जब मुझे ज्ञात हुआ कि मेरी बहन को कैंसर है तब मैंने अपने मित्रों से उसके लिए प्रार्थना करने को कहा। जब इलाज के लिए उसका ऑपरेशन किया गया तब हम ने प्रार्थना करी कि सर्जन सारे कैंसर को निकालने पाए, कुछ भी अन्दर ना रहने पाए जिससे मेरी बहन को कीमोथैरपी या विकिरण चिकित्सा से होकर ना निकलना पड़े - और परमेश्वर ने हमारी प्रार्थनाओं का उत्तर दिया, हाँ! जब मैंने यह समाचार अपने मित्रों को बताया, तो एक मित्र ने कहा, "मैं बहुत प्रसन्न हूँ कि प्रार्थना में सामर्थ है"; और मैंने कहा, "मैं बहुत धन्यवादी हूँ कि इस बार परमेश्वर ने हमें ’हाँ’ में उत्तर दिया है।"
परमेश्वर के वचन बाइबल में याकूब ने कहा, "...धर्मी जन की प्रार्थना के प्रभाव से बहुत कुछ हो सकता है" (याकूब 5:16)। लेकिन क्या इसका यह तात्पर्य है कि हम जितने अधिक ज़ोर से, या जितने अधिक लोगों को साथ लेकर प्रार्थना करेंगे, प्रार्थना का उत्तर ’हाँ’ में पाने की संभावना उतनी अधिक बढ़ जाएगी? मुझे अनेकों प्राथनाओं के उत्तर ’नहीं’ में, या फिर ’अभी प्रतीक्षा करो’ में मिल चुके हैं इसलिए मैं उस संभावना बढ़ाने वाले तर्क से सहमत नहीं हूँ।
यह निश्चित है कि प्रार्थना में सामर्थ है, लेकिन यह भी उतना ही सत्य है कि प्रार्थना में बड़ा भेद भी है। बाइबल हमें सिखाती है कि हमें विश्वास के साथ, दृढ़तापूर्वक, निर्भीक होकर, धैर्य के साथ अपनी इच्छा प्रार्थना में परमेश्वर के सम्मुख रखनी चाहिए किंतु साथ ही हमें परमेश्वर की इच्छा के प्रति समर्पित भी रहना चाहिए, क्योंकि परमेश्वर अपनी इच्छा और बुद्धिमता में होकर जो भी देता है वही सर्वोत्तम तथा सबसे उपयुक्त होता है। मुझे इस बात से शांति है कि परमेश्वर हमारे दिल की बात सुनना चाहता है, और उसका उत्तर जो भी हो, वह भला ही करता है।
मुझे ओले हैल्सबी का कथन पसन्द है, उन्होंने कहा, "प्रार्थना और सांसारिक रीति से असहाय होना एक दूसरे से अलग नहीं किए जा सकते। जो सांसारिक रीति से असहाय होते हैं वे ही वास्तव में प्रार्थना कर सकते हैं। आपका सांसारिक रीति से असहाय होना ही आपकी प्रार्थना के सफल होने की कुँजी है।"
प्रार्थना में लगे रहें! - ऐनी सेटास
असहाय सन्तान द्वारा प्रेमी सामर्थी पिता को भेजी गई पुकार ही प्रार्थना है।
किसी भी बात की चिन्ता मत करो: परन्तु हर एक बात में तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना और बिनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्वर के सम्मुख अपस्थित किए जाएं। तब परमेश्वर की शान्ति, जो समझ से बिलकुल परे है, तुम्हारे हृदय और तुम्हारे विचारों को मसीह यीशु में सुरिक्षत रखेगी। - फिलिप्पियों 4:6-7
बाइबल पाठ: याकूब 5:13-18
James 5:13 यदि तुम में कोई दुखी हो तो वह प्रार्थना करे: यदि आनन्दित हो, तो वह स्तुति के भजन गाए।
James 5:14 यदि तुम में कोई रोगी हो, तो कलीसिया के प्राचीनों को बुलाए, और वे प्रभु के नाम से उस पर तेल मल कर उसके लिये प्रार्थना करें।
James 5:15 और विश्वास की प्रार्थना के द्वारा रोगी बच जाएगा और प्रभु उसको उठा कर खड़ा करेगा; और यदि उसने पाप भी किए हों, तो उन की भी क्षमा हो जाएगी।
James 5:16 इसलिये तुम आपस में एक दूसरे के साम्हने अपने अपने पापों को मान लो; और एक दूसरे के लिये प्रार्थना करो, जिस से चंगे हो जाओ; धर्मी जन की प्रार्थना के प्रभाव से बहुत कुछ हो सकता है।
James 5:17 एलिय्याह भी तो हमारे समान दुख-सुख भोगी मनुष्य था; और उसने गिड़िगड़ा कर प्रार्थना की; कि मेंह न बरसे; और साढ़े तीन वर्ष तक भूमि पर मेंह नहीं बरसा।
James 5:18 फिर उसने प्रार्थना की, तो आकाश से वर्षा हुई, और भूमि फलवन्त हुई।
एक साल में बाइबल:
- उत्पत्ति 36-38
- मत्ती 10:21-42