पाप का समाधान - उद्धार - 23
पिछले लेखों में एकत्रित किए
गए, सीखे तथा समझे गए, पाप और उद्धार,
और प्रभु यीशु मसीह के जन्म, जीवन, कार्य, मृत्यु, और पुनरुत्थान
से संबंधित तथ्यों के आधार पर आज से हम देखेंगे कि प्रभु यीशु मसीह ने संसार के
सभी लोगों के लिए यह पापों की क्षमा, उद्धार, और परमेश्वर से मेल-मिलाप करवाकर, अदन की वाटिका में
मनुष्य के पाप द्वारा खोई हुई स्थिति को किस प्रकार सभी मनुष्यों के लिए बहाल किया,
और उनके लिए इस आशीष को प्राप्त कर लेने का मार्ग कैसे बना कर दिया, और इस महान कार्य
से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्नों पर भी विचार करेंगे।
इस बात को समझने के लिए हमें पहले देखी गई
बातों को ध्यान में रखना होगा, उन्हें स्मरण करते रहना होगा। पहले हम उन छः अनिवार्यताओं
को देखते हैं, जो मनुष्यों के पापों का समाधान और निवारण
करके देने वाले उस सिद्ध मनुष्य में होनी अनिवार्य थीं:
अनिवार्यता |
प्रभु यीशु मसीह में पूर्ति |
वह एक मनुष्य हो। |
प्रभु यीशु, माता
के गर्भ में आने से लेकर उनकी मृत्यु होने तक, हर रीति से
पूर्णतः मनुष्य थे; सामान्य साधारण मनुष्यों के सभी
अनुभवों में से होकर निकले थे; और वे पूर्णतः परमेश्वर भी
थे। |
वह अपने जीवन भर मन-ध्यान-विचार-व्यवहार में पूर्णतः निष्पाप, निष्कलंक, और पवित्र रहा हो। |
प्रभु यीशु ने निष्पाप, निष्कलंक, निर्दोष, पवित्र, और सिद्ध जीवन व्यतीत किया। आज तक कभी भी,
कोई भी उनके जीवन में किसी भी प्रकार के पाप को न दिखा सका है और
न प्रमाणित कर सका है। |
वह अपना जीवन और सभी कार्य परमेश्वर की इच्छा और आज्ञाकारिता में होकर, उसे समर्पित रहकर करे। |
प्रभु यीशु मसीह ने अपने जन्म से लेकर मृत्यु, पुनरुत्थान, और स्वर्गारोहण तक, पृथ्वी के अपने समय में अपनी
हर बात को परमेश्वर की इच्छा के अनुसार, और परमेश्वर के
वचन में उनके बारे में दी गई भविष्यवाणियों के अनुसार ही किया। उन्होंने अपने आप
को शून्य किया, परमेश्वर पिता की पूर्ण आज्ञाकारिता में,
बिना कोई आनाकानी अथवा संदेह किए बने रहे, और
इस आज्ञाकारिता में पापी मनुष्यों के लिए क्रूस की मृत्यु भी सह ली। |
वह स्वेच्छा से सभी मनुष्यों के पापों को अपने ऊपर लेने और उनके दण्ड -
मृत्यु को सहने के लिए तैयार हो। |
क्योंकि प्रभु यीशु निष्पाप और सिद्ध थे, इसलिए मृत्यु का उन पर कोई अधिकार
नहीं था। उन्हें किसी भी अन्य स्वाभाविक मनुष्य के समान मृत्यु भोगने की
आवश्यकता नहीं थी; और न ही उनमें कोई दोष अथवा अपराध था,
जिसके लिए उन्हें कोई दण्ड सहना हो। किन्तु उन्होंने क्रूस की
अत्यंत पीड़ादायक और भयानक मृत्यु स्वेच्छा से सभी मनुष्यों के लिए सहन कर ली। |
वह मृत्यु से वापस लौटने की सामर्थ्य रखता हो; मृत्यु उस पर जयवंत
नहीं होने पाए। |
सारे संसार के इतिहास में केवल एक प्रभु यीशु मसीह ही हैं जो मर कर भी अपनी
उसी देह में वापस आए। उनका जीवन, उनकी मृत्यु, और उनका मृतकों में
से पुनरुत्थान संसार के इतिहास में भली-भांति जाँचा, परखा,
और प्रमाणित तथ्य है, जिसे पिछले 2000 वर्षों
से लेकर आज तक कोई भी गलत अथवा झूठ प्रमाणित नहीं कर सका है। जिन्होंने उसे गलत प्रमाणित
करने के प्रयास किए, वे नहीं
करने पाए और उनमें से बहुतेरे अंततः उपलब्ध प्रमाणों के समक्ष प्रभु यीशु मसीह
के अनुयायी बन गए, उन्हें अपना उद्धारकर्ता स्वीकार कर
लिया। |
वह अपने इस महान बलिदान के प्रतिफलों को सभी मनुष्यों को सेंत-मेंत देने
के लिए तैयार हो। |
प्रभु यीशु ने सदा सब का भला ही किया, अपने बैरियों, विरोधियों, और सताने वालों का भी भला चाहा,
उन्हें क्षमा किया, और उनके हित की चाह रखी। उन्होंने अपने जीवन, शिक्षाओं, मृत्यु, और पुनरुत्थान से मिलने वाले लाभ कभी भी
अपने पास नहीं रखे; और न ही उनके लिए कभी कोई कीमत लगाई। उन्होंने पाप और मृत्यु पर
प्राप्त अपनी विजय को सेंत-मेंत सारे संसार के लिए उपलब्ध करवा दिया, और यह आज भी सारे
संसार के सभी लोगों के लिए उपलब्ध है। |
यदि आप अभी भी प्रभु यीशु मसीह में, उनके जीवन, शिक्षाओं, बलिदान, और
पुनरुत्थान में; और उनके आपकी वास्तविक पापमय स्थिति को भली-भांति
जानने के बावजूद भी आपके लिए उनके प्रेम में विश्वास नहीं करते हैं, तो आप स्वयं भी प्रभु यीशु के जीवन, मृत्यु,
और पुनरुत्थान से संबंधित प्रमाणों की जाँच कर सकते हैं, अपने
आप को संतुष्ट कर सकते हैं। प्रभु यीशु आपको इस सांसारिक नाशमान जीवन से अविनाशी
जीवन में लाना चाहता है; पाप के परिणाम से निकालकर परमेश्वर
के साथ मेल-मिलाप करवाकर अब से लेकर अनन्तकाल के लिए आपको स्वर्गीय आशीषों का
वारिस बनाना चाहता है। शैतान की किसी बात में न आएं, उसके
द्वारा फैलाई जा रही किसी गलतफहमी में न पड़ें, अभी समय और
अवसर के रहते स्वेच्छा और सच्चे मन से अपने पापों से पश्चाताप कर लें, अपना जीवन उसे समर्पित कर के, उसके शिष्य बन जाएं।
स्वेच्छा से, सच्चे और पूर्णतः समर्पित मन से, अपने पापों के प्रति सच्चे पश्चाताप के साथ एक छोटी प्रार्थना, “हे प्रभु यीशु मैं मान लेता हूँ कि मैंने जाने-अनजाने में, मन-ध्यान-विचार और व्यवहार में आपकी अनाज्ञाकारिता की है, पाप किए हैं। मैं मान लेता हूँ कि आपने क्रूस पर दिए गए अपने बलिदान के
द्वारा मेरे पापों के दण्ड को अपने ऊपर लेकर पूर्णतः सह लिया, उन पापों की पूरी-पूरी कीमत सदा काल के लिए चुका दी है। कृपया मेरे पापों
को क्षमा करें, मेरे मन को अपनी ओर परिवर्तित करें, और मुझे अपना शिष्य बना लें, अपने साथ कर लें।”
आपका सच्चे मन से लिया गया मन परिवर्तन का यह निर्णय आपके इस जीवन
तथा परलोक के जीवन को स्वर्गीय जीवन बना देगा।
बाइबल पाठ: रोमियों 6:5-14
रोमियों 6:5 क्योंकि यदि हम उस की
मृत्यु की समानता में उसके साथ जुट गए हैं, तो निश्चय उसके
जी उठने की समानता में भी जुट जाएंगे।
रोमियों 6:6 क्योंकि हम जानते हैं
कि हमारा पुराना मनुष्यत्व उसके साथ क्रूस पर चढ़ाया गया, ताकि
पाप का शरीर व्यर्थ हो जाए, ताकि हम आगे को पाप के दासत्व
में न रहें।
रोमियों 6:7 क्योंकि जो मर गया,
वह पाप से छूटकर धर्मी ठहरा।
रोमियों 6:8 सो यदि हम मसीह के साथ
मर गए, तो हमारा विश्वास यह है, कि
उसके साथ जीएंगे भी।
रोमियों 6:9 क्योंकि यह जानते हैं,
कि मसीह मरे हुओं में से जी उठ कर फिर मरने का नहीं, उस पर फिर मृत्यु की प्रभुता नहीं होने की।
रोमियों 6:10 क्योंकि वह जो मर गया
तो पाप के लिये एक ही बार मर गया; परन्तु जो जीवित है,
तो परमेश्वर के लिये जीवित है।
रोमियों 6:11 ऐसे ही तुम भी अपने
आप को पाप के लिये तो मरा, परन्तु परमेश्वर के लिये मसीह यीशु
में जीवित समझो।
रोमियों 6:12 इसलिये पाप तुम्हारे
मरनहार शरीर में राज्य न करे, कि तुम उस की लालसाओं के आधीन
रहो।
रोमियों 6:13 और न अपने अंगों को
अधर्म के हथियार होने के लिये पाप को सौंपो, पर अपने आप को
मरे हुओं में से जी उठा हुआ जानकर परमेश्वर को सौंपो, और
अपने अंगों को धर्म के हथियार होने के लिये परमेश्वर को सौंपो।
रोमियों 6:14 और तुम पर पाप की
प्रभुता न होगी, क्योंकि तुम व्यवस्था के आधीन नहीं वरन
अनुग्रह के आधीन हो।
एक साल में बाइबल:
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सभोपदेशक 7-9
· 2 कुरिन्थियों 13