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शुक्रवार, 18 दिसंबर 2015

खाली


   हमारी पोती जूलिया ने अपना ग्रीष्म अवकाश यूगान्डा के बुसिया में स्थित एक अनाथालय में काम करके प्रशिक्षण लेने में व्यतीत किया। अपने कार्य के अन्तिम दिन वह हर एक बच्चे के पास उससे विदा लेने के लिए गई। एक छोटी लड़की सौम्या उसके जाने से बहुत उदास थी। सौम्या ने जूलिया कहा, "कल आप चली जाएंगी और फिर अगले सप्ताह बाकी आंटियाँ भी चली जाएंगी।" जूलिया ने सौम्या के साथ सहमति जताई कि उसे और बाकी सभी प्रशिक्षुकों को अब जाना होगा। सौम्या ने थोड़ी देर सोच कर कहा, "तब तो हम खाली हो जाएंगे; आप में से कोई भी हमारे साथ नहीं रह जाएगा।" जूलिया ने फिर उसके साथ सहमति जताई। छोटी सौम्या फिर थोड़ी देर सोचती रही, और बोली, "लेकिन परमेश्वर तो हमारे साथ ही रहेगा; हम खाली नहीं होंगे!"

   यदि हम अपने आप से ईमानदार हों तो हम स्वीकार करेंगे कि हम सबने इस "खाली होने" को अनुभव किया है, और भिन्न बातों से उसे भरने का प्रयत्न भी किया है। हमारे अन्दर का खालीपन मित्रता, प्रेम, वासना, धन, लोकप्रीयता, सफलता आदि बातों से कभी स्थाई रीति से या पूरी तरह से नहीं भरता। हमारे अन्दर एक भावना बनी रहती है, किसी ऐसी चीज़ के लिए जिसे परिभाषित करना चाहे संभव ना हो, परन्तु वह संसार की हर बात से अधिक मूल्यवान है और संसार की किसी बात से उसकी पूर्ति नहीं हो पाती। संसार से मिल सकने वाला सब कुछ पा लेने पर भी हमारे अन्दर उसका खालीपन बना ही रहता है। संसार से मिलने वाली हर उत्तम वस्तु के बाद भी हमारे अन्दर लालसा रहती है कि कुछ इससे भी बढ़कर, इससे भी अधिक, इससे भी अच्छा मिल सके। हमारी इस लालसा की एक परछाईं, एक धुंधला सा प्रतिरूप हमें संसार की बातों में दिखाई देता है और फिर वह ओझल हो जाता है। इस संदर्भ में प्रसिद्ध लेखक सी. एस. ल्यूईस ने कहा, "हमारी सर्वोत्तम उपलब्धि हमारी और पाने की चाहत ही रहती है।"

   हम मनुष्यों को परमेश्वर ने अपने स्वरूप में बनाया है (उत्पत्ति 1:27), और इसीलिए परमेश्वर से कम कुछ भी हमें स्थाई संतोष नहीं दे सकता। उस अविनाशी स्वर्गीय जीवते परमेश्वर के बिना, चाहे बाहर से हम नश्वर संसार की किसी भी बात से कितना भी भर जाएं, किंतु अन्दर से हम खाली ही रहेंगे। प्रभु यीशु ही उस सच्चे जीवते परमेश्वर का प्रतिरूप है (यूहन्ना 1:18), और जैसा कि उसने कहा है, वह हमें बहुतायत से जीवन देने आया है: "... मैं इसलिये आया कि वे जीवन पाएं, और बहुतायत से पाएं" (यूहन्ना 10:10)। परमेश्वर ही हमारी हर एक भूख-प्यास को मिटा सकता है, हमें संतुष्ट कर सकता है, और करता भी है (भजन 107:9)। - डेविड रोपर


परमेश्वर अपने से पृथक आनन्द तथा शान्ति हमें दे नहीं सकता, क्योंकि उसके बिना आनन्द तथा शान्ति है ही नहीं। - सी. एस. ल्यूईस

तब परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया, अपने ही स्वरूप के अनुसार परमेश्वर ने उसको उत्पन्न किया, नर और नारी कर के उसने मनुष्यों की सृष्टि की। - उत्पत्ति 1:27

बाइबल पाठ: भजन 107:1-9
Psalms 107:1 यहोवा का धन्यवाद करो, क्योंकि वह भला है; और उसकी करूणा सदा की है! 
Psalms 107:2 यहोवा के छुड़ाए हुए ऐसा ही कहें, जिन्हें उसने द्रोही के हाथ से दाम दे कर छुड़ा लिया है, 
Psalms 107:3 और उन्हें देश देश से पूरब- पश्चिम, उत्तर और दक्खिन से इकट्ठा किया है।
Psalms 107:4 वे जंगल में मरूभूमि के मार्ग पर भटकते फिरे, और कोई बसा हुआ नगर न पाया; 
Psalms 107:5 भूख और प्यास के मारे, वे विकल हो गए। 
Psalms 107:6 तब उन्होंने संकट में यहोवा की दोहाई दी, और उसने उन को सकेती से छुड़ाया; 
Psalms 107:7 और उन को ठीक मार्ग पर चलाया, ताकि वे बसने के लिये किसी नगर को जा पहुंचे। 
Psalms 107:8 लोग यहोवा की करूणा के कारण, और उन आश्चर्यकर्मों के कारण, जो वह मनुष्यों के लिये करता है, उसका धन्यवाद करें! 
Psalms 107:9 क्योंकि वह अभिलाषी जीव को सन्तुष्ट करता है, और भूखे को उत्तम पदार्थों से तृप्त करता है।

एक साल में बाइबल: 
  • औब्द्याह 1
  • प्रकाशितवाक्य 9