ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

बुधवार, 6 फ़रवरी 2013

पक्षपात


   समाचार पत्र वॉशिंगटन पोस्ट में पूर्वधारणा एवं पक्षपात पर एक लेख प्रकाशित हुआ जिसमें बताया गया कि शोध कर्ताओं ने पाया है कि लगभग सभी लोग किसी न किसी रूप में और कुछ न कुछ मात्रा में पूर्वधारणा एवं पक्षपात रखते हैं और यह रवैया उनमें भी पाया जाता है जो इसके विरोधी हैं। मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि हमारे स्वाभिमान का प्रमुख भाग उस भावना से आता है जो हमारे एक विशेष समुदाय अथवा वर्ग से जुड़े होने के कारण हमें अपने आप को दूसरों से बेहतर आँकने देती है। पक्षपात को पराजित करना सरल नहीं है - परमेश्वर के लोगों और समुदाय में भी नहीं!

   प्रेरित पौलुस द्वारा परमेश्वर के वचन बाइबल में कुलुस्से के मसीही विश्वासियों को लिखे शब्द हम मसीही विश्वासियों को आज भी निर्देषित करते हैं कि हमारे व्यवहार और हमारे शब्दों में किसी भी प्रकार का कोई भेदभाव दिखाई नहीं देना चाहिए क्योंकि मसीह यीशु में हर भेदभाव मिट गया है और हम मसीह के स्वरूप में ढाले जा रहे हैं: "और नए मनुष्यत्‍व को पहिन लिया है जो अपने सृजनहार के स्‍वरूप के अनुसार ज्ञान प्राप्त करने के लिये नया बनता जाता है। उस में न तो यूनानी रहा, न यहूदी, न खतना, न खतनारिहत, न जंगली, न स्‍कूती, न दास और न स्‍वतंत्र: केवल मसीह सब कुछ और सब में है" (कुलुस्सियों ३:१०-११)। इसलिए बड़े-छोटे या ऊँच-नीच अथवा पक्षपात की बजाए हमारे परस्पर व्यवहार में करुणा, दया, नम्रता, कोमलता और धीरज दिखाई देने चाहिएं (पद १२) और इन सब के ऊपर प्रेम जो सिद्धता का कटिबन्ध है (पद १४) विद्यमान होना चाहिए।

   मसीह यीशु की देह अर्थात उसकी मण्डली में जाति, वर्ग, वर्ण, रंग अथवा राष्ट्रीयता के आधार पर किसी को कोई वरियता नहीं है क्योंकि क्रूस के द्वारा मसीह यीशु ने हम सब को अपने आप में एक कर दिया है ताकि हम एक दूसरे के साथ सदैव ही ईमानदारी, आदर और प्रेम में व्यवहार करें। मसीही विश्वासियों को अपनी नहीं वरन परमेश्वर के पुत्र एवं अपने तथा जगत के उद्धारकर्ता प्रभु यीशु की महिमा के लिए प्रयत्नशील रहना चाहिए। - डेविड मैक्कैसलैंड


पक्षपात प्रकट को विकृत कर देता है, वार्तालाप में असत्य मिला देता है और जहाँ कार्यान्वित होता है वहाँ विनाश ले आता है।

उस में न तो यूनानी रहा, न यहूदी, न खतना, न खतनारिहत, न जंगली, न स्‍कूती, न दास और न स्‍वतंत्र: केवल मसीह सब कुछ और सब में है। - कुलुस्सियों ३:११

बाइबल पाठ: कुलुस्सियों ३:८-१७
Colossians3:8 पर अब तुम भी इन सब को अर्थात क्रोध, रोष, बैरभाव, निन्‍दा, और मुंह से गालियां बकना ये सब बातें छोड़ दो।
Colossians3:9 एक दूसरे से झूठ मत बोलो क्योंकि तुम ने पुराने मनुष्यत्‍व को उसके कामों समेत उतार डाला है।
Colossians3:10 और नए मनुष्यत्‍व को पहिन लिया है जो अपने सृजनहार के स्‍वरूप के अनुसार ज्ञान प्राप्त करने के लिये नया बनता जाता है।
Colossians3:11 उस में न तो यूनानी रहा, न यहूदी, न खतना, न खतनारिहत, न जंगली, न स्‍कूती, न दास और न स्‍वतंत्र: केवल मसीह सब कुछ और सब में है।
Colossians3:12 इसलिये परमेश्वर के चुने हुओं की नाईं जो पवित्र और प्रिय हैं, बड़ी करूणा, और भलाई, और दीनता, और नम्रता, और सहनशीलता धारण करो।
Colossians3:13 और यदि किसी को किसी पर दोष देने को कोई कारण हो, तो एक दूसरे की सह लो, और एक दूसरे के अपराध क्षमा करो: जैसे प्रभु ने तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी करो।
Colossians3:14 और इन सब के ऊपर प्रेम को जो सिद्धता का कटिबन्‍ध है बान्‍ध लो।
Colossians3:15 और मसीह की शान्‍ति जिस के लिये तुम एक देह हो कर बुलाए भी गए हो, तुम्हारे हृदय में राज्य करे, और तुम धन्यवादी बने रहो।
Colossians3:16 मसीह के वचन को अपने हृदय में अधिकाई से बसने दो; और सिद्ध ज्ञान सहित एक दूसरे को सिखाओ, और चिताओ, और अपने अपने मन में अनुग्रह के साथ परमेश्वर के लिये भजन और स्‍तुतिगान और आत्मिक गीत गाओ।
Colossians3:17 और वचन से या काम से जो कुछ भी करो सब प्रभु यीशु के नाम से करो, और उसके द्वारा परमेश्वर पिता का धन्यवाद करो।

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन ३९-४० 
  • मत्ती २३:२३-३९