अमेरिका के भूतपुर्व राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन का एक नियम था - आवेश या क्रोध में आकर लिखे गए हर पत्र को भेजे जाने से पहले 24 घंटे उनकी मेज़ पर ही रखे रहना होता था। यदि 24 घंटे के शांत होने के समय के बीत जाने के बाद भी वे उस संबंध में वैसा ही सोचते थे जैसा पत्र लिखने के समय, तब तो पत्र भेज दिया जाता, अन्यथा वह मेज़ की एक दराज़ में डाल दिया जाता। उनके राष्ट्रपति काल के समाप्त होने तक, अनभेजे पत्रों से एक बड़ी दराज़ भर गई थी।
हैरी टूमैन तो 24 घंटे का संयम रखते थे; किंतु तत्कालिक संचार के इस युग में यदि हम 24 मिनिट का भी बुद्धिमता पूर्ण संयम बरत लें तो ना जाने कितनी बातों में शर्मिंदा होने या उनके लिए पछतावा करने से बच सकते हैं। परमेश्वर के वचन बाइबल में याकूब ने मानव इतिहास तथा संसार भर में बार-बार दोहराए जाने वाले प्रसंग - अनियंत्रित ज़ुबान से होने वाले नुकसानों के संबंध में लिखा: "पर जीभ को मनुष्यों में से कोई वश में नहीं कर सकता; वह एक ऐसी बला है जो कभी रुकती ही नहीं; वह प्राण नाशक विष से भरी हुई है" (याकूब 3:8)।
जब हम क्रोध या आवेश में आकर बोलते हैं, या फिर कानफूसी द्वारा बात इधर से उधर पहुँचाते हैं, तो हम अपने आप को परमेश्वर द्वारा दी गई नियंत्रण रेखा की सीमा के बाहर पाते हैं। उस संयम का ध्यान करके जो परमेश्वर हमारे प्रति दिखाता है, हमें अपनी ज़ुबान, कलम या कीबोर्ड द्वारा किसी को कुछ कहने या लिखने से पहले वैसे ही संयम का प्रयास करना चाहिए और परमेश्वर का उसके संयम के लिए धन्यवादी होना चाहिए। जब कभी हम अनियंत्रित होकर कुछ कहते या करते हैं, हम मानव होने के कारण अपनी कमज़ोरी और टूटेपन का एहसास दुसरों को करवाते हैं।
यदि मसीह यीशु में विश्वास लाने से होने वाले परिवर्तन को हमें दूसरों को दिखाना है, तो अपनी ज़ुबान को नियंत्रित कर पाने से अधिक कुछ और दिखाने की शायद कोई आवश्यकता नहीं होगी। यदि हम अपनी ज़ुबान को नियंत्रित रख कर परमेश्वर के समान प्रेम और संयम को दुसरों के प्रति दिखाते हैं तो अवश्य ही लोगों का ध्यान खेंचने पाएंगे। - रैंडी किल्गोर
जो अपने मुंह को वश में रखता है वह अपने प्राण को विपत्तियों से बचाता है। - नीतिवचन 21:23
यदि कोई अपने आप को भक्त समझे, और अपनी जीभ पर लगाम न दे, पर अपने हृदय को धोखा दे, तो उस की भक्ति व्यर्थ है। - याकूब 1:26
बाइबल पाठ: याकूब 3:1-11
James 3:1 हे मेरे भाइयों, तुम में से बहुत उपदेशक न बनें, क्योंकि जानते हो, कि हम उपदेशक और भी दोषी ठहरेंगे।
James 3:2 इसलिये कि हम सब बहुत बार चूक जाते हैं: जो कोई वचन में नहीं चूकता, वही तो सिद्ध मनुष्य है; और सारी देह पर भी लगाम लगा सकता है।
James 3:3 जब हम अपने वश में करने के लिये घोड़ों के मुंह में लगाम लगाते हैं, तो हम उन की सारी देह को भी फेर सकते हैं।
James 3:4 देखो, जहाज भी, यद्यपि ऐसे बड़े होते हैं, और प्रचण्ड वायु से चलाए जाते हैं, तौभी एक छोटी सी पतवार के द्वारा मांझी की इच्छा के अनुसार घुमाए जाते हैं।
James 3:5 वैसे ही जीभ भी एक छोटा सा अंग है और बड़ी बड़ी डींगे मारती है: देखो, थोड़ी सी आग से कितने बड़े वन में आग लग जाती है।
James 3:6 जीभ भी एक आग है: जीभ हमारे अंगों में अधर्म का एक लोक है और सारी देह पर कलंक लगाती है, और भवचक्र में आग लगा देती है और नरक कुण्ड की आग से जलती रहती है।
James 3:7 क्योंकि हर प्रकार के बन-पशु, पक्षी, और रेंगने वाले जन्तु और जलचर तो मनुष्य जाति के वश में हो सकते हैं और हो भी गए हैं।
James 3:8 पर जीभ को मनुष्यों में से कोई वश में नहीं कर सकता; वह एक ऐसी बला है जो कभी रुकती ही नहीं; वह प्राण नाशक विष से भरी हुई है।
James 3:9 इसी से हम प्रभु और पिता की स्तुति करते हैं; और इसी से मनुष्यों को जो परमेश्वर के स्वरूप में उत्पन्न हुए हैं श्राप देते हैं।
James 3:10 एक ही मुंह से धन्यवाद और श्राप दोनों निकलते हैं।
James 3:11 हे मेरे भाइयों, ऐसा नहीं होना चाहिए।
James 3:12 क्या सोते के एक ही मुंह से मीठा और खारा जल दोनों निकलते हैं? हे मेरे भाइयों, क्या अंजीर के पेड़ में जैतून, या दाख की लता में अंजीर लग सकते हैं? वैसे ही खारे सोते से मीठा पानी नहीं निकल सकता।
एक साल में बाइबल:
- व्यवस्थाविवरण 14-16
- मरकुस 12:28-44