ब्रिस्टल विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के अनुसार, यूरोप की चट्टानों मे रहने वाली चीटियाँ अपने निवास स्थान संबंधित माप-दण्डों और उनका विश्लेषण करने में संभवतः हम मनुष्यों से बेहतर हैं। उन शोधकर्ताओं ने पाया कि वे चीटियाँ अपने रहने के स्थान के बारे में जानकारी एकत्रित करने के लिए विशेष गुप्तचर चीटियों का उपयोग करती रहती हैं। वैज्ञानिकों को भी स्तब्ध कर देने वाले सामाजिक जीवन कौशल का उपयोग करके वे चट्टानी चीटियाँ साथ-साथ मिलकर कार्य करती हैं जिससे कि वे रहने के लिए सही स्थान, अन्धकार और आवश्यक सुरक्षा का पता लगा सकें और रानी चींटी को और उसके अँडों-लार्वों को सबसे उपयुक्त रहने का स्थान दे सकें।
परमेश्वर के वचन बाइबल में हम देखते हैं कि मूसा के समय में, इस्त्राएल को रहने-बसने के लिए एक नया स्थान चाहिए था। मिस्त्र में उन्हें कठोर दास्तव का सामना करना पड़ा था जिससे निकलकर वे अब सिनै के बियाबान से होकर यात्रा कर रहे थे, और यह भी बसने के लिए उपयुक्त नहीं था। परमेश्वर उन्हें अपने वायदे के अनुसार एक ऐसे देश में ले कर जा रहा था जहाँ दूध और मधु की नदियाँ बहती थीं; परन्तु उस स्थान से संबंधित, उनकी नज़रों में, एक गंभीर समस्या आ गई थी - इस्त्राएल को जो लोग उस देश के बारे में पता लगाने के लिए गए थे, उन्होंने आकर इस बात की तो पुष्टि की कि वह देश बहुत ही मनोहर, उपजाऊ और संपन्न है; लेकिन साथ ही यह भी बताया कि उस देश में गढ़वाले नगर और दैत्याकार अनाकवंशी भी रहते थे, जिनके समक्ष उन इस्त्राएली भेदियों ने अपने आप को टिड्डियों के समान पाया (गिनती 13:28, 33)। उनकी इस बात से निराश होकर इस्त्राएलियों ने परमेश्वर की कही बात पर अविश्वास किया और उस देश में जाने से इन्कार कर दिया, जो उन्हें फिर बहुत भारी पड़ गया।
अपनी तुलना परमेश्वर द्वारा बनाए गए अन्य जीवों से करना कभी कभी लभदायक हो सकता है, परन्तु यह तुलना केवल आकार तक ही सीमित नहीं रहनी चाहिए; उन जीवों द्वारा परमेश्वर की आज्ञाकारिता का भी वैसा ही पालन होना चाहिए। यूरोपीय चट्टानी चीटियाँ अपने सृष्टिकर्ता द्वारा उन्हें दिए गए नैसर्गिक गुणों और सहजबुद्धि का पालन करती हैं, और अद्भुत कार्य कर लेती हैं। हम अपने भय और अविश्वास के कारण परमेश्वर की मानने और करने से कतराते रहते हैं और परेशानियों में जीवन व्यतीत करते हैं। जब भी हम आश्वस्त होकर परमेश्वर के प्रेम और हमारी भलाई ही के लिए उसके प्रत्येक कार्य को स्वीकार करके उसकी इच्छा के अनुसार चलते और कार्य करते हैं, हम भी अपने जीवनों में सफल, समृद्ध और उन्नत होते जाते हैं; और हम सच्चे मन से कह सकते हैं, "हे प्रभु, तू पीढ़ी से पीढ़ी तक हमारे लिये धाम बना है" (भजन 90:1)। - मार्ट डी हॉन
अपने आप को परमेश्वर में सुरक्षित और बसा हुआ देखना,
जीवन के सही स्थान पर होना है।
मेरे लिये सनातन काल की चट्टान का धाम बन, जिस में मैं नित्य जा सकूं; तू ने मेरे उद्धार की आज्ञा तो दी है, क्योंकि तू मेरी चट्टान और मेरा गढ़ ठहरा है। हे मेरे परमेश्वर दुष्ट के, और कुटिल और क्रूर मनुष्य के हाथ से मेरी रक्षा कर। - भजन 71:3-4
बाइबल पाठ: गिनती 13:17-33
Numbers 13:17 उन को कनान देश के भेद लेने को भेजते समय मूसा ने कहा, इधर से, अर्थात दक्षिण देश हो कर जाओ,
Numbers 13:18 और पहाड़ी देश में जा कर उस देश को देख लो कि कैसा है, और उस में बसे हुए लोगों को भी देखो कि वे बलवान् हैं वा निर्बल, थोड़े हैं वा बहुत,
Numbers 13:19 और जिस देश में वे बसे हुए हैं सो कैसा है, अच्छा वा बुरा, और वे कैसी कैसी बस्तियों में बसे हुए हैं, और तम्बुओं में रहते हैं वा गढ़ वा किलों में रहते हैं,
Numbers 13:20 और वह देश कैसा है, उपजाऊ है वा बंजर है, और उस में वृक्ष हैं वा नहीं। और तुम हियाव बान्धे चलो, और उस देश की उपज में से कुछ लेते भी आना। वह समय पहली पक्की दाखों का था।
Numbers 13:21 सो वे चल दिए, और सीन नाम जंगल से ले रहोब तक, जो हमात के मार्ग में है, सारे देश को देखभाल कर उसका भेद लिया।
Numbers 13:22 सो वे दक्षिण देश हो कर चले, और हेब्रोन तक गए; वहां अहीमन, शेशै, और तल्मै नाम अनाकवंशी रहते थे। हेब्रोन तो मिस्र के सोअन से सात वर्ष पहिले बसाया गया था।
Numbers 13:23 तब वे एशकोल नाम नाले तक गए, और वहां से एक डाली दाखों के गुच्छे समेत तोड़ ली, और दो मनुष्य उस एक लाठी पर लटकाए हुए उठा ले चले गए; और वे अनारों और अंजीरों में से भी कुछ कुछ ले आए।
Numbers 13:24 इस्त्राएली वहां से जो दाखों का गुच्छा तोड़ ले आए थे, इस कारण उस स्थान का नाम एशकोल नाला रखा गया।
Numbers 13:25 चालीस दिन के बाद वे उस देश का भेद ले कर लौट आए।
Numbers 13:26 और पारान जंगल के कादेश नाम स्थान में मूसा और हारून और इस्त्राएलियों की सारी मण्डली के पास पहुंचे; और उन को और सारी मण्डली को संदेशा दिया, और उस देश के फल उन को दिखाए।
Numbers 13:27 उन्होंने मूसा से यह कहकर वर्णन किया, कि जिस देश में तू ने हम को भेजा था उस में हम गए; उस में सचमुच दूध और मधु की धाराएं बहती हैं, और उसकी उपज में से यही है।
Numbers 13:28 परन्तु उस देश के निवासी बलवान हैं, और उसके नगर गढ़ वाले हैं और बहुत बड़े हैं; और फिर हम ने वहां अनाकवंशियों को भी देखा।
Numbers 13:29 दक्षिण देश में तो अमालेकी बसे हुए हैं; और पहाड़ी देश में हित्ती, यबूसी, और एमोरी रहते हैं; और समुद्र के किनारे किनारे और यरदन नदी के तट पर कनानी बसे हुए हैं।
Numbers 13:30 पर कालेब ने मूसा के साम्हने प्रजा के लोगों को चुप कराने की मनसा से कहा, हम अभी चढ़ के उस देश को अपना कर लें; क्योंकि नि:सन्देह हम में ऐसा करने की शक्ति है।
Numbers 13:31 पर जो पुरूष उसके संग गए थे उन्होंने कहा, उन लोगों पर चढ़ने की शक्ति हम में नहीं है; क्योंकि वे हम से बलवान हैं।
Numbers 13:32 और उन्होंने इस्त्राएलियों के साम्हने उस देश की जिसका भेद उन्होंने लिया था यह कहकर निन्दा भी की, कि वह देश जिसका भेद लेने को हम गये थे ऐसा है, जो अपने निवासियों निगल जाता है; और जितने पुरूष हम ने उस में देखे वे सब के सब बड़े डील डौल के हैं।
Numbers 13:33 फिर हम ने वहां नपीलों को, अर्थात नपीली जाति वाले अनाकवंशियों को देखा; और हम अपनी दृष्टि में तो उनके साम्हने टिड्डे के सामान दिखाई पड़ते थे, और ऐसे ही उनकी दृष्टि में मालूम पड़ते थे।
एक साल में बाइबल:
- गिनती 31-33
- मरकुस 9:1-29