ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

सोमवार, 7 सितंबर 2020

देखभाल

 

         मैं जब हाई-स्कूल की पढ़ाई कर रहा था, तब मैं अपने विश्वविद्यालय की टेनिस टीम में भी खेला करता था। मेरे घर के पास ही चार टेनिस कोर्ट्स थे, जिन पर मैंने अपनी किशोरावस्था के बहुत घंटे अपने कौशल को और विकसित करने तथा सुधारने के लिए बिताए थे। पढ़ाई पूरी होने के पश्चात मैं विश्वविद्यालय और उस शहर से चला गया।

         पिछली बार जब मैं उस शहर में गया, तो वहाँ पहुँचकर मेरे सबसे आरंभिक कार्यों में से एक था, कार लेकर उन टेनिस कोर्ट्स पर जाना। मेरी आशा थी कि वहाँ पर अभी भी लोग खेल रहे होंगे, और मैं उन्हें देखूँगा, और अपनी यादों को ताज़ा करूँगा। परन्तु वहाँ पहुंचकर मैंने देखा कि वे पुरानी कोर्ट्स जो मेरी यादों में बसी हुई थीं, अब वहाँ नहीं हैं; उनके स्थान पर एक खाली मैदान था, जिसमें उगी हुई कुछ घास हवा में लहरा रही थी।

         उस दिन की वह दोपहर आज भी मेरी यादों में इस बात का प्रमाण बनकर बसी हुई है कि जीवन कितना क्षणभंगुर है। उन स्थानों में से एक, जहाँ मैंने अपनी युवावस्था की सामर्थ्य का सबसे उत्तम उपयोग किया था, उसका अब अस्तित्व ही नहीं रहा। बाद में अपने इस अनुभव पर मनन करते हुए मुझे परमेश्वर के वचन बाइबल में वृद्ध हो रहे राजा दाऊद द्वारा व्यक्त की गई बात स्मरण हो आई, मनुष्य की आयु घास के समान होती है, वह मैदान के फूल की नाईं फूलता है, जो पवन लगते ही ठहर नहीं सकता, और न वह अपने स्थान में फिर मिलता है। परन्तु यहोवा की करूणा उसके डरवैयों पर युग युग, और उसका धर्म उनके नाती- पोतों पर भी प्रगट होता रहता है” (भजन 103:15-17)।

         हम आयु में बढ़ते जाते हैं और हमारे आस-पास का संसार भी बदलता जाता है, परन्तु परमेश्वर का प्रेम न तो कभी पुराना होता है और न कभी बदलता है। हम उस पर हमेशा भरोसा कर सकते हैं कि जितनों ने उस पर अपना विश्वास रखा है, वह उनकी देखभाल सदा करता रहेगा। - जेम्स बैंक्स

 

इस बदलते हुए संसार में हम अपने कभी न बदलने वाले 

परमेश्वर पर सदा भरोसा बनाए रख सकते हैं।


क्योंकि मैं यहोवा बदलता नहीं; इसी कारण, हे याकूब की सन्तान तुम नाश नहीं हुए। - मलाकी 3:6

बाइबल पाठ:  भजन 103:13-22

भजन संहिता 103:13 जैसे पिता अपने बालकों पर दया करता है, वैसे ही यहोवा अपने डरवैयों पर दया करता है।

भजन संहिता 103:14 क्योंकि वह हमारी सृष्टि जानता है; और उसको स्मरण रहता है कि मनुष्य मिट्टी ही है।

भजन संहिता 103:15 मनुष्य की आयु घास के समान होती है, वह मैदान के फूल के समान फूलता है,

भजन संहिता 103:16 जो पवन लगते ही ठहर नहीं सकता, और न वह अपने स्थान में फिर मिलता है।

भजन संहिता 103:17 परन्तु यहोवा की करुणा उसके डरवैयों पर युग युग, और उसका धर्म उनके नाती-पोतों पर भी प्रगट होता रहता है,

भजन संहिता 103:18 अर्थात उन पर जो उसकी वाचा का पालन करते और उसके उपदेशों को स्मरण कर के उन पर चलते हैं।

भजन संहिता 103:19 यहोवा ने तो अपना सिंहासन स्वर्ग में स्थिर किया है, और उसका राज्य पूरी सृष्टि पर है।

भजन संहिता 103:20 हे यहोवा के दूतों, तुम जो बड़े वीर हो, और उसके वचन के मानने से उसको पूरा करते हो उसको धन्य कहो!

भजन संहिता 103:21 हे यहोवा की सारी सेनाओं, हे उसके टहलुओं, तुम जो उसकी इच्छा पूरी करते हो, उसको धन्य कहो!

भजन संहिता 103:22 हे यहोवा की सारी सृष्टि, उसके राज्य के सब स्थानों में उसको धन्य कहो। हे मेरे मन, तू यहोवा को धन्य कह!

  

एक साल में बाइबल: 

  • नीतिवचन 1-2
  • 1 कुरिन्थियों 16