नव वर्ष का आरंभ अकसर वह समय होता है जब हम अपने लिए कुछ निर्णय लेते हैं कि हम अपनी देखभाल भली भांति करेंगे, व्यायाम करेंगे, सही भोजन सही मात्रा में खाएंगे और बीते समय में जमा किए हुए वज़न को कम करेंगे। इसलिए मैं भी प्रयास करता हूँ की यथासंभव स्वस्थ बना रह सकूँ - मैं सही भोजन खाने का प्रयास करता हूँ - कभी कभी कुछ इधर उधर का हो जाता है, लेकिन प्रयास सही भोजन का ही रहता है; मैं व्यायाम करता हूँ, सैर पर जाता हूँ। परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पौलुस ने कहा है: "क्योंकि देह की साधना से कम लाभ होता है, पर भक्ति सब बातों के लिये लाभदायक है, क्योंकि इस समय के और आने वाले जीवन की भी प्रतिज्ञा इसी के लिये है" (1 तिमुथियुस 4:8); और मैं जानता हूँ कि मेरा शरीर इस संसार में बहुत लम्बे समय तक कायम नहीं रहेगा, उसकी सामर्थ और क्षमता क्षीण होती जा रही है। इसलिए मेरे लिए यह बेहतर है कि मैं अपने शरीर की अपेक्षा उस भक्ति पर अधिक ध्यान दूँ जो परमेश्वर के वचन बाइबल के निर्देश के अनुसार है और जो मेरे ना केवल इस संसार के वरन इस संसार के बाद के जीवन के लिए भी लाभदायक होगी। यह तो निश्चित है कि इस संसार से हम कुछ तो लेकर जाएंगे, यहाँ की धन दौलत शोहरत इत्यादि ना सही परन्तु यहाँ इस संसार में रहते हुए कमाए गए और उस आते जीवन में मिलने वाले हमारे प्रतिफल तो हमारे साथ ही जाएंगे।
हो सकता है कि यह ईश्वरीय भक्ति नीरस, भयावह और हमें अपनी पहुँच से बाहर प्रतीत हो, लेकिन उस ईश्वरीय भक्ति का सार केवल आत्म-त्याग वाला प्रेम है - अपने आप से अधिक दूसरों की चिन्ता करना। इस प्रकार का प्रेम मिलना दुर्लभ है; केवल प्रभु यीशु का प्रेम ही ऐसा प्रेम है, और प्रभु यीशु अपने प्रत्येक अनुयायी को यही प्रेम कर सकने की सामर्थ अपने पवित्र आत्मा की शक्ति से प्रदान करता है। हम मसीही विश्वासियों को प्रभु यीशु पर विश्वास रखते हुए उसकी आज्ञाकारिता के द्वारा इस प्रेम को प्रगट और प्रदर्शित करते रहना है। जितना हम प्रभु यीशु के चरणों पर बैठकर उसकी बात सुनेंगे, उससे वार्तालाप करेंगे, अपने मनों की बातें उसके साथ बाँटेंगे, उतना अधिक हम उसकी समानता में ढलते जाएंगे और उसके इस निस्वार्थ प्रेम को अपने जीवनों से प्रगट करने वाले बनते जाएंगे।
मुझे लगता है कि जीवन, प्रेम में बढ़ते जाने की एक यात्रा है और मैं जानता तथा मानता हूँ कि इसके लिए प्रभु यीशु के प्रेम के समान और कोई प्रेम नहीं है। शारीरिक व्यायाम और अभ्यास से निःसन्देह कुछ लाभ अवश्य होगा, लेकिन इससे भी बढ़कर कुछ और है, एक और अभ्यास है - प्रभु यीशु का प्रेम, उसमें बने रहने, दूसरों को उसके बारे में बताते रहने और उस प्रेम में बढ़ते जाने का अभ्यास। इस नव वर्ष के अपनी उन्नति के निर्णयों में इस अभ्यास को भी सम्मिलित कर लीजिए। - डेविड रोपर
ईश्वरीय भक्ति का प्रगट रूप ही प्रेम है।
इसलिये पहिले तुम उसे राज्य और धर्म की खोज करो तो ये सब वस्तुएं भी तुम्हें मिल जाएंगी। - मत्ती 6:33
बाइबल पाठ: 1 तिमुथियुस 4:6-11
1 Timothy 4:6 यदि तू भाइयों को इन बातों की सुधि दिलाता रहेगा, तो मसीह यीशु का अच्छा सेवक ठहरेगा: और विश्वास और उस अच्छे उपदेश की बातों से, जा तू मानता आया है, तेरा पालन-पोषण होता रहेगा।
1 Timothy 4:7 पर अशुद्ध और बूढिय़ों की सी कहानियों से अलग रह; और भक्ति के लिये अपना साधन कर।
1 Timothy 4:8 क्योंकि देह की साधना से कम लाभ होता है, पर भक्ति सब बातों के लिये लाभदायक है, क्योंकि इस समय के और आने वाले जीवन की भी प्रतिज्ञा इसी के लिये है।
1 Timothy 4:9 और यह बात सच और हर प्रकार से मानने के योग्य है।
1 Timothy 4:10 क्योंकि हम परिश्रम और यत्न इसी लिये करते हैं, कि हमारी आशा उस जीवते परमेश्वर पर है; जो सब मनुष्यों का, और निज कर के विश्वासियों का उद्धारकर्ता है।
1 Timothy 4:11 इन बातों की आज्ञा कर, और सिखाता रह।
एक साल में बाइबल:
- उत्पत्ति 10-11