गायक मैग हचिन्सन ने एक बार कहा, "मेरा अगला रिकॉर्ड 45 मिनिट तक शाँत रहने का होना चाहिए क्योंकि समाज में शाँत वातावरण की बहुत कमी है"। यह बात सही है; शाँत स्थान पाना वास्तव में बहुत कठिन होता जा रहा है। शहर वहाँ रहने वाले लोगों और चहल-पहल के कारण शोर से भर गए हैं और उनमें ऊँची आवाज़ में बजने वाले संगीत, ऊँची आवाज़ में बोलने वाले लोगों और तरह तरह की मशीनों के शोर से बचने का कोई तरीका सूझ नहीं पड़ता।
यदि हम बाहरी शोर से पीड़ित हैं तो कितने ही ऐसे भी हैं जो अपने अन्दर के शोर से परेशान हैं, ऐसा शोर जो हमारी आध्यात्मिक सेहत के लिए हानिकारक है। विचित्र बात तो यह है कि ऐसे शोर को अकसर हम स्वयं ही अपने अन्दर आमंत्रित करते हैं। कुछ लोग आत्मिक एकाकीपन से बचने के लिए शोर को प्रयोग करते हैं - टी०वी० और रेडियो कार्यक्रमों के शोर को अपने जीवनों में आमंत्रित करके; उन्हें लगता है कि टी०वी० और रेडियो कार्यक्रमों के प्रस्तुतकर्ता और कलाकार उन्हें संगति दे रहे हैं और वे उन के साथ अपना समय व्यतीत करना चाहते हैं। कुछ इस शोर को अपने विचारों को दबाने के लिए प्रयोग करते हैं - दूसरों के विचार और आवाज़ें उनके स्वयं के मन की आवाज़ से बचने और उसे दबाए रखने का माध्यम बन जाती हैं। कुछ अन्य लोग शोर का प्रयोग परमेश्वर की आवाज़ को अनसुना करने के लिए करते हैं; वे अपने मनों को संसार की बातों के शोर से इतना भर लेते हैं कि परमेश्वर की आवाज़ को सुनना उनके लिए कठिन हो जाता है। कुछ ऐसे भी हैं जो परमेश्वर और आध्यात्म के बारे में इतना बोलते रहते हैं कि वे स्वयं भी यह नहीं सुन पाते कि परमेश्वर वास्तव में उन से कह क्या रहा है; उनके लिए परमेश्वर तथा आध्यत्म पर उनके विचार और उन विचारों के प्रचार द्वारा मिलने वाली संसार कि वाह-वाही, इज़्ज़त, शोहरत, समाज में वर्चस्व और सांसारिक वस्तुएं ऐसे हो महत्वपूर्ण हो जाते हैं कि परमेश्वर की आवाज़ के लिए उनके कान बन्द हो जाते हैं।
लेकिन प्रभु यीशु के लिए ऐसा नहीं था। प्रभु यीशु चाहे कितने भी व्यस्त क्यों ना हों, उन्होंने सदा ही एक ऐसे शाँत स्थान को खोजा जहाँ वे संसार के शोर से दूर परमेश्वर पिता के साथ वार्तालाप कर सकें (मरकुस 1:35)। परमेश्वर पिता के साथ किसी शाँत स्थान पर और शाँत मन के साथ यही वार्तालाप हम मसीही विश्वासियों के लिए भी उतना ही अनिवार्य और आवश्यक है। चाहे हम कोई ऐसा स्थान ना भी ढूँढ़ पाएं जो बिलकुल शाँत है, हमें ऐसा स्थान अवश्य बनाना होगा जहाँ हमारा मन शाँत रह सके (भजन 131:2); एक ऐसा स्थान जहाँ हमारा सारा ध्यान केवल परमेश्वर पिता पर ही हो और वह हम से बातचीत कर सके। - जूली ऐकैरमैन लिंक
संसार के शोर को अपने लिए परमेश्वर की आवाज़ को दबाने मत दीजिए।
निश्चय मैं ने अपने मन को शान्त और चुप कर दिया है, जैसे दूध छुड़ाया हुआ लड़का अपनी मां की गोद में रहता है, वैसे ही दूध छुड़ाए हुए लड़के के समान मेरा मन भी रहता है। - भजन 131:2
बाइबल पाठ: मरकुस 1:35-45
Mark 1:35 और भोर को दिन निकलने से बहुत पहिले, वह उठ कर निकला, और एक जंगली स्थान में गया और वहां प्रार्थना करने लगा।
Mark 1:36 तब शमौन और उसके साथी उस की खोज में गए।
Mark 1:37 जब वह मिला, तो उस से कहा; कि सब लोग तुझे ढूंढ रहे हैं।
Mark 1:38 उस ने उन से कहा, आओ; हम और कहीं आस पास की बस्तियों में जाएं, कि मैं वहां भी प्रचार करूं, क्योंकि मैं इसी लिये निकला हूं।
Mark 1:39 सो वह सारे गलील में उन की सभाओं में जा जा कर प्रचार करता और दुष्टात्माओं को निकालता रहा।
Mark 1:40 और एक कोढ़ी ने उसके पास आकर, उस से बिनती की, और उसके साम्हने घुटने टेककर, उस से कहा; यदि तू चाहे तो मुझे शुद्ध कर सकता है।
Mark 1:41 उसने उस पर तरस खाकर हाथ बढ़ाया, और उसे छूकर कहा; मैं चाहता हूं तू शुद्ध हो जा।
Mark 1:42 और तुरन्त उसका कोढ़ जाता रहा, और वह शुद्ध हो गया।
Mark 1:43 तब उसने उसे चिताकर तुरन्त विदा किया।
Mark 1:44 और उस से कहा, देख, किसी से कुछ मत कहना, परन्तु जा कर अपने आप को याजक को दिखा, और अपने शुद्ध होने के विषय में जो कुछ मूसा ने ठहराया है उसे भेंट चढ़ा, कि उन पर गवाही हो।
Mark 1:45 परन्तु वह बाहर जा कर इस बात को बहुत प्रचार करने और यहां तक फैलाने लगा, कि यीशु फिर खुल्लमखुल्ला नगर में न जा सका, परन्तु बाहर जंगली स्थानों में रहा; और चहुं ओर से लागे उसके पास आते रहे।
एक साल में बाइबल:
- यशायाह 14-16
- इफिसियों 5:1-16