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शुक्रवार, 5 अगस्त 2016

स्वतंत्र


   हाथी पृथ्वी की सतह पर रहने वाला सबसे विशाल और शक्तिशाली जीव है। लेकिन उसे थामे रखने के लिए केवल एक रस्सी ही काफी है। ऐसा कैसे? जब हाथी बच्चा ही होता है तो उसे एक मज़बूत रस्सी के साथ एक बड़े पेड़ के साथ बाँध दिया जाता है। कई सप्ताह वह ऐसे ही बंधा ज़ोर लगाकर, खींच कर, इधर-उधर भागकर उस रस्सी से छूटने के असफल प्रयास करता रहता है, और अन्ततः हारकर, छूट पाने को असंभव जानकर वह प्रयास करना छोड़ देता है। अब, बड़ा और अधिक ताकतवर होने के बाद भी, जैसे ही वह हाथी किसी रस्सी के बंधन के प्रतिरोध को अनुभव करता है, वह उससे छूटने के प्रयास करता ही नहीं है। उसे अभी भी यही लगता है कि यह प्रयास करना व्यर्थ है और वह कभी स्वतंत्र नहीं हो पाएगा।

   शैतान भी हमें अपना बंदी बनाए रखने के लिए कुछ ऐसी ही चालें हमारे साथ भी चलता है। परमेश्वर का वचन बाइबल हमें आश्वस्त करती है कि "सो अब जो मसीह यीशु में हैं, उन पर दण्ड की आज्ञा नहीं: क्योंकि वे शरीर के अनुसार नहीं वरन आत्मा के अनुसार चलते हैं। क्योंकि जीवन की आत्मा की व्यवस्था ने मसीह यीशु में मुझे पाप की, और मृत्यु की व्यवस्था से स्वतंत्र कर दिया" (रोमियों 8:1-2); लेकिन हमारी आत्माओं का शत्रु शैतान हमें उलझाए रखने और हमें यही मनवाए रखने के प्रयास करता रहता है कि हम अभी भी उसके बंधनों में बंधे हुए हैं।

   ऐसे में हमें क्या करना चाहिए? उन बातों पर ध्यान लगाएं और मनन करें जो प्रभु यीशु मसीह ने हमारे लिए करीं हैं। हम ध्यान करें कि प्रभु हमारे पापों के लिए बलिदान हुआ, मरकर फिर मृतकों में से जी उठा और पाप के हर बंधन से हमें स्वतंत्र कर दिया (पद 3)। उसमें लाए गए विश्वास, और उससे मिल्ने वाली पापों की क्षमा के कारण हम परमेश्वर कि सन्तान हो गए हैं (यूहन्ना 1:12-13); अब परमेश्वर का पवित्र-आत्मा हमारे अन्दर निवास करता है और हमें सामर्थी करता है (पद 11)।

   मसीह यीशु में हम पाप, शैतान और संसार के हर बंधन से स्वतंत्र हैं। - पोह फैंग चिया


सच्ची स्वत्संत्रता का अनुभव करें - 
अपनी प्रत्येक बात, प्रत्येक विचार को मसीह यीशु के आधीन कर दें।

परन्तु जितनों ने उसे ग्रहण किया, उसने उन्हें परमेश्वर के सन्तान होने का अधिकार दिया, अर्थात उन्हें जो उसके नाम पर विश्वास रखते हैं। वे न तो लोहू से, न शरीर की इच्छा से, न मनुष्य की इच्छा से, परन्तु परमेश्वर से उत्पन्न हुए हैं। - यूहन्ना 1:12-13

बाइबल पाठ: रोमियों 8:1-11
Romans 8:1 सो अब जो मसीह यीशु में हैं, उन पर दण्ड की आज्ञा नहीं: क्योंकि वे शरीर के अनुसार नहीं वरन आत्मा के अनुसार चलते हैं। 
Romans 8:2 क्योंकि जीवन की आत्मा की व्यवस्था ने मसीह यीशु में मुझे पाप की, और मृत्यु की व्यवस्था से स्वतंत्र कर दिया। 
Romans 8:3 क्योंकि जो काम व्यवस्था शरीर के कारण दुर्बल हो कर न कर सकी, उसको परमेश्वर ने किया, अर्थात अपने ही पुत्र को पापमय शरीर की समानता में, और पाप के बलिदान होने के लिये भेज कर, शरीर में पाप पर दण्ड की आज्ञा दी। 
Romans 8:4 इसलिये कि व्यवस्था की विधि हम में जो शरीर के अनुसार नहीं वरन आत्मा के अनुसार चलते हैं, पूरी की जाए। 
Romans 8:5 क्योंकि शरीरिक व्यक्ति शरीर की बातों पर मन लगाते हैं; परन्तु आध्यात्मिक आत्मा की बातों पर मन लगाते हैं। 
Romans 8:6 शरीर पर मन लगाना तो मृत्यु है, परन्तु आत्मा पर मन लगाना जीवन और शान्ति है। 
Romans 8:7 क्योंकि शरीर पर मन लगाना तो परमेश्वर से बैर रखना है, क्योंकि न तो परमेश्वर की व्यवस्था के आधीन है, और न हो सकता है। 
Romans 8:8 और जो शारीरिक दशा में है, वे परमेश्वर को प्रसन्न नहीं कर सकते। 
Romans 8:9 परन्तु जब कि परमेश्वर का आत्मा तुम में बसता है, तो तुम शारीरिक दशा में नहीं, परन्तु आत्मिक दशा में हो। यदि किसी में मसीह का आत्मा नहीं तो वह उसका जन नहीं। 
Romans 8:10 और यदि मसीह तुम में है, तो देह पाप के कारण मरी हुई है; परन्तु आत्मा धर्म के कारण जीवित है। 
Romans 8:11 और यदि उसी का आत्मा जिसने यीशु को मरे हुओं में से जिलाया तुम में बसा हुआ है; तो जिसने मसीह को मरे हुओं में से जिलाया, वह तुम्हारी मरणहार देहों को भी अपने आत्मा के द्वारा जो तुम में बसा हुआ है जिलाएगा।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 68-69
  • रोमियों 8:1-21