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मंगलवार, 14 जनवरी 2014

चुनाव


   यदि आप को पता चले कि आपके बटुए से पैसे रहस्यमय रीति से गायब हो रहे हैं तो आप क्रोधित होंगे। लेकिन यदि तहकीकात से पता चले कि आपके बटुए से चोरी करने वाला और कोई नहीं वरन आपका पुत्र ही है तो आपका क्रोध शोक में बदल जाएगा। शोक शब्द की एक व्याख्या है वह भावना जो हम तब अनुभव करते हैं जब किसी निकट के प्रीय जन से हमें अनेपक्षित रीति से निराश और दुखी होते हैं।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में भी शोक शब्द का प्रयोग इस रूप में किया गया है। प्रेरित पौलुस ने लिखा: "और परमेश्वर के पवित्र आत्मा को शोकित मत करो, जिस से तुम पर छुटकारे के दिन के लिये छाप दी गई है" (इफिसियों 4:30)। प्रेरित पौलुस यह समझाना चाह रहा है कि जिसे परमेश्वर ने हमारी सहायता के लिए दिया है और जो हमसे प्रेम करता है, हम उसे शोकित ना करें। प्रभु यीशु ने अपने चेलों से वायदा किया था: "परन्तु सहायक अर्थात पवित्र आत्मा जिसे पिता मेरे नाम से भेजेगा, वह तुम्हें सब बातें सिखाएगा, और जो कुछ मैं ने तुम से कहा है, वह सब तुम्हें स्मरण कराएगा" (यूहन्ना 14:26); अर्थात परमेश्वर का पवित्र आत्मा प्रत्येक मसीही विश्वासी को परमेश्वर की ओर से उसे मसीही विश्वास में आते ही उसके उस विश्वास के जीवन के सुचारू निर्वाह में सहायता करने के लिए परमेश्वर द्वारा दिया जाता है। पवित्र आत्मा प्रत्येक मसीही विश्वासी को सिखाता है, प्रभु यीशु की शिक्षाएं और आज्ञाएं स्मरण कराता है, और सही दिशा में चलते रहने के लिए मार्गदर्शन करता है।

   जब परमेश्वर का पवित्र आत्मा हमारे कार्यों या व्यवहार से शोकित होता है तो इसके परिणाम हमारे लिए बहुत तनाव ला सकते हैं, क्योंकि परमेश्वर का आत्मा हमें एक दिशा में जाने के लिए कहता और खींचता है और हमारे शरीर की अभिलाषाएं हमें उससे विपरीत दिशा में खींचती हैं। प्रेरित पौलुस ने इस खींच-तान के लिए लिखा: "क्योंकि शरीर आत्मा के विरोध में, और आत्मा शरीर के विरोध में लालसा करती है, और ये एक दूसरे के विरोधी हैं; इसलिये कि जो तुम करना चाहते हो वह न करने पाओ" (गलतियों 5:17)। यदि हम अपने जीवन में शरीर की अभिलाषाओं की पूर्ति के चुनाव करते रहेंगे, तो यह द्वन्द हमारे अन्दर बना रहेगा और शीघ्र ही हम जीवन से असंतुष्ट और दोषी अनुभव करने लगेंगे, हमारे जीवन का आननद और स्फूर्ती जाती रहेगी और एक आलस और उदासी हमें घेर लेगी (भजन 32:3-4)।

   इसलिए, इस बात का ध्यान रखना कि परमेश्वर का पवित्र आत्मा हम मसीही विश्वासियों के जीवन से शोकित ना हो, हमारे मसीही विश्वास के जीवन के सुचारू निर्वाह के लिए बहुत आवश्यक है। इसके लिए आवश्यक है कि हम अपनी शरीर की अभिलाषाओं से वशिभूत होकर उन अभिलाषाओं की पूर्ति के लिए गलत चुनाव ना करें (इफिसियों 4:31), वरन हम से प्रेम करने और हमारी भलाई के लिए सब कुछ करने वाले परमेश्वर के साथ वफादारी और उसकी आज्ञाकारिता में जीवन व्यतीत करने के पक्ष में ही अपने चुनाव करें। - एलबर्ट ली


प्रत्येक मसीही विश्वासी का हृदय परमेश्वर के पवित्र आत्मा का मन्दिर है।

और मैं पिता से बिनती करूंगा, और वह तुम्हें एक और सहायक देगा, कि वह सर्वदा तुम्हारे साथ रहे। - यूहन्ना 14:16

बाइबल पाठ: इफिसियों 4:25-32
Ephesians 4:25 इस कारण झूठ बोलना छोड़कर हर एक अपने पड़ोसी से सच बोले, क्योंकि हम आपस में एक दूसरे के अंग हैं। 
Ephesians 4:26 क्रोध तो करो, पर पाप मत करो: सूर्य अस्‍त होने तक तुम्हारा क्रोध न रहे। 
Ephesians 4:27 और न शैतान को अवसर दो। 
Ephesians 4:28 चोरी करनेवाला फिर चोरी न करे; वरन भले काम करने में अपने हाथों से परिश्रम करे; इसलिये कि जिसे प्रयोजन हो, उसे देने को उसके पास कुछ हो। 
Ephesians 4:29 कोई गन्‍दी बात तुम्हारे मुंह से न निकले, पर आवश्यकता के अनुसार वही जो उन्नति के लिये उत्तम हो, ताकि उस से सुनने वालों पर अनुग्रह हो। 
Ephesians 4:30 और परमेश्वर के पवित्र आत्मा को शोकित मत करो, जिस से तुम पर छुटकारे के दिन के लिये छाप दी गई है। 
Ephesians 4:31 सब प्रकार की कड़वाहट और प्रकोप और क्रोध, और कलह, और निन्‍दा सब बैरभाव समेत तुम से दूर की जाए। 
Ephesians 4:32 और एक दूसरे पर कृपाल, और करूणामय हो, और जैसे परमेश्वर ने मसीह में तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी एक दूसरे के अपराध क्षमा करो।

एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति 43-46