एक पास्टर ने, जिसने शारीरिक एवं मानसिक रीति से घायल होने वालों को सांत्वना और शान्ति प्रदान करने का प्रशिक्षण लिया था, टिप्पणी करी कि घायल लोगों के लिए सबसे बड़ी चुनौती उस समय की चोट या हानि का दुख नहीं होता। इसकी बजाए, उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती होती है आगे आने वाले जीवन के साथ ताल-मेल बैठाना। जो पहले उनके लिए सामान्य होता था, वह अब नहीं रहा, इसलिए जो उनकी सहायता कर रहे हैं उन्हें उन आहत व्यक्तियों को एक नया सामान्य बैठाने में सहायक होना पड़ता है।
हो सकता है कि यह नया सामान्य वहाँ हो जहाँ अब वे पहले के समान स्वस्थ एवं हृष्ट-पुष्ट नहीं रह सकते, या किसी निकट संबंधी का साथ जाता रहा हो, या किसी सन्तोषजनक नौकरी से हाथ धोना पड़ा हो, या किसी प्रीय जन की मृत्यु का विछोह हो, इत्यादि। ऐसी हानि के दुख की गंभीरता लोगों को पहले के जीवन से एक अलग ही प्रकार का जीवन व्यतीत करने पर मजबूर करती है, चाहे वह नया जीवन जीना उन्हें कितना भी नापसन्द क्यों ना हो।
जिस व्यक्ति के समक्ष यह नया सामान्य आता है, उसके लिए यह समझ बैठना कि कोई भी उसकी परिस्थिति भली-भाँति नहीं समझ सकता, साधारण बात है। लेकिन यह सत्य नहीं है; प्रभु यीशु के हम मनुष्यों के साथ आकर जीवन व्यतीत करने के उद्देश्यों में से एक था हमारे जीवन और दुखों को व्यक्तिगत अनुभवों से जानना, जो उसकी वर्तमान सेवकाई में सहायक है। परमेश्वर के वचन बाइबल में इब्रानियों की पत्री का लेखक प्रभु यीशु के विषय में लिखता है: "क्योंकि हमारा ऐसा महायाजक नहीं, जो हमारी निर्बलताओं में हमारे साथ दुखी न हो सके; वरन वह सब बातों में हमारी नाईं परखा तो गया, तौभी निष्पाप निकला" (इब्रानियों 4:15)।
हमारे उद्धारकर्ता प्रभु यीशु ने पवित्रता का एक सिद्ध जीवन जीया, लेकिन वह पाप में पड़े संसार के लोगों के दुखों को भी जानता था। उसने हम लोगों के समान ही दुख उठाया, तिरिस्कृत हुआ, पीड़ा सही। इसलिए आज जब मैं और आप ऐसे अन्धकार भरे समयों से होकर निकलते हैं तो वह हमें सान्तवना और अपनी शान्ति देने तथा एक नये सामान्य को बनाने में सहायता करने के लिए तैयार एवं उपलब्ध है। - बिल क्राउडर
दुख के सागर में प्रभु यीशु आशा की स्थिर चट्टान है।
क्योंकि जब उसने परीक्षा की दशा में दुख उठाया, तो वह उन की भी सहायता कर सकता है, जिन की परीक्षा होती है। - इब्रानियों 2:18
बाइबल पाठ: इब्रानियों 4:9-16
Hebrews 4:9 सो जान लो कि परमेश्वर के लोगों के लिये सब्त का विश्राम बाकी है।
Hebrews 4:10 क्योंकि जिसने उसके विश्राम में प्रवेश किया है, उसने भी परमेश्वर की नाईं अपने कामों को पूरा कर के विश्राम किया है।
Hebrews 4:11 सो हम उस विश्राम में प्रवेश करने का प्रयत्न करें, ऐसा न हो, कि कोई जन उन की नाईं आज्ञा न मान कर गिर पड़े।
Hebrews 4:12 क्योंकि परमेश्वर का वचन जीवित, और प्रबल, और हर एक दोधारी तलवार से भी बहुत चोखा है, और जीव, और आत्मा को, और गांठ गांठ, और गूदे गूदे को अलग कर के, वार पार छेदता है; और मन की भावनाओं और विचारों को जांचता है।
Hebrews 4:13 और सृष्टि की कोई वस्तु उस से छिपी नहीं है वरन जिस से हमें काम है, उस की आंखों के साम्हने सब वस्तुएं खुली और बेपरदा हैं।
Hebrews 4:14 सो जब हमारा ऐसा बड़ा महायाजक है, जो स्वर्गों से हो कर गया है, अर्थात परमेश्वर का पुत्र यीशु; तो आओ, हम अपने अंगीकार को दृढ़ता से थामें रहे।
Hebrews 4:15 क्योंकि हमारा ऐसा महायाजक नहीं, जो हमारी निर्बलताओं में हमारे साथ दुखी न हो सके; वरन वह सब बातों में हमारी नाईं परखा तो गया, तौभी निष्पाप निकला।
Hebrews 4:16 इसलिये आओ, हम अनुग्रह के सिंहासन के निकट हियाव बान्धकर चलें, कि हम पर दया हो, और वह अनुग्रह पाएं, जो आवश्यकता के समय हमारी सहायता करे।
एक साल में बाइबल:
- यिर्मयाह 30-32