6:38
बाइबल पाठ: 1 यूहन्ना 3:16-24
1 John 3:16 हम ने
प्रेम इसी से जाना, कि उसने हमारे लिये अपने प्राण दे दिए;
और हमें भी भाइयों के लिये प्राण देना चाहिए।
1 John 3:17 पर जिस
किसी के पास संसार की संपत्ति हो और वह अपने भाई को कंगाल देख कर उस पर तरस न खाना
चाहे, तो उस में परमेश्वर का प्रेम क्योंकर बना रह सकता है?
1 John 3:18 हे
बालकों, हम वचन और जीभ ही से नहीं, पर
काम और सत्य के द्वारा भी प्रेम करें।
1 John 3:19 इसी से
हम जानेंगे, कि हम सत्य के हैं; और जिस
बात में हमारा मन हमें दोष देगा, उसके विषय में हम उसके
साम्हने अपने अपने मन को ढाढ़स दे सकेंगे।
1 John 3:20 क्योंकि
परमेश्वर हमारे मन से बड़ा है; और सब कुछ जानता है।
1 John 3:21 हे
प्रियो, यदि हमारा मन हमें दोष न दे, तो
हमें परमेश्वर के साम्हने हियाव होता है।
1 John 3:22 और जो
कुछ हम मांगते हैं, वह हमें उस से मिलता है; क्योंकि हम उस की आज्ञाओं को मानते हैं; और जो उसे
भाता है वही करते हैं।
1 John 3:23 और उस की
आज्ञा यह है कि हम उसके पुत्र यीशु मसीह के नाम पर विश्वास करें और जैसा उसने हमें
आज्ञा दी है उसी के अनुसार आपस में प्रेम रखें।
1 John 3:24 और जो उस
की आज्ञाओं को मानता है, वह उस में, और
वह उन में बना रहता है: और इसी से, अर्थात उस आत्मा से जो
उसने हमें दिया है, हम जानते हैं, कि
वह हम में बना रहता है।
एक साल में बाइबल:
- यशायाह 43-44
- 1 थिस्सलुनीकियों 2