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सोमवार, 17 दिसंबर 2018

ढांपने वाला



      जब हम प्रभु यीशु मसीह में विश्वास की बात करते हैं तो कभी-कभी शब्दों का प्रयोग बिना उन्हें समझे या समझाए कर लेते हैं। ऐसा ही एक शब्द है “धर्मी”। हम कहते हैं परमेश्वर में “धार्मिकता” है और वह लोगों को धर्मी बनाता है, परंतु इस विचार को समझना और स्वीकार करना कठिन हो सकता है।

      चीनी भाषा में जिस प्रकार से “धार्मिकता” को दिखाया जाता है वह इसके तात्पर्य को समझाने में सहायक है। चीनी भाषा में, जो ऊपर से नीचे की ओर लिखी और पढ़ी जाती है, यह शब्द दो शब्दों के मेल से बना है। ऊपर वाला शब्द ‘मेमना’ है, और नीचे वाला शब्द ‘मैं’ है – मेमना व्यक्ति की ऊपर है, उसे ढाँपे हुए है।

      जब प्रभु यीशु इस सँसार में आए तो यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले ने उनके विषय कहा, “परमेश्वर का मेमना, जो जगत के पाप उठा ले जाता है!” (यूहन्ना 1:29)। हमें हमारे पापों के निवारण की आवश्यकता है क्योंकि पाप हमें परमेश्वर से, जो सर्वसिद्ध और सदा सही है, पृथक करते हैं। हमारे प्रति परमेश्वर के महान प्रेम के अन्तर्गत, परमेश्वर ने अपने पुत्र प्रभु यीशु को “जो पाप से अज्ञात था, उसी को उसने हमारे लिये पाप ठहराया, कि हम उस में हो कर परमेश्वर की धामिर्कता बन जाएं” (2 कुरिन्थियों 5:21)। परमेश्वर के मेमने, प्रभु यीशु ने हमारे पापों के लिए अपने आप को बलिदान कर दिया, उसके बहाए गए लहू से हम ढाँप दिए गए, हमारे पाप धो दिए गए। इस प्रकार मिली पापों की क्षमा और मुक्ति से हम धर्मी ठहरे, जिससे हमें परमेश्वर के साथ एक सही संबंध में होने का आदर मिलता है।

      परमेश्वर के साथ सही संबंध में होना, धर्मी होना, हमारे किन्ही कर्मों के द्वारा नहीं वरन प्रभु के अनुग्रह द्वारा हमें प्रदान किया गया उपहार है। मेमना यीशु, हमें ढाँपने के लिए, हमारे पापों के निवारण के लिए परमेश्वर का उपाय है। - ऐनी सेटास


पाप के लिए एकमात्र स्थाई आवरण प्रभु यीशु का लहू है।

परन्तु परमेश्वर हम पर अपने प्रेम की भलाई इस रीति से प्रगट करता है, कि जब हम पापी ही थे तभी मसीह हमारे लिये मरा। सो जब कि हम, अब उसके लोहू के कारण धर्मी ठहरे, तो उसके द्वारा क्रोध से क्यों न बचेंगे? क्योंकि बैरी होने की दशा में तो उसके पुत्र की मृत्यु के द्वारा हमारा मेल परमेश्वर के साथ हुआ फिर मेल हो जाने पर उसके जीवन के कारण हम उद्धार क्यों न पाएंगे? – रोमियों 5:8-10

बाइबल पाठ: रोमियों 3:19-27
Romans 3:19 हम जानते हैं, कि व्यवस्था जो कुछ कहती है उन्हीं से कहती है, जो व्यवस्था के आधीन हैं: इसलिये कि हर एक मुंह बन्द किया जाए, और सारा संसार परमेश्वर के दण्ड के योग्य ठहरे।
Romans 3:20 क्योंकि व्यवस्था के कामों से कोई प्राणी उसके साम्हने धर्मी नहीं ठहरेगा, इसलिये कि व्यवस्था के द्वारा पाप की पहिचान होती है।
Romans 3:21 पर अब बिना व्यवस्था परमेश्वर की वह धामिर्कता प्रगट हुई है, जिस की गवाही व्यवस्था और भविष्यद्वक्ता देते हैं।
Romans 3:22 अर्थात परमेश्वर की वह धामिर्कता, जो यीशु मसीह पर विश्वास करने से सब विश्वास करने वालों के लिये है; क्योंकि कुछ भेद नहीं।
Romans 3:23 इसलिये कि सब ने पाप किया है और परमेश्वर की महिमा से रहित हैं।
Romans 3:24 परन्तु उसके अनुग्रह से उस छुटकारे के द्वारा जो मसीह यीशु में है, सेंत मेंत धर्मी ठहराए जाते हैं।
Romans 3:25 उसे परमेश्वर ने उसके लोहू के कारण एक ऐसा प्रायश्चित्त ठहराया, जो विश्वास करने से कार्यकारी होता है, कि जो पाप पहिले किए गए, और जिन की परमेश्वर ने अपनी सहनशीलता से आनाकानी की; उन के विषय में वह अपनी धामिर्कता प्रगट करे।
Romans 3:26 वरन इसी समय उस की धामिर्कता प्रगट हो; कि जिस से वह आप ही धर्मी ठहरे, और जो यीशु पर विश्वास करे, उसका भी धर्मी ठहराने वाला हो।
Romans 3:27 तो घमण्ड करना कहां रहा उस की तो जगह ही नहीं: कौन सी व्यवस्था के कारण से? क्या कर्मों की व्यवस्था से? नहीं, वरन विश्वास की व्यवस्था के कारण।
                                                                                                                                                        

एक साल में बाइबल: 
  • अमोस 7-9
  • प्रकाशितवाक्य 8