अपने मोबाइल फोन पर आए एक सन्देश को पढ़ते हुए मेरा पारा चढ़ने लगा, और खून खौलने लगा। मैं तुरंत उस सन्देश के प्रत्युत्तर में वैसा ही सन्देश भेजना चाहता था, परन्तु मेरे अन्दर से एक आवाज़ आई, "अभी आवेश में नहीं; इसका उत्तर कल देना।" रात के अच्छे आराम के पश्चात, अगले दिन, जिस बात से मैं बीते दिन में इतना भड़क गया था, वही अब बहुत मामूली लग रही थी। मैंने ही उसे आवश्यकता से कहीं अधिक बढ़ा-चढ़ा के समझ लिया था क्योंकि मैं किसी दूसरे के हित को अपने हित से आगे नहीं रखना चाहता था। मैं किसी दूसरे की सहायता के लिए अपने आप को कोई कष्ट नहीं देना चाहता था।
मेरे लिए यह खेद की बात है कि मैं अनेकों बार क्रोध और आवेश में लोगों को प्रतिक्रिया और प्रत्युत्तर दे बैठता हूँ। मैं पाता हूँ कि इस प्रवृत्ति के निवारण के लिए मुझे बहुत बार परमेश्वर के वचन बाइबल के महान सत्यों को स्मरण करके अपने आप को काबू में लेना पड़ता है; जैसे कि "क्रोध तो करो, पर पाप मत करो: सूर्य अस्त होने तक तुम्हारा क्रोध न रहे" (इफिसियों 4:26) और "हर एक अपने ही हित की नहीं, वरन दूसरों की हित की भी चिन्ता करे" (फिलिप्पियों 2:4)।
हम मसीही विश्वासियों को परमेश्वर का धन्यवादी होना चाहिए कि उसने अपने पवित्र आत्मा को हमारे अन्दर निवास के लिए दिया है; और वह हमें सिखाता-समझाता है, पाप से लड़ने में हमारी सहायता करता है। पौलुस और पतरस ने इसे पवित्र आत्मा का पवित्र करने का कार्य कहा है (2 थिस्सलुनीकियों 2:13; 1 पतरस 1:2)। पवित्र आत्मा की इस सामर्थ्य के बिना हम निःसहाय और पराजित जीवन व्यतीत कर रहे होते। परन्तु उसके द्वारा हमें दी जाने वाली इस सामर्थ्य के कारण अब हम आशा से परिपूर्ण जयवंत जीवन जीने पाते हैं। - पोह फैंग चिया
परमेश्वर के जन का विकास सारी उम्र चलते रहने वाला कार्य है।
परन्तु सहायक अर्थात पवित्र आत्मा जिसे पिता मेरे नाम से भेजेगा, वह तुम्हें सब बातें सिखाएगा, और जो कुछ मैं ने तुम से कहा है, वह सब तुम्हें स्मरण कराएगा। - यूहन्ना 14:26
बाइबल पाठ: 2 थिस्सलुनीकियों 2:13-17
2 Thessalonians 2:12 और जितने लोग सत्य की प्रतीति नहीं करते, वरन अधर्म से प्रसन्न होते हैं, सब दण्ड पाएं।
2 Thessalonians 2:13 पर हे भाइयो, और प्रभु के प्रिय लोगो चाहिये कि हम तुम्हारे विषय में सदा परमेश्वर का धन्यवाद करते रहें, कि परमेश्वर ने आदि से तुम्हें चुन लिया; कि आत्मा के द्वारा पवित्र बन कर, और सत्य की प्रतीति कर के उद्धार पाओ।
2 Thessalonians 2:14 जिस के लिये उसने तुम्हें हमारे सुसमाचार के द्वारा बुलाया, कि तुम हमारे प्रभु यीशु मसीह की महिमा को प्राप्त करो।
2 Thessalonians 2:15 इसलिये, हे भाइयों, स्थिर रहो; और जो जो बातें तुम ने क्या वचन, क्या पत्री के द्वारा हम से सीखी है, उन्हें थामे रहो।
2 Thessalonians 2:16 हमारा प्रभु यीशु मसीह आप ही, और हमारा पिता परमेश्वर जिसने हम से प्रेम रखा, और अनुग्रह से अनन्त शान्ति और उत्तम आशा दी है।
2 Thessalonians 2:17 तुम्हारे मनों में शान्ति दे, और तुम्हें हर एक अच्छे काम, और वचन में दृढ़ करे।
एक साल में बाइबल:
- भजन 87-88
- रोमियों 13