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बुधवार, 25 फ़रवरी 2015

तिरस्कृत


   आर्थिक विशेषज्ञ, वॉरन बफेट संसार के सबसे धनी व्यक्तियों में से एक हैं; 19 वर्ष की आयु में हार्वर्ड बिज़नेस स्कूल ने उन्हें अस्वीकृत कर दिया था। वे बताते हैं कि हार्वर्ड में दाखिले के लिए हुए साक्षात्कार में असफल होने के बाद भय के भाव ने उन्हें घेर लिया, और साथ ही इस अस्वीकृति के कारण उन्हें अपने पिता की होने वाली प्रतिक्रीया की भी चिंता थी। लेकिन अब पीछे मुड़कर उन सब बातों और घटनाओं के प्रभावों को देखने पर वॉरन कहते हैं: "मेरे जीवन में सब कुछ जो हुआ, वह भी जिसे मैं उस समय मुझे कुचल देने वाली घटना समझता था, मेरी भलाई ही के लिए था।"

   तिरस्कृत होना दर्दनाक होता है, इससे कोई इन्कार नहीं है, लेकिन संसार से तिरस्कृत होने के कारण हमें परमेश्वर की इच्छाओं को पूरा करने से रुक नहीं जाना चाहिए। इस बात का सबसे अच्छा उदाहरण प्रभु यीशु मसीह हैं। प्रभु यीशु को उसके अपने लोगों ने ही स्वीकार नहीं किया (यूहन्ना 1:11), बाद में उसके अनेक अनुयायी उसे छोड़ कर चले गए (यूहन्ना 6:66)। लेकिन जैसे प्रभु यीशु का यह तिरस्कार परमेश्वर की योजना में था (यशायाह 53:3), वैसे ही परमेश्वर के पुत्र का इस तिरस्कार के बावजूद अपनी सेवकाई को जारी रखना और पूरा करना भी था। प्रभु यीशु ने ना केवल पृथ्वी के लोगों के तिरस्कार को सहा, वरन वे यह भी जानते थे कि उनके बलिदान के समय, जब वे कलवरी के क्रूस पर लटके होंगे, उनका स्वर्गीय पिता भी उनसे मूँह मोड़ लेगा, और यह हुआ भी (मत्ती 27:46)। लेकिन इस सब के बावजूद प्रभु यीशु ने बीमारों को चंगा किया, दुष्टात्माओं को निकाला और पाप क्षमा तथा उद्धार के सुसमाचार का प्रचार किया (प्रेरितों 10:38) और क्रूस पर अपने बलिदान से पहले वे परमेश्वर पिता से कह सके "जो काम तू ने मुझे करने को दिया था, उसे पूरा कर के मैं ने पृथ्वी पर तेरी महिमा की है" (यूहन्ना 17:4)।

   यदि तिरस्कृत होना, परमेश्वर द्वारा आपको सौंपे गए कार्य को पूरा करने में बाधा बन रहा है, तो हिम्मत ना हारें, अपनी सेवकाई में डटे रहें। स्मरण रखे कि प्रभु यीशु ने भी यह दुख सहा है और वह आपकी परिस्थितियों तथा भावनाओं को भली-भांति समझ सकता है, इसलिए वह कहता है: "जो कुछ पिता मुझे देता है वह सब मेरे पास आएगा, उसे मैं कभी न निकालूंगा" (यूहन्ना 6:37)। - जेनिफर बेन्सन शुल्ट


प्रभु यीशु के समान हमें कोई अन्य नहीं समझ सकता।

क्योंकि हमारा ऐसा महायाजक नहीं, जो हमारी निर्बलताओं में हमारे साथ दुखी न हो सके; वरन वह सब बातों में हमारी नाईं परखा तो गया, तौभी निष्‍पाप निकला। - इब्रानियों 4:15

बाइबल पाठ: यूहन्ना 1:1-13
John 1:1 आदि में वचन था, और वचन परमेश्वर के साथ था, और वचन परमेश्वर था। 
John 1:2 यही आदि में परमेश्वर के साथ था। 
John 1:3 सब कुछ उसी के द्वारा उत्पन्न हुआ और जो कुछ उत्पन्न हुआ है, उस में से कोई भी वस्तु उसके बिना उत्पन्न न हुई। 
John 1:4 उस में जीवन था; और वह जीवन मुनष्यों की ज्योति थी। 
John 1:5 और ज्योति अन्धकार में चमकती है; और अन्धकार ने उसे ग्रहण न किया। 
John 1:6 एक मनुष्य परमेश्वर की ओर से आ उपस्थित हुआ जिस का नाम यूहन्ना था। 
John 1:7 यह गवाही देने आया, कि ज्योति की गवाही दे, ताकि सब उसके द्वारा विश्वास लाएं। 
John 1:8 वह आप तो वह ज्योति न था, परन्तु उस ज्योति की गवाही देने के लिये आया था। 
John 1:9 सच्ची ज्योति जो हर एक मनुष्य को प्रकाशित करती है, जगत में आनेवाली थी। 
John 1:10 वह जगत में था, और जगत उसके द्वारा उत्पन्न हुआ, और जगत ने उसे नहीं पहिचाना। 
John 1:11 वह अपने घर आया और उसके अपनों ने उसे ग्रहण नहीं किया। 
John 1:12 परन्तु जितनों ने उसे ग्रहण किया, उसने उन्हें परमेश्वर के सन्तान होने का अधिकार दिया, अर्थात उन्हें जो उसके नाम पर विश्वास रखते हैं। 
John 1:13 वे न तो लोहू से, न शरीर की इच्छा से, न मनुष्य की इच्छा से, परन्तु परमेश्वर से उत्पन्न हुए हैं।

एक साल में बाइबल: 
  • गिनती 12-14
  • मरकुस 5:21-43