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गुरुवार, 26 जुलाई 2018

रेगमाल



      मेरी सहेली के शब्दों से मुझे पीड़ा हुई। मेरे दृढ़ विचारों के प्रति उसकी तीक्षण टिप्पणियाँ मेरे मन में गूंज रही थी, और मुझे सोने नहीं दे रही थीं। बिस्तर पर लेटे लेटे मैंनें परमेश्वर से परिस्थिति पर जयवंत होने के लिए बुद्धिमता और शान्ति माँगी। इसके कई सप्ताह पश्चात, अभी भी इस विषय पर चिन्तित, मैंने परमेश्वर से प्रार्थना की, “प्रभु मुझे अभी भी तकलीफ है; मुझे दिखाईये कि मुझे अपने जीवन में क्या परिवर्तन लाने हैं। मुझे दिखाईये कि कहाँ कहाँ वह सही है।”

      मेरी सहेली ने मेरे जीवन में परमेश्वर के रेगमाल होने का कार्य किया। मेरी भावनाएँ और विचार उस रगड़ से छिल कर पीड़ा दायक हो गए, परन्तु मैंने एहसास किया कि मेरी प्रतिक्रिया, मेरे चरित्र का निर्माण करेगी – अथवा नहीं, क्योंकि मुझे समतल किए जाने की इस प्रक्रिया को समर्पित होना अथवा नहीं होना मेरा चुनाव था। अपने घमण्ड और ढिटाई को स्वीकार करते हुए मैंने क्षमा माँगी, क्योंकि मुझे एहसास था कि मेरे जीवन के ये ऊबड़-खाबड़ भाग परमेश्वर को महिमा नहीं देते थे।

      परमेश्वर के वचन बाइबल के एक प्रमुख पात्र, राजा सुलेमान को पता था कि समाज में जीवन बिताना कठिन हो सकता है, उसने इस विषय में अपनी नीतिवचनों में लिखा। बाइबल की नीतिवचन नामक पुस्तक के 27 अध्याय में हम उसकी बुद्धिमता को संबंधों पर लागू किया गया देखते हैं। उसने मित्रों के बीच तीखी नोंक-झोंक को लोहे के द्वारा लोहे को पैना किए जाने के रूप में देखा, “जैसे लोहा लोहे को चमका देता है, वैसे ही मनुष्य का मुख अपने मित्र की संगति से चमकदार हो जाता है” (पद 17), संगति में एक दूसरे के व्यवहार के खुरदरेपन को हटाकर समतल और मृदु करना। इस प्रक्रिया में घाव हो सकते हैं, जैसे कि मैंनें अपनी सहेली के शब्दों से अनुभव किए थे (देखें पद 6), परन्तु प्रभु इन शब्दों का प्रयोग हमें संवारने, निखारने हमें और प्रोत्साहित करने के लिए कर सकता है, जिससे हमारे आचरण तथा व्यवहार में आवश्यक परिवर्तन आ सकें।

      आज परमेश्वर अपने किस रेगमाल के द्वारा आपके खुरदरे भागों को समतल और मृदु कर रहा है? – एमी बाउचर पाई


जीवन के रेगमाल के द्वारा परमेश्वर आपके खुरदरेपन को समतल और मृदु करता है।

और प्रेम, और भले कामों में उक्साने के लिये एक दूसरे की चिन्‍ता किया करें। - इब्रानियों 10:24

बाइबल पाठ: नीतिवचन 27:5-17
Proverbs 27:5 खुली हुई डांट गुप्त प्रेम से उत्तम है।
Proverbs 27:6 जो घाव मित्र के हाथ से लगें वह विश्वासयोग्य है परन्तु बैरी अधिक चुम्बन करता है।
Proverbs 27:7 सन्तुष्ट होने पर मधु का छत्ता भी फीका लगता है, परन्तु भूखे को सब कड़वी वस्तुएं भी मीठी जान पड़ती हैं।
Proverbs 27:8 स्थान छोड़ कर घूमने वाला मनुष्य उस चिडिय़ा के समान है, जो घोंसला छोड़ कर उड़ती फिरती है।
Proverbs 27:9 जैसे तेल और सुगन्ध से, वैसे ही मित्र के हृदय की मनोहर सम्मति से मन आनन्दित होता है।
Proverbs 27:10 जो तेरा और तेरे पिता का भी मित्र हो उसे न छोड़ना; और अपनी विपत्ति के दिन अपने भाई के घर न जाना। प्रेम करने वाला पड़ोसी, दूर रहने वाले भाई से कहीं उत्तम है।
Proverbs 27:11 हे मेरे पुत्र, बुद्धिमान हो कर मेरा मन आनन्दित कर, तब मैं अपने निन्दा करने वाले को उत्तर दे सकूंगा।
Proverbs 27:12 बुद्धिमान मनुष्य विपत्ति को आती देख कर छिप जाता है; परन्तु भोले लोग आगे बढ़े चले जाते और हानि उठाते हैं।
Proverbs 27:13 जो पराए का उत्तरदायी हो उसका कपड़ा, और जो अनजान का उत्तरदायी हो उस से बन्धक की वस्तु ले ले।
Proverbs 27:14 जो भोर को उठ कर अपने पड़ोसी को ऊंचे शब्द से आशीर्वाद देता है, उसके लिये यह शाप गिना जाता है।
Proverbs 27:15 झड़ी के दिन पानी का लगातार टपकना, और झगडालू पत्नी दोनों एक से हैं;
Proverbs 27:16 जो उसको रोक रखे, वह वायु को भी रोक रखेगा और दाहिने हाथ से वह तेल पकड़ेगा।
Proverbs 27:17 जैसे लोहा लोहे को चमका देता है, वैसे ही मनुष्य का मुख अपने मित्र की संगति से चमकदार हो जाता है।


एक साल में बाइबल: 
  • भजन 40-42
  • प्रेरितों 27:1-26