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शुक्रवार, 5 सितंबर 2014

अनुग्रह


   ऐसा नहीं है कि खेल जगत में यह पहली बार हुआ हो, और ना ही इसका होना अन्तिम बार था। लेकिन इसके वर्णन को बार बार दोहराते रहना संभवतः हम ऐसी शर्मनाक गलती करने से बचाए रखेगा। जो घटना हुई वह एक कॉलेज के खेल प्रशीक्षक के साथ घटी; एक ऐसा व्यक्ति जो अपने मसीही चरित्र के लिए जाना जाता था। इस व्यक्ति को अपमानित होकर अपने पद से त्यागपत्र देना पड़ा क्योंकि उसने स्थापित और सर्वविदित खेल नियमों की अवहेलना करी थी। एक पत्रिका ने उसके बारे में लिखा, "उसकी ईमानदारी कॉलेज फुटबॉल का सबसे बड़ा झूठ थी!"

   यह सब उस प्रशीक्षक के लिए बहुत शर्मनाक तो था, परन्तु इससे संबंधित और बहुत गंभीर बात यह है कि ऐसा हम में से किसी के साथ भी हो सकता है। निर्धारित सीमाओं को लाँघ कर, किसी स्वार्थ के लिए कोई ऐसा कुकृत्य करने की परीक्षा, जो ना केवल हमें शर्मसार कर दे वरन हमारे कारण संसार के लोगों को हमारे उद्धारकर्ता प्रभु यीशु पर भी ऊँगुली उठाने और उस पर लांछन लगाने का अवसर दे, हम सभी के सामने आती रहती है। हम में से कोई भी ऐसी परीक्षाओं से अछूता नहीं है, और ऐसी परीक्षा में गिर कर अपने मसीही विश्वास की गवाही को असत्य में बदल देना, हम में से किसी की भी क्षमताओं के बाहर नहीं है।

   तो फिर कैसे हम ऐसी परीक्षा से सुरक्षित निकल सकते हैं? परमेश्वर का वचन बाइबल हमें कुछ बातें सिखाती है, जिनके पालन के द्वारा हम अपने आप को ऐसी परीक्षाओं में पड़ने से बचाए रख सकते हैं। ये बातें हैं:
  • यह मानकर चलें कि परीक्षाएं सब पर आती हैं और आप पर भी आएंगी (1 कुरिन्थियों 10:13)
  • परीक्षा में बहक कर पाप करने के परिणामों को स्मरण रखें (याकूब 1:13-15)
  • अपने सह-मसीही विश्वासियों के प्रति उत्तरदायी बने रहें (सभोपदेशक 4:9-12)
  • परमेश्वर से प्रार्थना करते रहें कि आपको परीक्षा में गिरने से बचाए रखे (मत्ती 26:41)


केवल परमेश्वर का अनुग्रह और सामर्थ ही है जो हमें परीक्षा में गिरने से बचा सकता है, या गिरने के बाद पुनः उठा कर खड़ा कर सकता है। - डेव ब्रैनन


प्रत्येक पाप का प्रवेश द्वार होता है; गिरने से बचने के लिए उस द्वार को सदा बन्द ही रखें।

यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह हमारे पापों को क्षमा करने, और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है। - 1 यूहन्ना 1:9 

बाइबल पाठ: याकूब 1:12-21
James 1:12 धन्य है वह मनुष्य, जो परीक्षा में स्थिर रहता है; क्योंकि वह खरा निकल कर जीवन का वह मुकुट पाएगा, जिस की प्रतिज्ञा प्रभु ने अपने प्रेम करने वालों को दी है। 
James 1:13 जब किसी की परीक्षा हो, तो वह यह न कहे, कि मेरी परीक्षा परमेश्वर की ओर से होती है; क्योंकि न तो बुरी बातों से परमेश्वर की परीक्षा हो सकती है, और न वह किसी की परीक्षा आप करता है। 
James 1:14 परन्तु प्रत्येक व्यक्ति अपनी ही अभिलाषा में खिंच कर, और फंस कर परीक्षा में पड़ता है। 
James 1:15 फिर अभिलाषा गर्भवती हो कर पाप को जनती है और पाप जब बढ़ जाता है तो मृत्यु को उत्पन्न करता है। 
James 1:16 हे मेरे प्रिय भाइयों, धोखा न खाओ। 
James 1:17 क्योंकि हर एक अच्छा वरदान और हर एक उत्तम दान ऊपर ही से है, और ज्योतियों के पिता की ओर से मिलता है, जिस में न तो कोई परिवर्तन हो सकता है, ओर न अदल बदल के कारण उस पर छाया पड़ती है। 
James 1:18 उसने अपनी ही इच्छा से हमें सत्य के वचन के द्वारा उत्पन्न किया, ताकि हम उस की सृष्‍टि की हुई वस्‍तुओं में से एक प्रकार के प्रथम फल हों।
James 1:19 हे मेरे प्रिय भाइयो, यह बात तुम जानते हो: इसलिये हर एक मनुष्य सुनने के लिये तत्‍पर और बोलने में धीरा और क्रोध में धीमा हो। 
James 1:20 क्योंकि मनुष्य का क्रोध परमेश्वर के धर्म का निर्वाह नहीं कर सकता है। 
James 1:21 इसलिये सारी मलिनता और बैर भाव की बढ़ती को दूर कर के, उस वचन को नम्रता से ग्रहण कर लो, जो हृदय में बोया गया और जो तुम्हारे प्राणों का उद्धार कर सकता है।

एक साल में बाइबल: 
  • यहेजकेल 4-7