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गुरुवार, 29 दिसंबर 2016

आश्चर्यकर्म


   मेरे बेटों एन्गस और डेविड के जन्मदिन दिसंबर माह में आते हैं। अपनी बाल्यावस्था में ही उन्होंने अपने अनुभवों से सीख लिया था कि यदि एन्गस को दिसंबर माह के आरंभ में अपने जन्म दिन के अवसर पर उसकी पसन्द का खिलौना नहीं मिला है तो वह उसके क्रिसमस के उपहार में होगा। और डेविड को जो उसके क्रिसमिस के उपहार में नहीं मिला, वह 4 दिन बाद आने वाले उसके जन्म दिन के अवसर पर आ जाएगा। विलंब का अर्थ इन्कार नहीं था।

   जब मार्था और मरियम का भाई लाज़र, जिससे प्रभु यीशु प्रेम करते थे, गंभीर रूप से बीमार हुआ, तो उन्होंने प्रभु यीशु को आने का सन्देश भेजा (यूहन्ना 11:1-3)। संभवतः वे आशा और आशंका के साथ मार्ग की ओर प्रभु यीशु के आने की आँखें लगाए उसकी बाट जोहते रहे होंगे, परन्तु प्रभु यीशु नहीं आए। अन्तिम क्रियाकर्म को हुए भी 4 दिन बीत गए थे जब अन्ततः यीशु नगर में आए (पद 17)।

   मार्था उनसे मिलने गई और कुण्ठित होकर कहा, "...हे प्रभु, यदि तू यहां होता, तो मेरा भाई कदापि न मरता" (पद 21), और फिर उसका विश्वास पुनः जागृत हुआ और वह आगे बोली, "और अब भी मैं जानती हूं, कि जो कुछ तू परमेश्वर से मांगेगा, परमेश्वर तुझे देगा" (पद 22)। मैं सोचता हूँ कि उसने किस आशा के साथ यह कहा होगा? लाज़र अब मर चुका था, और वह उसकी कब्र को खोलने के लिए राज़ी नहीं थी (पद 39)। परन्तु फिर भी, प्रभु यीशु के एक कहने पर लाज़र की आत्मा उसके सड़ते हुए शरीर में वापस आ गई (पद 41-44)। प्रभु यीशु ने अपने बीमार मित्र को केवल चँगा कर देने की बजाए उससे भी बड़ा आश्चर्यकर्म करने के लिए विलंब किया था, कि उसे मृतकों में से वापस ला सके। उसके इस विलंब का परिणाम यह भी हुआ कि इस आश्चर्यकर्म के कारण अनेकों यहूदियों ने उस पर विश्वास किया (पद 45)।

   परमेश्वर के समय और विधि की धैर्य के साथ प्रतीक्षा करना, हमारे जीवनों में भी हमारी आशा से कहीं बढ़कर आश्चर्यकर्म ला सकता है। - मेरियन स्ट्राउड


परमेश्वर के लिए प्रतीक्षा में लगाया गया समय कभी गँवाया हुआ नहीं होता।

वरन जितने तेरी बाट जोहते हैं उन में से कोई लज्जित न होगा; परन्तु जो अकारण विश्वासघाती हैं वे ही लज्जित होंगे। हे यहोवा अपने मार्ग मुझ को दिखला; अपना पथ मुझे बता दे। मुझे अपने सत्य पर चला और शिक्षा दे, क्योंकि तू मेरा उद्धार करने वाला परमेश्वर है; मैं दिन भर तेरी ही बाट जोहता रहता हूं। - भजन 25:3-5

बाइबल पाठ: यूहन्ना 11:20-45
John 11:20 सो मारथा यीशु के आने का समचार सुनकर उस से भेंट करने को गई, परन्तु मरियम घर में बैठी रही। 
John 11:21 मारथा ने यीशु से कहा, हे प्रभु, यदि तू यहां होता, तो मेरा भाई कदापि न मरता।
John 11:22 और अब भी मैं जानती हूं, कि जो कुछ तू परमेश्वर से मांगेगा, परमेश्वर तुझे देगा। 
John 11:23 यीशु ने उस से कहा, तेरा भाई जी उठेगा। 
John 11:24 मारथा ने उस से कहा, मैं जानती हूं, कि अन्‍तिम दिन में पुनरुत्थान के समय वह जी उठेगा। 
John 11:25 यीशु ने उस से कहा, पुनरुत्थान और जीवन मैं ही हूं, जो कोई मुझ पर विश्वास करता है वह यदि मर भी जाए, तौभी जीएगा। 
John 11:26 और जो कोई जीवता है, और मुझ पर विश्वास करता है, वह अनन्तकाल तक न मरेगा, क्या तू इस बात पर विश्वास करती है? 
John 11:27 उसने उस से कहा, हां हे प्रभु, मैं विश्वास कर चुकी हूं, कि परमेश्वर का पुत्र मसीह जो जगत में आनेवाला था, वह तू ही है। 
John 11:28 यह कहकर वह चली गई, और अपनी बहिन मरियम को चुपके से बुलाकर कहा, गुरू यहीं है, और तुझे बुलाता है। 
John 11:29 वह सुनते ही तुरन्त उठ कर उसके पास आई। 
John 11:30 (यीशु अभी गांव में नहीं पहुंचा था, परन्तु उसी स्थान में था जहां मारथा ने उस से भेंट की थी।) 
John 11:31 तब जो यहूदी उसके साथ घर में थे, और उसे शान्‍ति दे रहे थे, यह देखकर कि मरियम तुरन्त उठके बाहर गई है और यह समझकर कि वह कब्र पर रोने को जाती है, उसके पीछे हो लिये। 
John 11:32 जब मरियम वहां पहुंची जहां यीशु था, तो उसे देखते ही उसके पांवों पर गिर के कहा, हे प्रभु, यदि तू यहां होता तो मेरा भाई न मरता। 
John 11:33 जब यीशु न उसको और उन यहूदियों को जो उसके साथ आए थे रोते हुए देखा, तो आत्मा में बहुत ही उदास हुआ, और घबरा कर कहा, तुम ने उसे कहां रखा है? 
John 11:34 उन्होंने उस से कहा, हे प्रभु, चलकर देख ले। 
John 11:35 यीशु के आंसू बहने लगे। 
John 11:36 तब यहूदी कहने लगे, देखो, वह उस से कैसी प्रीति रखता था। 
John 11:37 परन्तु उन में से कितनों ने कहा, क्या यह जिसने अन्धे की आंखें खोली, यह भी न कर सका कि यह मनुष्य न मरता?
John 11:38 यीशु मन में फिर बहुत ही उदास हो कर कब्र पर आया, वह एक गुफा थी, और एक पत्थर उस पर धरा था। 
John 11:39 यीशु ने कहा; पत्थर को उठाओ: उस मरे हुए की बहिन मारथा उस से कहने लगी, हे प्रभु, उस में से अब तो र्दुगंध आती है क्योंकि उसे मरे चार दिन हो गए। 
John 11:40 यीशु ने उस से कहा, क्या मैं ने तुझ से न कहा था कि यदि तू विश्वास करेगी, तो परमेश्वर की महिमा को देखेगी। 
John 11:41 तब उन्होंने उस पत्थर को हटाया, फिर यीशु ने आंखें उठा कर कहा, हे पिता, मैं तेरा धन्यवाद करता हूं कि तू ने मेरी सुन ली है। 
John 11:42 और मैं जानता था, कि तू सदा मेरी सुनता है, परन्तु जो भीड़ आस पास खड़ी है, उन के कारण मैं ने यह कहा, जिस से कि वे विश्वास करें, कि तू ने मुझे भेजा है। 
John 11:43 यह कहकर उसने बड़े शब्द से पुकारा, कि हे लाजर, निकल आ। 
John 11:44 जो मर गया था, वह कफन से हाथ पांव बन्‍धे हुए निकल आया और उसका मुंह अंगोछे से लिपटा हुआ था। यीशु ने उन से कहा, उसे खोल कर जाने दो।
John 11:45 तब जो यहूदी मरियम के पास आए थे, और उसका यह काम देखा था, उन में से बहुतों ने उस पर विश्वास किया।

एक साल में बाइबल: 
  • ज़कर्याह 9-12
  • प्रकाशितवाक्य 20