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मंगलवार, 30 अप्रैल 2019

प्रेम



      हम अपने दैनिक जीवन में देखते हैं कि शायद ही कभी कोई ऐसा दिन होता होगा जिसमें हमें अपमान, उपेक्षा, या अनादर का सामना न करना पड़ता हो। कभी-कभी हम स्वयँ ही यह अपने प्रति कर लेते हैं।

      परमेश्वर के वचन बाइबल में हम देखते हैं कि दाऊद के शत्रु उसके साथ ऐसा ही व्यवहार कर रहे थे – वे उसे धमका रहे थे, डरा रहे थे, उसकी निन्दा कर रहे थे। इस कारण उसका आत्म-सम्मान और अपने प्रति भाव बहुत गिर गिया (भजन 4:1-2) और वह इस परेशानी की स्थिति में से निकलने का मार्ग ढूँढ़ रहा था।

      फिर दाऊद को स्मरण आया कि, “यह जान रखो कि यहोवा ने भक्त को अपने लिये अलग कर रखा है; जब मैं यहोवा को पुकारूंगा तब वह सुन लेगा” (पद 3)। दाऊद के इस  दृढ़ कथन के भाव को समझाने के लिए भिन्न अंग्रेज़ी अनुवाद भिन्न शब्द प्रयोग करते हैं। यहाँ पर जिस शब्द का अनुवाद “भक्त” हुआ है, मूल इब्रानी भाषा मैं वह है ‘हेसेद’ जिसका अर्थ होता है परमेश्वर द्वारा वाचा में बाँधा गया प्रेम, अर्थात दाऊद के कहने का अभिप्राय था “वह जिससे परमेश्वर सदा काल तक प्रेम करता ही रहेगा।”

      आज हम मसीही विश्वासियों को भी यही बात सदैव स्मरण रखनी चाहिए: परमेश्वर हम से सदा काल का प्रेम करता है, उसने हमें प्रभु यीशु मसीह में होकर एक विशेष स्थान प्रदान किया है, जहाँ हम उसके लिए उतने ही प्रिय हैं जितना प्रभु यीशु। उसने हमें अनन्तकाल के लिए अपनी सन्तान होने के लिए बुलाया है।

      इसलिए परिस्थितियों के कारण निराश होने के स्थान पर, हम अपने आप को परमेश्वर के उस प्रेम के विषय जो वह हमसे करता है, सदा स्मरण दिला सकते हैं। हम परमेश्वर की अति प्रिय सन्तान हैं, और हमारे लिए निराशा नहीं वरन आनन्द और शान्ति निर्धारित है (पद 6, 7)। हमारे प्रति परमेश्वर की आशा सदा बनी रहती है, उसका प्रेम कभी कम नहीं होता है। - डेविड रोपर


परमेश्वर के प्रेम की वास्तविकता है कि उसका प्रेम असीम होता है। - बर्नार्ड क्लैरवौक्स

यहोवा ने मुझे दूर से दर्शन देकर कहा है। मैं तुझ से सदा प्रेम रखता आया हूँ; इस कारण मैं ने तुझ पर अपनी करुणा बनाए रखी है। - यिर्मयाह 31:3

बाइबल पाठ: भजन 4:1-8
Psalms 4:1 हे मेरे धर्ममय परमेश्वर, जब मैं पुकारूं तब तू मुझे उत्तर दे; जब मैं सकेती में पड़ा तब तू ने मुझे विस्तार दिया। मुझ पर अनुग्रह कर और मेरी प्रार्थना सुन ले।
Psalms 4:2 हे मनुष्यों के पुत्रों, कब तक मेरी महिमा के बदले अनादर होता रहेगा? तुम कब तक व्यर्थ बातों से प्रीति रखोगे और झूठी युक्ति की खोज में रहोगे?
Psalms 4:3 यह जान रखो कि यहोवा ने भक्त को अपने लिये अलग कर रखा है; जब मैं यहोवा को पुकारूंगा तब वह सुन लेगा।
Psalms 4:4 कांपते रहो और पाप मत करो; अपने अपने बिछौने पर मन ही मन सोचो और चुपचाप रहो।
Psalms 4:5 धर्म के बलिदान चढ़ाओ, और यहोवा पर भरोसा रखो।
Psalms 4:6 बहुत से हैं जो कहते हैं, कि कौन हम को कुछ भलाई दिखाएगा? हे यहोवा तू अपने मुख का प्रकाश हम पर चमका!
Psalms 4:7 तू ने मेरे मन में उस से कहीं अधिक आनन्द भर दिया है, जो उन को अन्न और दाखमधु की बढ़ती से होता था।
Psalms 4:8 मैं शान्ति से लेट जाऊंगा और सो जाऊंगा; क्योंकि, हे यहोवा, केवल तू ही मुझ को एकान्त में निश्चिन्त रहने देता है।

एक साल में बाइबल:  
  • 1 राजा 8-9
  • लूका 21:1-19



सोमवार, 29 अप्रैल 2019

उपस्थित



      हम अपनी यात्रा में देर रात एक ग्रामीण विश्रामगृह में रुके, और हमें यह देखकर प्रसन्नता हुई कि हमारे कमरे के साथ एक बालकनी भी थी, जिससे बाहर का दृश्य देखा जा सकता था। किन्तु उस समय घना कोहरा छाया हुआ था, इसलिए उस अन्धकार में बालकनी से बाहर का दृश्य दिखाई नहीं दे रहा था। परन्तु प्रातः उठकर हमने देखा, कि सूरज के निकलने के बाद कोहरा छंट गया है और हम बाहर का मनोरम दृश्य देख पा रहे थे – दूर तक फ़ैली एक रमणीय, शान्त हरियाली चारागाह, जिसमें गले में घंटियाँ बंधी भेड़ें चर रही थीं, और नीले आकाश में सफ़ेद बादल जो बड़ी बड़ी भेड़ों के समान प्रतीत हो रहे थे। रात के अन्धकार और कोहरे ने वहाँ विद्यमान जिस सुन्दरता को अदृश्य कर रखा था, वह अब स्पष्ट दिखाई दे रही थी।

      कभी-कभी जीवन पर भी निराशा का घना कोहरा छा सकता है, और परिस्थिति इतनी अंधकारमय प्रतीत हो सकती है कि हमें कुछ सूझ नहीं पड़ता कि क्या करें! परन्तु जैसे सूर्य की ज्योति और गर्मी कोहरे और अन्धकार को हटा देती है, परमेश्वर पर हमारा विश्वास और उससे सदैव उपलब्ध सहायता का आश्वासन हमारी निराशाओं और शंकाओं को दूर कर देता है। परमेश्वर के वचन बाइबल में दी गई विश्वास की परिभाषा है: “अब विश्वास आशा की हुई वस्‍तुओं का निश्‍चय, और अनदेखी वस्‍तुओं का प्रमाण है” (इब्रानियों  11:1)। यह खण्ड हमें आगे नूह के विश्वास के संबंध में स्मरण करवाता है कि “विश्वास ही से नूह ने उन बातों के विषय में जो उस समय दिखाई न पड़ती थीं, चितौनी पाकर भक्ति के साथ अपने घराने के बचाव के लिये जहाज बनाया” (पद 7); तथा अब्राहम के विश्वास के विषय भी, जो अपने गंतव्य को न जानते हुई भी परमेश्वर के कहे पर, उसके मार्गदर्शन में एक नए और अनजाने स्थान के लिए निकल पड़ा (पद 8)।

      चाहे हम परमेश्वर को अपनी भौतिक आँखों से देख नहीं पाते हैं, किन्तु वह सदैव हमारे साथ उपस्थित रहता है, और हमारी प्रत्येक परिस्थिति में हमारी सहायता करने, समस्या का निवारण करने के लिए तैयार रहता है। - सिंडी हैस कैस्पर


विश्वास वह रडार है जो कोहरे में भी देख सकता है। - कोरी टेन बूम

उसने [अब्राहम] यहोवा पर विश्वास किया; और यहोवा ने इस बात को उसके लेखे में धर्म गिना। - उत्पत्ति 15:6

बाइबल पाठ: इब्रानियों 11:1-8
Hebrews 11:1 अब विश्वास आशा की हुई वस्‍तुओं का निश्‍चय, और अनदेखी वस्‍तुओं का प्रमाण है।
Hebrews 11:2 क्योंकि इसी के विषय में प्राचीनों की अच्छी गवाही दी गई।
Hebrews 11:3 विश्वास ही से हम जान जाते हैं, कि सारी सृष्‍टि की रचना परमेश्वर के वचन के द्वारा हुई है। यह नहीं, कि जो कुछ देखने में आता है, वह देखी हुई वस्‍तुओं से बना हो।
Hebrews 11:4 विश्वास ही से हाबिल ने कैन से उत्तम बलिदान परमेश्वर के लिये चढ़ाया; और उसी के द्वारा उसके धर्मी होने की गवाही भी दी गई: क्योंकि परमेश्वर ने उस की भेंटों के विषय में गवाही दी; और उसी के द्वारा वह मरने पर भी अब तक बातें करता है।
Hebrews 11:5 विश्वास ही से हनोक उठा लिया गया, कि मृत्यु को न देखे, और उसका पता नहीं मिला; क्योंकि परमेश्वर ने उसे उठा लिया था, और उसके उठाए जाने से पहिले उस की यह गवाही दी गई थी, कि उसने परमेश्वर को प्रसन्न किया है।
Hebrews 11:6 और विश्वास बिना उसे प्रसन्न करना अनहोना है, क्योंकि परमेश्वर के पास आने वाले को विश्वास करना चाहिए, कि वह है; और अपने खोजने वालों को प्रतिफल देता है।
Hebrews 11:7 विश्वास ही से नूह ने उन बातों के विषय में जो उस समय दिखाई न पड़ती थीं, चितौनी पाकर भक्ति के साथ अपने घराने के बचाव के लिये जहाज बनाया, और उसके द्वारा उसने संसार को दोषी ठहराया; और उस धर्म का वारिस हुआ, जो विश्वास से होता है।
Hebrews 11:8 विश्वास ही से इब्राहीम जब बुलाया गया तो आज्ञा मानकर ऐसी जगह निकल गया जिसे मीरास में लेने वाला था, और यह न जानता था, कि मैं किधर जाता हूं; तौभी निकल गया।

एक साल में बाइबल:  
  • 1 राजा 6-7
  • लूका 20:27-47



रविवार, 28 अप्रैल 2019

क्रोध



      बात ऑस्ट्रेलिया के पर्थ शहर की है, एक प्रातः फिओन मुल्हौलेंड ने पाया कि उसकी कार गायब है। तब उसे एहसास हुआ कि उसने कार को निषिद्ध क्षेत्र में खड़ा किया था, इसलिए उसे उठा कर ले जाया गया है। उसने परिस्थिति पर विचार किया, उसे जो जुर्माने के लिए 600 डॉलर देने पड़ेंगे, उसके बारे में भी सोचा, और निर्णय लिया कि वह कार को वापस लाने के लिए जिस व्यक्ति के साथ संपर्क में आएगा, उसके प्रति क्रोधित नहीं होगा। अपनी भावनाओं को क्रोध में व्यक्त करने के स्थान पर मुल्होलेंड ने उस स्थिति को लेकर एक हास्य कविता भी लिखा डाली, और जब वह कार को छुड़ाने के लिए गया तो वहाँ उपस्थित व्यक्ति को वह कविता पढ़कर सुनाई, और उस व्यक्ति को वह कविता पसन्द भी आई। इस प्रकार एक संभावित झगड़ा होने से बच गया।

      परमेश्वर के वचन बाइबल में नीतिवचन की पुस्तक सिखाती है कि “मुकद्दमे से हाथ उठाना, पुरूष की महिमा ठहरती है; परन्तु सब मूढ़ झगड़ने को तैयार होते हैं” (नीतिवचन 20:3)। झगड़ा वह तनाव है जो दो लोगों के बीच होता है जब वे किसी बात पर असहमत होते हैं, और या तो अन्दर ही अन्दर उबलता रहता है, या विस्फोटक होकर दोनों के मध्य बाहर निकल पड़ता है।

      परमेश्वर ने हमें सब के साथ शांतिपूर्वक रहने के लिए आवश्यक संसाधन प्रदान किए हैं। परमेश्वर का वचन हमें आश्वस्त करता है कि क्रोधित होना किन्तु पाप न करना संभव है (इफिसियों 4:26)। परमेश्वर का पवित्र आत्मा हमें सामर्थ्य देता है कि हम लोगों के प्रति कटु प्रतिक्रया करने, या उन्हें आहात करने करने के लिए हमें उकसाने वाली चिंगारियों से बच कर चल सकें। और प्रभु यीशु मसीह में जब भी हम आवेश में हों या उकसाए जाएँ तो, अनुसरण करने के लिए उपयुक्त उदाहरण पाते हैं (1 पतरस 2:23)। हमारा प्रभु परमेश्वर दयालु, अनुग्रहकारी, क्रोध करने में धीमा, और बहुतायत से प्रेम तथा विश्वासयोग्यता बनाए रखता है (भजन 86:15)। - जेनिफर बेन्सन शुल्ट


क्रोध करने में धीमे रहो।

क्रोध तो करो, पर पाप मत करो: सूर्य अस्‍त होने तक तुम्हारा क्रोध न रहे। - इफिसियों 4:26

बाइबल पाठ: याकूब 1:19-27
James 1:19 हे मेरे प्रिय भाइयो, यह बात तुम जानते हो: इसलिये हर एक मनुष्य सुनने के लिये तत्‍पर और बोलने में धीरा और क्रोध में धीमा हो।
James 1:20 क्योंकि मनुष्य का क्रोध परमेश्वर के धर्म का निर्वाह नहीं कर सकता है।
James 1:21 इसलिये सारी मलिनता और बैर भाव की बढ़ती को दूर कर के, उस वचन को नम्रता से ग्रहण कर लो, जो हृदय में बोया गया और जो तुम्हारे प्राणों का उद्धार कर सकता है।
James 1:22 परन्तु वचन पर चलने वाले बनो, और केवल सुनने वाले ही नहीं जो अपने आप को धोखा देते हैं।
James 1:23 क्योंकि जो कोई वचन का सुनने वाला हो, और उस पर चलने वाला न हो, तो वह उस मनुष्य के समान है जो अपना स्‍वाभाविक मुंह दर्पण में देखता है।
James 1:24 इसलिये कि वह अपने आप को देख कर चला जाता, और तुरन्त भूल जाता है कि मैं कैसा था।
James 1:25 पर जो व्यक्ति स्‍वतंत्रता की सिद्ध व्यवस्था पर ध्यान करता रहता है, वह अपने काम में इसलिये आशीष पाएगा कि सुनकर नहीं, पर वैसा ही काम करता है।
James 1:26 यदि कोई अपने आप को भक्त समझे, और अपनी जीभ पर लगाम न दे, पर अपने हृदय को धोखा दे, तो उस की भक्ति व्यर्थ है।
James 1:27 हमारे परमेश्वर और पिता के निकट शुद्ध और निर्मल भक्ति यह है, कि अनाथों और विधवाओं के क्‍लेश में उन की सुधि लें, और अपने आप को संसार से निष्‍कलंक रखें।

एक साल में बाइबल:  
  • 1 राजा 3-5
  • लूका 20:1-26



शनिवार, 27 अप्रैल 2019

सहज



      मैं जैमैका में एक छोटे चर्च में खड़ा था, और मैंने अपने सबसे उत्तम तरीके से वहाँ उपस्थित लोगों से, उनकी भाषा में कहा, “वा गवान जैमैका?” प्रतिक्रिया मेरी आशा से बेहतर थी, और उपस्थित लोगों की मुस्कुराहटों और तालियों ने मेरा स्वागत किया। वास्तव में मैंने उन की भाषा में एक बहुत सामान्य अभिन्दन, “कैसे हो जैमैका?” ही बोला था, परन्तु उनके लिए इसका तात्पर्य था कि “मैं आपसे आपकी भाषा में बोलने का प्रयास करना चाहता हूँ।” निःसंदेह मैं इससे अधिक उनकी भाषा बोलना नहीं जानता था, परन्तु मेरे इस प्रयास से उन तक पहुँचने के लिए एक द्वार खुल गया था।

      परमेश्वर के वचन बाइबल में हम देखते हैं कि जब प्रेरित पौलुस अथेने के लोगों के सामने प्रभु यीशु मसीह के बारे में बताने के लिए खड़ा हुआ, तो उसने उन्हें अवगत करवा दिया कि वह उनकी संस्कृति को जानता था। पौलुस ने उनसे कहा कि उसने उनकी “अनजाने ईश्वर के लिए” बनाई गई वेदी को देखा था, और उसने उनके एक कवि का संदर्भ भी दिया। पौलुस द्वारा उन्हें सन्देश देने के बाद सब ने तो उसकी बात पर विश्वास नहीं किया, किन्तु कुछ ने कहा कि “यह बात हम तुझ से फिर कभी सुनेंगे” (प्रेरितों 17:32)।

      जब हम प्रभु यीशु तथा उनसे मिलने वाले उद्धार के संबंध में लोगों के साथ वार्तालाप करते हैं, तो पवित्रशास्त्र के पाठ हमें सिखाते हैं कि लोगों से संपर्क बनाने के लिए उनके समान भाषा सीखें (1 कुरिन्थियों 9:20-23 भी देखें)। जब हम औरों के जीवनों के हाल को जानेंगे, तो उनके साथ वह बाँटना अधिक सहज होगा जो परमेश्वर ने हमारे जीवनों में किया है। - डेव ब्रैनन


औरों को मसीह यीशु के विषय बताने से पहले 
उन्हें दिखाएँ कि आप उनकी कितनी परवाह करते हैं।

कि यदि तू अपने मुंह से यीशु को प्रभु जानकर अंगीकार करे और अपने मन से विश्वास करे, कि परमेश्वर ने उसे मरे हुओं में से जिलाया, तो तू निश्चय उद्धार पाएगा। क्योंकि धामिर्कता के लिये मन से विश्वास किया जाता है, और उद्धार के लिये मुंह से अंगीकार किया जाता है। - रोमियों 10:9-10

बाइबल पाठ: प्रेरितों 17:22-32
Acts 17:22 तब पौलुस ने अरियुपगुस के बीच में खड़ा हो कर कहा; हे अथेने के लोगों मैं देखता हूं, कि तुम हर बात में देवताओं के बड़े मानने वाले हो।
Acts 17:23 क्योंकि मैं फिरते हुए तुम्हारी पूजने की वस्‍तुओं को देख रहा था, तो एक ऐसी वेदी भी पाई, जिस पर लिखा था, कि अनजाने ईश्वर के लिये। सो जिसे तुम बिना जाने पूजते हो, मैं तुम्हें उसका समाचार सुनाता हूं।
Acts 17:24 जिस परमेश्वर ने पृथ्वी और उस की सब वस्‍तुओं को बनाया, वह स्वर्ग और पृथ्वी का स्‍वामी हो कर हाथ के बनाए हुए मन्‍दिरों में नहीं रहता।
Acts 17:25 न किसी वस्तु का प्रयोजन रखकर मनुष्यों के हाथों की सेवा लेता है, क्योंकि वह तो आप ही सब को जीवन और स्‍वास और सब कुछ देता है।
Acts 17:26 उसने एक ही मूल से मनुष्यों की सब जातियां सारी पृथ्वी पर रहने के लिये बनाईं हैं; और उन के ठहराए हुए समय, और निवास के सिवानों को इसलिये बान्‍धा है।
Acts 17:27 कि वे परमेश्वर को ढूंढ़ें, कदाचित उसे टटोल कर पा जाएं तौभी वह हम में से किसी से दूर नहीं!
Acts 17:28 क्योंकि हम उसी में जीवित रहते, और चलते-फिरते, और स्थिर रहते हैं; जैसे तुम्हारे कितने कवियों ने भी कहा है, कि हम तो उसी के वंश भी हैं।
Acts 17:29 सो परमेश्वर का वंश हो कर हमें यह समझना उचित नहीं, कि ईश्वरत्‍व, सोने या रूपे या पत्थर के समान है, जो मनुष्य की कारीगरी और कल्पना से गढ़े गए हों।
Acts 17:30 इसलिये परमेश्वर आज्ञानता के समयों में अनाकानी कर के, अब हर जगह सब मनुष्यों को मन फिराने की आज्ञा देता है।
Acts 17:31 क्योंकि उसने एक दिन ठहराया है, जिस में वह उस मनुष्य के द्वारा धर्म से जगत का न्याय करेगा, जिसे उसने ठहराया है और उसे मरे हुओं में से जिलाकर, यह बात सब पर प्रामाणित कर दी है।।
Acts 17:32 मरे हुओं के पुनरुत्थान की बात सुनकर कितने तो ठट्ठा करने लगे, और कितनों ने कहा, यह बात हम तुझ से फिर कभी सुनेंगे।

एक साल में बाइबल:  
  • 1 राजा 1-2
  • लूका 19:28-48



शुक्रवार, 26 अप्रैल 2019

स्पर्श



      कैनाडा की एक ट्रेन में यात्रा कर रहे लोगों ने एक तनावपूर्ण स्थिति का मार्मिक अन्त होते हुए देखा। एक जवान व्यक्ति ट्रेन में ऊँची आवाज़ में बोल रहा था, औरों को भयभीत तथा अशांत कर रहा था। एक 70 वर्षीय वृद्ध महिला ने अपने हाथ बढ़ाकर कोमलता से उसे स्पर्श किया, अपना हाथ उसे थामने के लिए दिया। उस महिला की दयालुता से वह जवान शान्त हो गया, आँखों में आँसुओं के साथ नीचे बैठ गया। उसने कहा, “दादी, धन्यवाद” फिर खड़ा हुआ और चुपचाप चला गया। बाद में उस महिला ने स्वीकार किया कि वह भी भयभीत हुई थी; उसने यह भी कहा, “मैं एक माँ भी हूँ, और मुझे लगा कि उसे किसी के स्पर्श की आवश्यकता है।” यद्यपि अकलमंदी उस जवान से दूरी बनाए रखने का कारण देती, उस महिला ने प्रेम का जोखिम उठाया।

      प्रभु यीशु भी ऐसी करुणा को समझते हैं। जब कोढ़ से भरा हुआ एक मजबूर और परेशान व्यक्ति उनके पास चँगा होने की माँग करता हुआ आया, तो प्रभु ने विचलित हो रही भीड़ के लोगों के समान प्रतिक्रया नहीं दी। न ही प्रभु यीशु ने धार्मिक अगुवों के समान असहाय होकर उस कोढ़ी को नगर में रोग को लेकर आने के लिए दुत्कारा (लैव्यवस्था 13:45-46)। वरन प्रभु यीशु ने हाथ बढ़ाकर उसे स्पर्श किया; ऐसे व्यक्ति को स्पर्श किया जिसे संभवतः वर्षों से किसी ने स्पर्श नहीं किया होगा, और उसे चँगा कर दिया।

      वह व्यक्ति भी धन्यवादी हुआ और आज हम भी धन्यादी हों कि प्रभु यीशु हमें वह प्रदान करने के लिए आए जो कोई भी व्यवस्था कभी नहीं दे सकती है – हमारे दुखी जीवनों में प्रभु परमेश्वर के हाथ और हृदय का स्पर्श। - मार्ट डीहॉन


कोई भी इतना अस्वच्छ या परेशान नहीं है कि, प्रभु यीशु द्वारा स्पर्श न किया जा सके।

परन्तु इसलिये कि तुम जानो कि मनुष्य के पुत्र को पृथ्वी पर पाप क्षमा करने का भी अधिकार है (उसने उस झोले के मारे हुए से कहा), मैं तुझ से कहता हूं, उठ और अपनी खाट उठा कर अपने घर चला जा। - लूका 5:24

बाइबल पाठ: लूका 5:12-16
Luke 5:12 जब वह किसी नगर में था, तो देखो, वहां कोढ़ से भरा हुआ एक मनुष्य था, और वह यीशु को देखकर मुंह के बल गिरा, और बिनती की; कि हे प्रभु यदि तू चाहे हो मुझे शुद्ध कर सकता है।
Luke 5:13 उसने हाथ बढ़ाकर उसे छूआ और कहा मैं चाहता हूं तू शुद्ध हो जा: और उसका कोढ़ तुरन्त जाता रहा।
Luke 5:14 तब उसने उसे चिताया, कि किसी से न कह, परन्तु जा के अपने आप को याजक को दिखा, और अपने शुद्ध होने के विषय में जो कुछ मूसा ने चढ़ावा ठहराया है उसे चढ़ा; कि उन पर गवाही हो।
Luke 5:15 परन्तु उस की चर्चा और भी फैलती गई, और भीड़ की भीड़ उस की सुनने के लिये और अपनी बिमारियों से चंगे होने के लिये इकट्ठी हुई।
Luke 5:16 परन्तु वह जंगलों में अलग जा कर प्रार्थना किया करता था।

एक साल में बाइबल:  
  • 2 शमूएल 23-24
  • लूका 19:1-27



गुरुवार, 25 अप्रैल 2019

हार न मानें



      बॉब फॉस्टर 50 वर्ष से भी अधिक से मेरे मित्र, सहायक और सलाहकार रहे हैं; उन्होंने मुझे लेकर कभी हार नहीं मानी है। उनकी, मेरे सबसे कठिन समयों में भी, कभी न बदलने वाली मित्रता और प्रोत्साहन ने मुझे अनेकों परिस्थितियों से सफलतापूर्वक पार होने में सहायता की है।

      बहुधा हम पाते हैं कि किसी जानकार व्यक्ति की आवश्यकता की परिस्थिति में हम उसकी सहायता करने के लिए हाथ बढ़ाने को तैयार हैं। परन्तु जब हम उसमें कोई सुधार होते नहीं देखते हैं, तो हमारा संकल्प ढीला पड़ सकता है और हम उससे निराश होकर हार मान सकते हैं। हमें लगता है कि हमने जिसे तुरंत परिवर्तन लाने वाली परिस्थिति समझा था, वह चलती रहने वाली प्रक्रिया बन गई है।

      परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पौलुस हमसे कहता है कि जीवन की ठोकरों और संघर्षों में एक दूसरे की सहायता करने के लिए धीरजवंत रहें। जब पौलुस ने लिखा, “तुम एक दूसरे के भार उठाओ, और इस प्रकार मसीह की व्यवस्था को पूरी करो” (गलातियों 6:2), तो वह हमारे इस परिश्रम को किसान के कार्य के समान जता रहा था जिसे फसल काटने के लिए परिश्रम, समय और धैर्य दिखाना होता है।

      हम कितने समय तक प्रार्थना करते रहें और उनकी सहायता में हाथ बढ़ाते रहें जिनसे हम प्रेम करते हैं? “हम भले काम करने में हियाव न छोड़े, क्योंकि यदि हम ढीले न हों, तो ठीक समय पर कटनी काटेंगे” (पद 9)। हमें सहायता में हाथ कितनी बार बढ़ाना चाहिए? “इसलिये जहां तक अवसर मिले हम सब के साथ भलाई करें; विशेष कर के विश्वासी भाइयों के साथ” (पद 10)।

      प्रभु आज हमें प्रोत्साहित करता है कि हम उसपर भरोसा बनाए रखें, औरों के प्रति विश्वासयोग्य बने रहें, प्रार्थना में लगे रहें, और कभी हार न मानें! – डेविड मैक्कैस्लैंड


प्रार्थना में हम उस परमेश्वर को पुकारते हैं “जो ऐसा सामर्थी है, कि हमारी बिनती और समझ से कहीं अधिक काम कर सकता है, उस सामर्थ्य के अनुसार जो हम में कार्य करता है” (इफिसियों 3:20)।

बाइबल पाठ: गलातियों 6:1-10
Galatians 6:1 हे भाइयों, यदि कोई मनुष्य किसी अपराध में पकड़ा भी जाए, तो तुम जो आत्मिक हो, नम्रता के साथ ऐसे को संभालो, और अपनी भी चौकसी रखो, कि तुम भी परीक्षा में न पड़ो।
Galatians 6:2 तुम एक दूसरे के भार उठाओ, और इस प्रकार मसीह की व्यवस्था को पूरी करो।
Galatians 6:3 क्योंकि यदि कोई कुछ न होने पर भी अपने आप को कुछ समझता है, तो अपने आप को धोखा देता है।
Galatians 6:4 पर हर एक अपने ही काम को जांच ले, और तब दूसरे के विषय में नहीं परन्तु अपने ही विषय में उसको घमण्‍ड करने का अवसर होगा।
Galatians 6:5 क्योंकि हर एक व्यक्ति अपना ही बोझ उठाएगा।
Galatians 6:6 जो वचन की शिक्षा पाता है, वह सब अच्छी वस्‍तुओं में सिखाने वाले को भागी करे।
Galatians 6:7 धोखा न खाओ, परमेश्वर ठट्ठों में नहीं उड़ाया जाता, क्योंकि मनुष्य जो कुछ बोता है, वही काटेगा।
Galatians 6:8 क्योंकि जो अपने शरीर के लिये बोता है, वह शरीर के द्वारा विनाश की कटनी काटेगा; और जो आत्मा के लिये बोता है, वह आत्मा के द्वारा अनन्त जीवन की कटनी काटेगा।
Galatians 6:9 हम भले काम करने में हियाव न छोड़े, क्योंकि यदि हम ढीले न हों, तो ठीक समय पर कटनी काटेंगे।
Galatians 6:10 इसलिये जहां तक अवसर मिले हम सब के साथ भलाई करें; विशेष कर के विश्वासी भाइयों के साथ।

एक साल में बाइबल:  
  • 2 शमूएल 21-22
  • लूका 18:24-43



बुधवार, 24 अप्रैल 2019

कृतज्ञ और धन्यवादी



      मेरी सहेली ग्लोरिया ने मुझे फोन किया, उसकी आवाज़ में उत्साह था। अपनी शारीरिक अक्षमताओं के कारण वह घर से बाहर केवल डॉक्टर को दिखाने के लिए ही निकलने पाती थी; इसलिए जो उसने मुझे बताया उसे लेकर उसके उत्साह और उत्तेजना को मैं समझ सकती थी। ग्लोरिया ने कहा, “मेरे बेटे ने मेरे कंप्यूटर के साथ नए स्पीकर्स जोड़ दिए हैं, इसलिए अब मैं चर्च की आराधना में सम्मिलित हो सकती हूँ!” अब वह उसके चर्च में हो रही आराधना सभा के सीधे प्रसारण को देख और सुन सकती थी। वह परमेश्वर की भलाई और उस “सर्वोत्तम उपहार जो मेरा बेटा मुझे दे सकता था” को लेकर बहुत उत्साहित थी, लोगों से उसके बारे में बातें करते नहीं थकती थी।

      ग्लोरिया मुझे एक धन्यवादी हृदय रखने के बारे में सिखाती है। अपनी अनेकों सीमाओं के होते हुए भी, वह छोटी-छोटी बातों के लिए – सूर्यास्त का दृश्य, परिवार के लोगों तथा पड़ौसियों और मित्रों आदि से मिलने वाली सहायता, शान्त होकर परमेश्वर के साथ बिताए जा सकने वाला समय, अपने स्वयँ के घर में रहने की सुविधा, आदि, वह सब के लिए सदा परमेश्वर की धन्यवादी बनी रहती है। उसने अपने जीवन भर अनुभव किया है कि परमेश्वर कैसे उसकी देखभाल करता है, उसकी आवश्यकताओं को पूरा करता है, और जो भी उससे मिलने आता है वह उससे परमेश्वर के विषय में बात करती है।

      हम परमेश्वर के वचन बाइबल में भजन 116 के लेखक की परिस्थतियों और कठिनाइयों को तो नहीं जानते हैं; बाइबल के कुछ  व्याख्याकर्ताओं का मानना है संभवतः वह बीमारी से होकर निकल रहा था, क्योंकि उसने लिखा, “मृत्यु की रस्सियाँ मेरे चारों ओर थीं” (पद 3)। परन्तु उन परिस्थतियों में भी वह परमेश्वर का कृतज्ञ और धन्यवादी था कि परमेश्वर ने उस पर करुणा और अनुग्रह दिखाया थाजब उसे “बलहीन किया गया” (पद 5-6)।

      जब हम बलहीन होते हैं, तो ऊपर देखना कठिन होता है। परन्तु यदि हम देखते हैं, तो हम पाते हैं कि परमेश्वर हमारे जीवनों में सब भली वस्तुओं का देवनहारा है – वे चाहे छोटी हों या बड़ी – और इसलिए हमें चाहिए कि हम हर बात के लिए हर परिस्थति में उसके प्रति कृतज्ञ और धन्यवादी बने रहें। - ऐनी सेटास


जब आप अपनी आशीषों को गिनने लगते हैं तो 
परमेश्वर का कृतज्ञ और धन्यवादी होना स्वाभाविक हो जाता है।

क्योंकि हर एक अच्छा वरदान और हर एक उत्तम दान ऊपर ही से है, और ज्योतियों के पिता की ओर से मिलता है, जिस में न तो कोई परिवर्तन हो सकता है, ओर न अदल बदल के कारण उस पर छाया पड़ती है। - याकूब 1:17

बाइबल पाठ: भजन 116:1-9
Psalms 116:1 मैं प्रेम रखता हूं, इसलिये कि यहोवा ने मेरे गिड़गिड़ाने को सुना है।
Psalms 116:2 उसने जो मेरी ओर कान लगाया है, इसलिये मैं जीवन भर उसको पुकारा करूंगा।
Psalms 116:3 मृत्यु की रस्सियां मेरे चारों ओर थीं; मैं अधोलोक की सकेती में पड़ा था; मुझे संकट और शोक भोगना पड़ा।
Psalms 116:4 तब मैं ने यहोवा से प्रार्थना की, कि हे यहोवा बिनती सुन कर मेरे प्राण को बचा ले!
Psalms 116:5 यहोवा अनुग्रहकारी और धर्मी है; और हमारा परमेश्वर दया करने वाला है।
Psalms 116:6 यहोवा भोलों की रक्षा करता है; जब मैं बलहीन हो गया था, उसने मेरा उद्धार किया।
Psalms 116:7 हे मेरे प्राण तू अपने विश्राम स्थान में लौट आ; क्योंकि यहोवा ने तेरा उपकार किया है।
Psalms 116:8 तू ने तो मेरे प्राण को मृत्यु से, मेरी आंख को आंसू बहाने से, और मेरे पांव को ठोकर खाने से बचाया है।
Psalms 116:9 मैं जीवित रहते हुए, अपने को यहोवा के साम्हने जान कर नित चलता रहूंगा।

एक साल में बाइबल:  
  • 2 शमूएल 19-20
  • लूका 18:1-23



मंगलवार, 23 अप्रैल 2019

बढ़ोतरी



      मेरा बेटा लगातार तीन वर्षों से प्यानो वादन में भाग ले रहा था। पिछले वर्ष मैंने उसे प्यानो बजाते हुए देखा। वह सीढियां चढ़कर मंच पर गया, संगीत की छपी हुई पुस्तिका को सही पन्ने पर खोलकर ठीक से लगाया, उसने दो गीत बजाए, और फिर आकर मेरे पास बैठ गया, और फुसफुसा कर बोला, “माँ, इस वर्ष मेरा प्यानो छोटा हो गया है।” मैंने कहा नहीं, प्यानो तो वही है जो तुमने पिछले वर्ष बजाया था, बस तुम थोड़े बड़े हो गए हो, तुम्हारा कद बढ़ गया है।

      शारीरिक बढ़ोतरी के समान, आत्मिक बढ़ोतरी भी समय के साथ-साथ, धीरे-धीरे होती है। यह एक होती रहने वाली प्रक्रिया है जिसमें हम मसीही विश्वासी प्रभु यीशु की अधिकाधिक समानता में ढलते चले जाते हैं। यह प्रक्रिया हमारे मन के नए हो जाने के कारण संभव होने पाती है “और इस संसार के सदृश न बनो; परन्तु तुम्हारी बुद्धि के नये हो जाने से तुम्हारा चाल-चलन भी बदलता जाए, जिस से तुम परमेश्वर की भली, और भावती, और सिद्ध इच्छा अनुभव से मालूम करते रहो” (रोमियों 12:2)।

      जब परमेश्वर पवित्र आत्मा हमारे अन्दर कार्य करता है, तो हमारे अन्दर पाप के प्रति संवेदनशीलता तथा बोध आता है। परमेश्वर को आदर देने और उसके अनुसार व्यवहार करने के लिए हम अपने अन्दर, अपने जीवन में परिवर्तन चाहते हैं, पाप से हटकर परमेश्वर की निकटता में आना चाहते हैं। अपने इन प्रयासों में हम कभी सफल होते हैं तो कभी असफल होकर हमें फिर से प्रयास करने पड़ते हैं। हो सकता है कि कभी-कभी हमें लगे कि कुछ नहीं बदल रहा है और हम निराश हों; हम असफलता को बढ़ोतरी न होने का प्रमाण समझने लगते हैं, जबकि वास्तव में वह बढ़ोतरी के मार्ग में अग्रसर होने का प्रमाण है।

      आत्मिक बढ़ोतरी के लिए हमें पवित्र आत्मा की सहायता और मार्गदर्शन, अपने अन्दर परिवर्तन लाने की हमारी अपनी इच्छा, और समय की आवश्यकता होती है। अपनी जीवन यात्रा में जब हम कभी-कभी रुक कर पीछे देखते हैं तो हमें आभास होता है कि हम आत्मिक जीवन में भी बढ़े हैं। परमेश्वर हमें सामर्थ्य दे कि हम उसके वचन बाइबल की बात “और मुझे इस बात का भरोसा है, कि जिसने तुम में अच्छा काम आरम्भ किया है, वही उसे यीशु मसीह के दिन तक पूरा करेगा” (फिलिप्पियों 1:6) पर अपना भरोसा बनाए रखें। - जेनिफर बेन्सन शुल्ट


आत्मिक बढ़ोतरी एक प्रक्रिया है।

परन्तु जब हम सब के उघाड़े चेहरे से प्रभु का प्रताप इस प्रकार प्रगट होता है, जिस प्रकार दर्पण में, तो प्रभु के द्वारा जो आत्मा है, हम उसी तेजस्‍वी रूप में अंश अंश कर के बदलते जाते हैं। - 2 कुरिन्थियों 3:18

बाइबल पाठ: फिलिप्पियों 1: 1-11
Philippians 1:1 मसीह यीशु के दास पौलुस और तीमुथियुस की ओर से सब पवित्र लोगों के नाम, जो मसीह यीशु में हो कर फिलिप्पी में रहते हैं, अध्यक्षों और सेवकों समेत।
Philippians 1:2 हमारे पिता परमेश्वर और प्रभु यीशु मसीह की ओर से तुम्हें अनुग्रह और शान्‍ति मिलती रहे।
Philippians 1:3 मैं जब जब तुम्हें स्मरण करता हूं, तब तब अपने परमेश्वर का धन्यवाद करता हूं।
Philippians 1:4 और जब कभी तुम सब के लिये बिनती करता हूं, तो सदा आनन्द के साथ बिनती करता हूं।
Philippians 1:5 इसलिये, कि तुम पहिले दिन से ले कर आज तक सुसमाचार के फैलाने में मेरे सहभागी रहे हो।
Philippians 1:6 और मुझे इस बात का भरोसा है, कि जिसने तुम में अच्छा काम आरम्भ किया है, वही उसे यीशु मसीह के दिन तक पूरा करेगा।
Philippians 1:7 उचित है, कि मैं तुम सब के लिये ऐसा ही विचार करूं क्योंकि तुम मेरे मन में आ बसे हो, और मेरी कैद में और सुसमाचार के लिये उत्तर और प्रमाण देने में तुम सब मेरे साथ अनुग्रह में सहभागी हो।
Philippians 1:8 इस में परमेश्वर मेरा गवाह है, कि मैं मसीह यीशु की सी प्रीति कर के तुम सब की लालसा करता हूं।
Philippians 1:9 और मैं यह प्रार्थना करता हूं, कि तुम्हारा प्रेम, ज्ञान और सब प्रकार के विवेक सहित और भी बढ़ता जाए।
Philippians 1:10 यहां तक कि तुम उत्तम से उत्तम बातों को प्रिय जानो, और मसीह के दिन तक सच्चे बने रहो; और ठोकर न खाओ।
Philippians 1:11 और उस धामिर्कता के फल से जो यीशु मसीह के द्वारा होते हैं, भरपूर होते जाओ जिस से परमेश्वर की महिमा और स्‍तुति होती रहे।

एक साल में बाइबल:  
  • 2 शमूएल 16-18
  • लूका 17:20-37



सोमवार, 22 अप्रैल 2019

सुनना



      मेरे पिता बहुत कम बोलते थे। वर्षों तक सेना में किए गए कार्य के कारण उनकी सुनने की क्षमता पर बुरा प्रभाव पड़ा था और वे सुनने के लिए दोनों कानों में मशीन लगाते थे। एक दोपहर, जब मैं और मेरी माँ, उनके दृष्टिकोण से, आवश्यकता से कुछ अधिक देर तक बोलते रहे, तो उन्होंने व्यंग्यात्मक भाव में अपने दोनों हाथ ऊपर को उठा कर कहा, “जब भी मुझे शान्ति और एकांत की आवश्यकता अनुभव होती है, मैं यह करता हूँ” और उन्होंने अपने दोनों कानों की मशीनों को बन्द किया, सर के पीछे हाथ रखे और धीरे से मुस्कुराते हुए अपनी आँखें बन्द कर लीं। हमारी हंसी निकल गई; जहाँ तक उनका प्रश्न था, उनके लिए वार्तालाप पूरा हो चुका था।

      उस दिन मेरे पिताजी की प्रतिक्रिया की तुलना में, हमारे स्वर्गीय परमेश्वर पिता की प्रतिक्रिया कितनी भिन्न होती है; वह सदा ही अपने बच्चों की सुनता है। इस बात की पुष्टि परमेश्वर के वचन बाइबल की सबसे छोटी प्रार्थनाओं में से एक के द्वारा होती है। एक दिन, फारस के राजा अर्तक्षत्र का सेवक नहेम्याह, अपने कार्य के समय राजा की उपस्थिति में प्रगट रूप से उदास था। जब राजा ने उससे उसकी उदासी का कारण पूछा तो नहेम्याह डर गया, किन्तु उसने स्वीकार किया कि उसकी उदासी उसके पुरखाओं के शहर यरूशलेम की बुरी स्थिति के कारण थी, जो अब बरबाद पड़ा हुआ था। नहेम्याह ने स्मरण किया, “राजा ने मुझ से पूछा, फिर तू क्या मांगता है? तब मैं ने स्वर्ग के परमेश्वर से प्रार्थना कर के, राजा से कहा; यदि राजा को भाए, और तू अपने दास से प्रसन्न हो, तो मुझे यहूदा और मेरे पुरखाओं की कबरों के नगर को भेज, ताकि मैं उसे बनाऊं” (नहेम्याह 2:4-5)।

      नहेम्याह की यह प्रार्थना कुछ ही पलों की थी, परन्तु परमेश्वर ने उसे सुना। उस प्रार्थना के करुणामय प्रत्युत्तर ने नहेम्याह द्वारा इससे पहले यरूशलेम के लिए की गई अनेकों प्रार्थनाओं के उत्तर को सक्रीय कर दिया; और उस एक पल में राजा अर्तक्षत्र ने यरूशलेम के पुनःनिर्माण के लिए नहेम्याह के निवेदन को स्वीकार किया और उसे अनुमति प्रदान कर दी।

      यह कितना सुखदायी और आश्वस्त करने वाला है कि हमारा परमेश्वर पिता हमारी सभी प्रार्थनाओं – छोटी से छोटी से लेकर लंबी से लंबी तक, को सुनता है और उनका उत्तर देता है। जेम्स बैंक्स


हमारा महान परमेश्वर पिता हमारी छोटी सी प्रार्थना भी ध्यान से सुनता है।

जितने यहोवा को पुकारते हैं, अर्थात जितने उसको सच्चाई से पुकारते हें; उन सभों के वह निकट रहता है। - भजन 145:18

बाइबल पाठ: नहेम्याह 2:1-9
Nehemiah 2:1 अर्तक्षत्र राजा के बीसवें वर्ष के नीसान नाम महीने में, जब उसके साम्हने दाखमधु था, तब मैं ने दाखमधु उठा कर राजा को दिया। इस से पहिले मैं उसके साम्हने कभी उदास न हुआ था।
Nehemiah 2:2 तब राजा ने मुझ से पूछा, तू तो रोगी नहीं है, फिर तेरा मुंह क्यों उतरा है? यह तो मन ही की उदासी होगी।
Nehemiah 2:3 तब मैं अत्यन्त डर गया। और राजा से कहा, राजा सदा जीवित रहे! जब वह नगर जिस में मेरे पुरखाओं की कबरें हैं, उजाड़ पड़ा है और उसके फाटक जले हुए हैं, तो मेरा मुंह क्यों न उतरे?
Nehemiah 2:4 राजा ने मुझ से पूछा, फिर तू क्या मांगता है? तब मैं ने स्वर्ग के परमेश्वर से प्रार्थना कर के, राजा से कहा;
Nehemiah 2:5 यदि राजा को भाए, और तू अपने दास से प्रसन्न हो, तो मुझे यहूदा और मेरे पुरखाओं की कबरों के नगर को भेज, ताकि मैं उसे बनाऊं।
Nehemiah 2:6 तब राजा ने जिसके पास रानी भी बैठी थी, मुझ से पूछा, तू कितने दिन तक यात्रा में रहेगा? और कब लैटेगा? सो राजा मुझे भेजने को प्रसन्न हुआ; और मैं ने उसके लिये एक समय नियुक्त किया।
Nehemiah 2:7 फिर मैं ने राजा से कहा, यदि राजा को भाए, तो महानद के पार के अधिपतियों के लिये इस आशय की चिट्ठियां मुझे दी जाएं कि जब तक मैं यहूदा को न पहुंचूं, तब तक वे मुझे अपने अपने देश में से हो कर जाने दें।
Nehemiah 2:8 और सरकारी जंगल के रख वाले आसाप के लिये भी इस आशय की चिट्ठी मुझे दी जाए ताकि वह मुझे भवन से लगे हुए राजगढ़ की कड़ियों के लिये, और शहरपनाह के, और उस घर के लिये, जिस में मैं जा कर रहूंगा, लकड़ी दे। मेरे परमेश्वर की कृपादृष्टि मुझ पर थी, इसलिये राजा ने यह बिनती ग्रहण किया।
Nehemiah 2:9 तब मैं ने महानद के पार के अधिपतियों के पास जा कर उन्हें राजा की चिट्ठियां दीं। राजा ने मेरे संग सेनापति और सवार भी भेजे थे।

एक साल में बाइबल:  
  • 2 शमूएल 14-15
  • लूका 17:1-19



रविवार, 21 अप्रैल 2019

समझ तथा चिन्ता



      जब एक व्यक्ति से पूछा गया कि क्या उसे लगता है कि आज के समाज की समस्या उदासीन रहना तथा जानकारी न रखना हो सकती है, तो उसने मुस्कुराते हुई उत्तर दिया, “न मैं यह जानता हूँ, और न ही इसकी परवाह करता हूँ।”

      मुझे लगता है कि आज अनेकों निराश लोग सँसार तथा औरों के प्रति ऐसा ही अनुभव करते हैं। परन्तु जब बात हमारे जीवन की परेशानियों और चिंताओं की है, तो एक है जो सब कुछ जानता है और हमारी चिंता भी करता है – प्रभु यीशु मसीह। परमेश्वर के वचन बाइबल में यशायाह 53 अध्याय प्रभु यीशु के दुख उठाने और मारे जाने की भविष्यवाणी है, जो उनके जन्म से लगभग 700 वर्ष पूर्व लिखी गई। इस भविष्यवाणी में हम देखते हैं कि प्रभु यीशु ने हमारे लिए क्या कुछ सहन किया। वे “वह सताया गया, तौभी वह सहता रहा और अपना मुंह न खोला; जिस प्रकार भेड़ वध होने के समय वा भेड़ी ऊन कतरने के समय चुपचाप शान्त रहती है, वैसे ही उसने भी अपना मुंह न खोला” (पद 7); “मेरे ही लोगों के अपराधों के कारण उस पर मार पड़ी” (पद 8); “तौभी यहोवा को यही भाया कि उसे कुचले; उसी ने उसको रोगी कर दिया; जब तू उसका प्राण दोषबलि करे, तब वह अपना वंश देखने पाएगा, वह बहुत दिन जीवित रहेगा; उसके हाथ से यहोवा की इच्छा पूरी हो जाएगी” (पद 10)।

      कलवारी के क्रूस पर प्रभु यीशु ने स्वेच्छा से हमारे पाप और दोष को अपने ऊपर उठा लिया, उनकी पूरी-पूरी कीमत चुका दी। जितना प्रभु यीशु मसीह ने हमारे लिए सहा, उतना कभी किसी ने नहीं सहा है। प्रभु जानते थे कि हमें पापों से बचाने के लिए उन्हें क्या कीमत चुकानी पड़ेगी, और उन्होंने सप्रेम हमारे लिए उस कीमत को चुकाया (पद 4-6)।

      प्रभु यीशु के मृतकों में से पुनरुत्थान के कारण, वे आज जीवित हैं, अपने लोगों के साथ सदा उपास्थिति हैं। हम चाहे कैसी भी, कोई भी परिस्थिति का सामना क्यों कर रहे हों, प्रभु उसे समझता है, हमारे लिए चिंता करता है, और हमें उस परिस्थिति से पार लेकर चलेगा। - डेविड मैक्कैस्लैंड


वह यहां नहीं, परन्तु जी उठा है; स्मरण करो; कि उसने गलील में रहते हुए तुम से कहा था। - लूका 24:6

बाइबल पाठ: यशायाह 53
Isaiah 53:1 जो समाचार हमें दिया गया, उसका किस ने विश्वास किया? और यहोवा का भुजबल किस पर प्रगट हुआ?
Isaiah 53:2 क्योंकि वह उसके साम्हने अंकुर के समान, और ऐसी जड़ के समान उगा जो निर्जल भूमि में फूट निकले; उसकी न तो कुछ सुन्दरता थी कि हम उसको देखते, और न उसका रूप ही हमें ऐसा दिखाई पड़ा कि हम उसको चाहते।
Isaiah 53:3 वह तुच्छ जाना जाता और मनुष्यों का त्यागा हुआ था; वह दु:खी पुरूष था, रोग से उसकी जान पहिचान थी; और लोग उस से मुख फेर लेते थे। वह तुच्छ जाना गया, और, हम ने उसका मूल्य न जाना।
Isaiah 53:4 निश्चय उसने हमारे रोगों को सह लिया और हमारे ही दु:खों को उठा लिया; तौभी हम ने उसे परमेश्वर का मारा-कूटा और दुर्दशा में पड़ा हुआ समझा।
Isaiah 53:5 परन्तु वह हमारे ही अपराधो के कारण घायल किया गया, वह हमारे अधर्म के कामों के हेतु कुचला गया; हमारी ही शान्ति के लिये उस पर ताड़ना पड़ी कि उसके कोड़े खाने से हम चंगे हो जाएं।
Isaiah 53:6 हम तो सब के सब भेड़ों के समान भटक गए थे; हम में से हर एक ने अपना अपना मार्ग लिया; और यहोवा ने हम सभों के अधर्म का बोझ उसी पर लाद दिया।
Isaiah 53:7 वह सताया गया, तौभी वह सहता रहा और अपना मुंह न खोला; जिस प्रकार भेड़ वध होने के समय वा भेड़ी ऊन कतरने के समय चुपचाप शान्त रहती है, वैसे ही उसने भी अपना मुंह न खोला।
Isaiah 53:8 अत्याचार कर के और दोष लगाकर वे उसे ले गए; उस समय के लोगों में से किस ने इस पर ध्यान दिया कि वह जीवतों के बीच में से उठा लिया गया? मेरे ही लोगों के अपराधों के कारण उस पर मार पड़ी।
Isaiah 53:9 और उसकी कब्र भी दुष्टों के संग ठहराई गई, और मृत्यु के समय वह धनवान का संगी हुआ, यद्यपि उसने किसी प्रकार का अपद्रव न किया था और उसके मुंह से कभी छल की बात नहीं निकली थी।
Isaiah 53:10 तौभी यहोवा को यही भाया कि उसे कुचले; उसी ने उसको रोगी कर दिया; जब तू उसका प्राण दोषबलि करे, तब वह अपना वंश देखने पाएगा, वह बहुत दिन जीवित रहेगा; उसके हाथ से यहोवा की इच्छा पूरी हो जाएगी।
Isaiah 53:11 वह अपने प्राणों का दु:ख उठा कर उसे देखेगा और तृप्त होगा; अपने ज्ञान के द्वारा मेरा धर्मी दास बहुतेरों को धर्मी ठहराएगा; और उनके अधर्म के कामों का बोझ आप उठा लेगा।
Isaiah 53:12 इस कारण मैं उसे महान लोगों के संग भाग दूंगा, और, वह सामर्थियों के संग लूट बांट लेगा; क्योंकि उसने अपना प्राण मृत्यु के लिये उण्डेल दिया, वह अपराधियों के संग गिना गया; तौभी उसने बहुतों के पाप का बोझ उठ लिया, और, अपराधियों के लिये बिनती करता है।

एक साल में बाइबल:  
  • 2 शमूएल 12-13
  • लूका 16



शनिवार, 20 अप्रैल 2019

प्रेम



      मेरे माता-पिता, जो अमेरिका में रहते हैं, हम मिलने के लिए इंग्लैण्ड आए हुए थे, जहाँ हम रहते हैं। जब वे वापस जाने लगे, तो उन्हें विदा करते समय मेरी बेटी रोते हुए कहने लगी, “मैं नहीं चाहती कि वे जाएँ।” हम उसे दिलासा देने लगे और समझाने लगे, और मेरे पति ने कहा, “प्रेम कीमत माँगता है!”

      प्रिय जनों से बिछुड़ने पर हमें दुःख होता है, परन्तु प्रभु यीशु मसीह ने बिछुड़ने के चरम दुःख को सहा जब उन्होंने चरम प्रेम की कीमत क्रूस पर चुकाई। प्रभु यीशु, जो दोनों, मनुष्य और परमेश्वर थे, उन्होंने परमेश्वर के वचन बाइबल में यशायाह भविष्यद्वक्ता द्वारा उनके विषय उनके जन्म से 700 वर्ष पूर्व की गई भविष्यवाणी को पूरा किया कि “क्योंकि उसने अपना प्राण मृत्यु के लिये उण्डेल दिया, वह अपराधियों के संग गिना गया; तौभी उसने बहुतों के पाप का बोझ उठ लिया” (यशायाह 53:12)। यशायाह की पुस्तक के इस अध्याय में हम उनके उस “दुखी पुरुष” होने के जिसके विषय वे भविष्यवाणियां की गई थीं, कई संकेत देखते हैं। जैसे कि, “वह हमारे ही अपराधों के कारण घायल किया गया;” और यह कि “उसके कोड़े खाने से हम चंगे हो जाएं” (यशायाह 53:5) – यह सब तब हुआ जब प्रभु को यातनाएं देने के बाद कलवारी के क्रूस पर कीलों के साथ ठोक दिया गया, और एक सैनिक ने उनके पंजर में भाला मारा (यूहन्ना 19:34)।

      हम मनुष्यों के प्रति अपने महान प्रेम के कारण प्रभु यीशु पृथ्वी पर आ गए, शिशु के रूप में जन्म लिया, और अपने उसी प्रेम के कारण उन्होंने धर्म के अगुवों, साधारण लोगों की भीड़, और सैनिकों, सभी से अपमान और दुर्व्यवहार सहन किया। प्रेम ही के कारण उन्होंने सब कुछ सहते हुए, हमारे स्थान पर स्वयँ हमारे पापों को अपने ऊपर लिया, दण्ड के स्थान पर खड़े हो गए और हमारे पापों की कीमत चुकाने के लिए अपने जीवन को सिद्ध बलिदान के रूप में चढ़ा दिया। आज हम उनके इस प्रेम के कारण ही जीवित हैं, परमेश्वर के जन हैं। - एमी बाउचर पाई


प्रभु यीशु वह सिद्ध बलिदान थे जिसने हमें जीवन देने के लिए स्वयं मृत्यु सहन की।

जिसने अपने आप को हमारे लिये दे दिया, कि हमें हर प्रकार के अधर्म से छुड़ा ले, और शुद्ध कर के अपने लिये एक ऐसी जाति बना ले जो भले भले कामों में सरगर्म हो। - तीतुस 2:14

बाइबल पाठ: यशायाह 53: 1-12
Isaiah 53:1 जो समाचार हमें दिया गया, उसका किस ने विश्वास किया? और यहोवा का भुजबल किस पर प्रगट हुआ?
Isaiah 53:2 क्योंकि वह उसके साम्हने अंकुर के समान, और ऐसी जड़ के समान उगा जो निर्जल भूमि में फूट निकले; उसकी न तो कुछ सुन्दरता थी कि हम उसको देखते, और न उसका रूप ही हमें ऐसा दिखाई पड़ा कि हम उसको चाहते।
Isaiah 53:3 वह तुच्छ जाना जाता और मनुष्यों का त्यागा हुआ था; वह दु:खी पुरूष था, रोग से उसकी जान पहिचान थी; और लोग उस से मुख फेर लेते थे। वह तुच्छ जाना गया, और, हम ने उसका मूल्य न जाना।
Isaiah 53:4 निश्चय उसने हमारे रोगों को सह लिया और हमारे ही दु:खों को उठा लिया; तौभी हम ने उसे परमेश्वर का मारा-कूटा और दुर्दशा में पड़ा हुआ समझा।
Isaiah 53:5 परन्तु वह हमारे ही अपराधों के कारण घायल किया गया, वह हमारे अधर्म के कामों के हेतु कुचला गया; हमारी ही शान्ति के लिये उस पर ताड़ना पड़ी कि उसके कोड़े खाने से हम चंगे हो जाएं।
Isaiah 53:6 हम तो सब के सब भेड़ों के समान भटक गए थे; हम में से हर एक ने अपना अपना मार्ग लिया; और यहोवा ने हम सभों के अधर्म का बोझ उसी पर लाद दिया।
Isaiah 53:7 वह सताया गया, तौभी वह सहता रहा और अपना मुंह न खोला; जिस प्रकार भेड़ वध होने के समय वा भेड़ी ऊन कतरने के समय चुपचाप शान्त रहती है, वैसे ही उसने भी अपना मुंह न खोला।
Isaiah 53:8 अत्याचार कर के और दोष लगाकर वे उसे ले गए; उस समय के लोगों में से किस ने इस पर ध्यान दिया कि वह जीवतों के बीच में से उठा लिया गया? मेरे ही लोगों के अपराधों के कारण उस पर मार पड़ी।
Isaiah 53:9 और उसकी कब्र भी दुष्टों के संग ठहराई गई, और मृत्यु के समय वह धनवान का संगी हुआ, यद्यपि उसने किसी प्रकार का अपद्रव न किया था और उसके मुंह से कभी छल की बात नहीं निकली थी।
Isaiah 53:10 तौभी यहोवा को यही भाया कि उसे कुचले; उसी ने उसको रोगी कर दिया; जब तू उसका प्राण दोषबलि करे, तब वह अपना वंश देखने पाएगा, वह बहुत दिन जीवित रहेगा; उसके हाथ से यहोवा की इच्छा पूरी हो जाएगी।
Isaiah 53:11 वह अपने प्राणों का दु:ख उठा कर उसे देखेगा और तृप्त होगा; अपने ज्ञान के द्वारा मेरा धर्मी दास बहुतेरों को धर्मी ठहराएगा; और उनके अधर्म के कामों का बोझ आप उठा लेगा।
Isaiah 53:12 इस कारण मैं उसे महान लोगों के संग भाग दूंगा, और, वह सामर्थियों के संग लूट बांट लेगा; क्योंकि उसने अपना प्राण मृत्यु के लिये उण्डेल दिया, वह अपराधियों के संग गिना गया; तौभी उसने बहुतों के पाप का बोझ उठ लिया, और, अपराधियों के लिये बिनती करता है।

एक साल में बाइबल:  
  • 2 शमूएल 9-11
  • लूका 15:11-32



शुक्रवार, 19 अप्रैल 2019

क्रूस



      मैं जिस चर्च में जाती हूँ, वहाँ वेदी के सामने एक बड़ा सा क्रूस टंगा हुआ है, जो उस क्रूस की स्मृति है जिसपर प्रभु यीशु मसीह को मारा गया था – वह स्थान जहाँ हम मनुष्यों के पाप परमेश्वर की पवित्रता के साथ संपर्क में आए थे। उस क्रूस पर परमेश्वर पिता ने अपने सिद्ध, निष्पाप, निष्कलंक पुत्र को, समस्त मानव जाति के प्रत्येक पाप, गलती, अपराध के लिए, जो उन्होंने कभी भी मन, ध्यान, विचार या कर्मों से, प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष, किए हों, बलिदान होने के लिए दे दिया। क्रूस पर प्रभु यीशु मसीह ने हमें उस मृत्यु से, जिसे हमें सहना था, बचाने के कार्य को पूरा किया, जिससे हम प्रभु यीशु में विश्वास द्वारा अनन्त जीवन प्राप्त कर सकें (रोमियों 6:23)।

      जब भी मैं क्रूस को देखती हूँ तो मुझे वह सब ध्यान आता है जो प्रभु यीशु ने हमारे लिए सहन किया। क्रूस पर चढ़ाए जाने से पहले, उसे कोड़े मारे गए, उस पर थूका गया। सैनिकों ने उसके सिर पर मारा और ठट्ठे में उसके सामने झुक कर उसका उपहास किया। उन्होंने रात भर उसे ताड़नाएं देने के बाद, जिस क्रूस पर उसे ठोका जाना था, उसे उठा कर क्रूसित होने के स्थान तक ले जाने को कहा, किन्तु रात भर की उस ताड़ना से उसका शरीर क्रूस उठाने के लिए बहुत दुर्बल हो चुका था, इसलिए मार्ग से एक अन्य व्यक्ति को पकड़ कर उससे जबरन यह बेगार करवाया गया। क्रूस पर चढ़ाने के स्थान, गुलगुता, पर आकर, उसके हाथ और पांवों में ठोकी गई कीलों से उसे क्रूस पर टांग दिया गया, और उन कीलों के सहारे लटके हुए उसके शरीर का वजन हर साँस खींचने और छोड़ने के साथ उसकी पीड़ा को बढ़ाता था। छः घण्टे क्रूस पर लटके हुए यह सब तथा उपस्थित लोगों के ताने और उपहास सहने के बाद प्रभु यीशु ने अपनी अंतिम साँस ली (मरकुस 15:37)। वहाँ उपस्थित सूबेदार ने यह सब देखने के बाद कहा, “सचमुच, यह मनुष्य परमेश्वर का पुत्र था!” (पद 39)।

      अगली बार जब भी आप क्रूस के चिन्ह को देखें, तो थोड़ा रुक कर विचार करें कि आप के लिए उसका क्या अर्थ है, क्या महत्व है? परमेश्वर के पुत्र ने उस क्रूस पर घोर पीड़ा और मृत्यु को सहा जिससे आपके लिए अनन्त जीवन का चिर-स्थाई आनन्द संभव हो सके। - जेनिफर बेन्सन शुल्ट


मसीह का क्रूस हमारे पाप की सर्वाधिक बुरी दशा, 
तथा परमेश्वर के प्रेम की सर्वोत्तम स्थिति को दिखाता है।

क्योंकि क्रूस की कथा नाश होने वालों के निकट मूर्खता है, परन्तु हम उद्धार पाने वालों के निकट परमेश्वर की सामर्थ है। - 1 कुरिन्थियों 1:18

बाइबल पाठ: मरकुस 15:16-21,29-39
Mark 15:16 और सिपाही उसे किले के भीतर आंगन में ले गए जो प्रीटोरियुन कहलाता है, और सारी पलटन को बुला लाए।
Mark 15:17 और उन्होंने उसे बैंजनी वस्‍त्र पहिनाया और कांटों का मुकुट गूंथकर उसके सिर पर रखा।
Mark 15:18 और यह कहकर उसे नमस्‍कार करने लगे, कि हे यहूदियों के राजा, नमस्‍कार!
Mark 15:19 और वे उसके सिर पर सरकण्‍डे मारते, और उस पर थूकते, और घुटने टेककर उसे प्रणाम करते रहे।
Mark 15:20 और जब वे उसका ठट्ठा कर चुके, तो उस पर से बैंजनी वस्‍त्र उतारकर उसी के कपड़े पहिनाए; और तब उसे क्रूस पर चढ़ाने के लिये बाहर ले गए।
Mark 15:21 और सिकन्‍दर और रूफुस का पिता, शमौन नाम एक कुरेनी मनुष्य, जो गांव से आ रहा था उधर से निकला; उन्होंने उसे बेगार में पकड़ा, कि उसका क्रूस उठा ले चले।
Mark 15:29 और मार्ग में जाने वाले सिर हिला हिलाकर और यह कहकर उस की निन्‍दा करते थे, कि वाह! मन्दिर के ढाने वाले, और तीन दिन में बनाने वाले! क्रूस पर से उतर कर अपने आप को बचा ले।
Mark 15:30 इसी रीति से महायाजक भी, शास्‍त्रियों समेत,
Mark 15:31 आपस में ठट्ठे से कहते थे; कि इस ने औरों को बचाया, और अपने को नहीं बचा सकता।
Mark 15:32 इस्राएल का राजा मसीह अब क्रूस पर से उतर आए कि हम देखकर विश्वास करें: और जो उसके साथ क्रूसों पर चढ़ाए गए थे, वे भी उस की निन्‍दा करते थे।
Mark 15:33 और दोपहर होने पर, सारे देश में अन्धियारा छा गया; और तीसरे पहर तक रहा।
Mark 15:34 तीसरे पहर यीशु ने बड़े शब्द से पुकार कर कहा, इलोई, इलोई, लमा शबक्तनी जिस का अर्थ यह है; हे मेरे परमेश्वर, हे मेरे परमेश्वर, तू ने मुझे क्यों छोड़ दिया?
Mark 15:35 जो पास खड़े थे, उन में से कितनों ने यह सुनकर कहा: देखो यह एलिय्याह को पुकारता है।
Mark 15:36 और एक ने दौड़कर इस्‍पंज को सिरके में डुबोया, और सरकण्‍डे पर रखकर उसे चुसाया; और कहा, ठहर जाओ, देखें, कि एलिय्याह उसे उतारने कि लिये आता है कि नहीं।
Mark 15:37 तब यीशु ने बड़े शब्द से चिल्लाकर प्राण छोड़ दिये।
Mark 15:38 और मन्दिर का पर्दा ऊपर से नीचे तक फटकर दो टुकड़े हो गया।
Mark 15:39 जो सूबेदार उसके सम्हने खड़ा था, जब उसे यूं चिल्लाकर प्राण छोड़ते हुए देखा, तो उसने कहा, सचमुच यह मनुष्य, परमेश्वर का पुत्र था।

एक साल में बाइबल:  
  • 2 शमूएल 6-8
  • लूका 15:1-10



गुरुवार, 18 अप्रैल 2019

सहन



      यदि कोई मित्र साथ हो तो क्या पीड़ा अधिक सहनीय हो जाती है? वर्जीनिया विश्विद्यालय के कुछ शोधकर्ताओं ने इस प्रश्न का उत्तर पाने के लिए एक रोचक अध्ययन किया। वे देखना चाहते थे कि पीड़ा होने की आशंका के प्रति मस्तिष्क में क्या प्रतिक्रियाएं होती हैं, और क्या ये प्रतिक्रियाएं भिन्न होती हैं यदि व्यक्ति अकेला हो, या किसी अजनबी का हाथ थामे हुए हो या, फिर किसी घनिष्ट मित्र ने हाथ थामा हुआ हो।

      शोधकर्ताओं ने दर्जनों बार इस प्रयोग को किया, और उनके परिणाम सदा समान ही थे। जब व्यक्ति अकेला हो या किसी अजनबी का हाथ थामे हुए हो तो मस्तिष्क का वह भाग जो खतरे से आशंकित होता है वह सक्रीय हो गया। किन्तु जब हाथ किसी घनिष्ट मित्र ने थामा हुआ था तो मस्तिष्क भी शान्त था। मित्र के निकट होने के आभास ने पीड़ा को अधिक सहनीय बना दिया था।

      परमेश्वर के वचन बाइबल में हम देखते हैं कि प्रभु यीशु के क्रूस पर चढ़ाए जाने से पहले के समय में, जब वे गतसमनी के बाग़ में प्रार्थना कर रहे थे, तब प्रभु को भी अपने मित्रों से दिलासा की अपेक्षा थी। वे जानते थे कि थोड़े ही समय में उन्हें धोखे, गिरफतारी और मृत्यु का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने अपने निकट के मित्रों से कहा कि “मेरा जी बहुत उदास है” (मत्ती 26:38), और वे लोग उनके साथ रहें और प्रार्थना करें; परन्तु पतरस, याकूब और यूहन्ना सोते ही रहे।

      प्रभु यीशु ने गतसमनी के बाग़ में उस पीड़ा को अकेले ही सहन किया, उनके साथ, उनका हाथ थामने वाला, उन्हें दिलासा देने वाला, कोई नहीं था। परन्तु क्योंकि उन्होंने उस पीड़ा को सहन कर लिया, आज हम निश्चिन्त हो सकते हैं कि हमारा प्रभु परमेश्वर हमें कभी नहीं छोड़ेगा या त्यागेगा (इब्रानियों 13:5)। प्रभु यीशु ने हमारे पापों की पीड़ा को अपने ऊपर लेकर सहन कर लिया जिससे हमें कभी भी परमेश्वर के प्रेम से अलग होने की पीड़ा को सहना नहीं पड़े (रोमियों 8:39)। आज हम मसीही विश्वासियों के साथ उसकी सदा बनी रहने वाली उपस्थिति, जीवन की हर परिस्थिति की हर पीड़ा को सहन करना हमारे लिए सहज करती रहती है। - एमी पीटरसन


परमेश्वर के प्रेम के कारण हम कभी अकेले नहीं होते हैं।

तुम्हारा स्‍वभाव लोभरिहत हो, और जो तुम्हारे पास है, उसी पर संतोष किया करो; क्योंकि उसने आप ही कहा है, कि मैं तुझे कभी न छोडूंगा, और न कभी तुझे त्यागूंगा। - इब्रानियों 13:5

बाइबल पाठ: मत्ती 26:36-46
Matthew 26:36 तब यीशु ने अपने चेलों के साथ गतसमनी नाम एक स्थान में आया और अपने चेलों से कहने लगा कि यहीं बैठे रहना, जब तक कि मैं वहां जा कर प्रार्थना करूं।
Matthew 26:37 और वह पतरस और जब्‍दी के दोनों पुत्रों को साथ ले गया, और उदास और व्याकुल होने लगा।
Matthew 26:38 तब उसने उन से कहा; मेरा जी बहुत उदास है, यहां तक कि मेरे प्राण निकला चाहते: तुम यहीं ठहरो, और मेरे साथ जागते रहो।
Matthew 26:39 फिर वह थोड़ा और आगे बढ़कर मुंह के बल गिरा, और यह प्रार्थना करने लगा, कि हे मेरे पिता, यदि हो सके, तो यह कटोरा मुझ से टल जाए; तौभी जैसा मैं चाहता हूं वैसा नहीं, परन्तु जैसा तू चाहता है वैसा ही हो।
Matthew 26:40 फिर चेलों के पास आकर उन्हें सोते पाया, और पतरस से कहा; क्या तुम मेरे साथ एक घड़ी भी न जाग सके?
Matthew 26:41 जागते रहो, और प्रार्थना करते रहो, कि तुम परीक्षा में न पड़ो: आत्मा तो तैयार है, परन्तु शरीर दुर्बल है।
Matthew 26:42 फिर उसने दूसरी बार जा कर यह प्रार्थना की; कि हे मेरे पिता, यदि यह मेरे पीए बिना नहीं हट सकता तो तेरी इच्छा पूरी हो।
Matthew 26:43 तब उसने आकर उन्हें फिर सोते पाया, क्योंकि उन की आंखें नींद से भरी थीं।
Matthew 26:44 और उन्हें छोड़कर फिर चला गया, और वही बात फिर कहकर, तीसरी बार प्रार्थना की।
Matthew 26:45 तब उसने चेलों के पास आकर उन से कहा; अब सोते रहो, और विश्राम करो: देखो, घड़ी आ पहुंची है, और मनुष्य का पुत्र पापियों के हाथ पकड़वाया जाता है।
Matthew 26:46 उठो, चलें; देखो, मेरा पकड़वाने वाला निकट आ पहुंचा है।

एक साल में बाइबल:  
  • 2 शमूएल 3-5
  • लूका 14:25-35



बुधवार, 17 अप्रैल 2019

स्वीकार


      प्रभु यीशु के क्रूस पर चढ़ाए जाने से कुछ समय पहले मरियम नामक एक स्त्री ने बहुत कीमती इत्र प्रभु की पाँव पर उंडेला, और फिर उसके पांवों को अपने बालों से पोंछा (यूहन्ना 12:3), जो उस समय के सामाजिक व्यवहार के अनुसार एक बहुत साहसिक कार्य था। ने केवल मरियम ने अपने जीवन भर की बचत को प्रभु के पांवों पर डाल दिया परन्तु सब के सामने अपने बालों को खोल कर उसने अपनी मर्यादा भी दांव पर लगा दी। उस समय के सामाजिक व्यवहार में, संभ्रांत स्त्रियाँ अपने बाल कभी भी सार्वजनिक स्थितियों में नहीं खोलती थीं। परन्तु सच्ची आराधना में यह नहीं देखा जाता है कि लोग हमारे बारे में क्या सोचेंगे या कहेंगे (2 शमूएल 6:21-22)। प्रभु यीशु की आराधना करने के लिए मरियम अशिष्ट या अनैतिक कहलाने के लिए भी तैयार थी।

      हम में से कुछ चर्च जाते समय अपने आप को बिलकुल सिद्ध दिखाने के प्रयास करते हैं जिससे लोग हमारे बारे में भला सोचें। हम अपने आप को सावधानी-पूर्वक संवार कर लोगों के सामने आते हैं। परन्तु परमेश्वर की उपस्थिति वह स्थान है जहाँ हम अपनी वास्तविकता में आ सकते हैं, जहाँ हमें अपनी कोई गलती या कमजोरी छुपाने की, सिद्ध होने का ढोंग रचने की आवश्यकता नहीं है।

      जब हम उपासना के लिए चर्च में परमेश्वर के सामने आते हैं तो वह यह दिखाने के लिए नहीं होता है कि हम में, या हमारे साथ, कुछ भी गलत नहीं है। वरन इसलिए होता है कि हम परमेश्वर के सामने अपनी गलतियों और कमजोरियों को स्वीकार कर सकें और उससे उनके लिए सामर्थ्य तथा मार्गदर्शन पाएँ; और परमेश्वर तथा अन्य लोगों के साथ सब कुछ ठीक-ठाक कर के जा सकें। जब हमारा सबसे बड़ा भय, हमारी गलती या कमजोरी का प्रगट हो जाना हो, तो हमारा सबसे बड़ा पाप उस गलती या कमजोरी को छुपाए रखना होता है। परमेश्वर के सामने स्वीकार कर लेने से हम और सामर्थी, और भले हो जाते हैं। - जूली ऐकैरमैन लिंक


जब हम परमेश्वर के साथ सही होते हैं, तब हमारा जीवन भी सही होता है।

यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह हमारे पापों को क्षमा करने, और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है। - 1 यूहन्ना 1:9

बाइबल पाठ: यूहन्ना 12:1-8
John 12:1 फिर यीशु फसह से छ: दिन पहिले बैतनिय्याह में आया, जहां लाज़र था: जिसे यीशु ने मरे हुओं में से जिलाया था।
John 12:2 वहां उन्होंने उसके लिये भोजन तैयार किया, और मारथा सेवा कर रही थी, और लाजर उन में से एक था, जो उसके साथ भोजन करने के लिये बैठे थे।
John 12:3 तब मरियम ने जटामासी का आध सेर बहुमूल्य इत्र ले कर यीशु के पावों पर डाला, और अपने बालों से उसके पांव पोंछे, और इत्र की सुगंध से घर सुगन्‍धित हो गया।
John 12:4 परन्तु उसके चेलों में से यहूदा इस्करियोती नाम एक चेला जो उसे पकड़वाने पर था, कहने लगा।
John 12:5 यह इत्र तीन सौ दीनार में बेचकर कंगालों को क्यों न दिया गया?
John 12:6 उसने यह बात इसलिये न कही, कि उसे कंगालों की चिन्‍ता थी, परन्तु इसलिये कि वह चोर था और उसके पास उन की थैली रहती थी, और उस में जो कुछ डाला जाता था, वह निकाल लेता था।
John 12:7 यीशु ने कहा, उसे मेरे गाड़े जाने के दिन के लिये रहने दे।
John 12:8 क्योंकि कंगाल तो तुम्हारे साथ सदा रहते हैं, परन्तु मैं तुम्हारे साथ सदा न रहूंगा।

एक साल में बाइबल:  
  • 2 शमूएल 1-2
  • लूका 14:1-24


मंगलवार, 16 अप्रैल 2019

देना



      एक पास्टर ने चर्च के लोगों के सामने बेचैन करने वाली चुनौती रखते हुए कहा, “कैसा हो यदि हम अपने कोट उतार कर उन्हें दे दें जिनके पास नहीं हैं, और जिन्हें आवश्यकता है?” यह कहकर उसने अपना कोट उतारा और चर्च के आगे रख दिया। उसके बाद कई औरों ने भी उसके उदाहरण का अनुसरण किया और अपने कोट उतारकर सामने रख दिए। यह सर्दियों में हुआ, इसलिए कुछ के लिए उस दिन घर वापस जाना कुछ कम आरामदायक था, परन्तु कुछ अन्य के लिए सर्दी के उस मौसम में कुछ गर्माहट आ गई।

      परमेश्वर के वचन बाइबल में हम पाते हैं कि यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले ने उसके पास उसका सन्देश सुनने और बपतिस्मा लेने के लिए आने वालों को एक कड़ी चेतावनी दी। उसने कहा, “हे सांप के बच्चों... मन फिराव के योग्य फल लाओ” (लूका 3:7-8)। उन लोगों ने चकित होकर उससे पूछा “हम क्या करें?” इस पर जब, “लोगों ने उस से पूछा, तो हम क्या करें? उसने उन्हें उतर दिया, कि जिस के पास दो कुरते हों वह उसके साथ जिस के पास नहीं हैं बांट दे और जिस के पास भोजन हो, वह भी ऐसा ही करे” (पद 10-11)। सच्चा पश्चाताप उदार हृदय उत्पन्न करता है: “मैं ने तुम्हें सब कुछ कर के दिखाया, कि इस रीति से परिश्रम करते हुए निर्बलों को सम्भालना, और प्रभु यीशु की बातें स्मरण रखना अवश्य है, कि उसने आप ही कहा है; कि लेने से देना धन्य है” (प्रेरितों 20:35)।

      क्योंकि वचन में लिखा है कि “हर एक जन जैसा मन में ठाने वैसा ही दान करे न कुढ़ कुढ़ के, और न दबाव से, क्योंकि परमेश्वर हर्ष से देने वाले से प्रेम रखता है” (2 कुरिन्थियों 9:7); इसलिए देना कभी भी दोष-भावना या किसी दबाव से प्रेरित होकर नहीं होना चाहिए। जब हम मुक्त भाव से और उदारता से देते हैं, तो हम पाएँगे कि वास्तव में लेने से देना धन्य है। - टिम गुस्ताफसन


उदार प्राणी हृष्ट पुष्ट हो जाता है, और जो औरों की खेती सींचता है, उसकी भी सींची जाएगी। - नीतिवचन 11:25

बाइबल पाठ: लूका 3:7-14
Luke 3:7 जो भीड़ की भीड़ उस से बपतिस्मा लेने को निकल कर आती थी, उन से वह कहता था; हे सांप के बच्चों, तुम्हें किस ने जता दिया, कि आने वाले क्रोध से भागो।
Luke 3:8 सो मन फिराव के योग्य फल लाओ: और अपने अपने मन में यह न सोचो, कि हमारा पिता इब्राहीम है; क्योंकि मैं तुम से कहता हूं, कि परमेश्वर इन पत्थरों से इब्राहीम के लिये सन्तान उत्पन्न कर सकता है।
Luke 3:9 और अब ही कुल्हाड़ा पेड़ों की जड़ पर धरा है, इसलिये जो जो पेड़ अच्छा फल नहीं लाता, वह काटा और आग में झोंका जाता है।
Luke 3:10 और लोगों ने उस से पूछा, तो हम क्या करें?
Luke 3:11 उसने उन्हें उतर दिया, कि जिस के पास दो कुरते हों वह उसके साथ जिस के पास नहीं हैं बांट दे और जिस के पास भोजन हो, वह भी ऐसा ही करे।
Luke 3:12 और महसूल लेने वाले भी बपतिस्मा लेने आए, और उस से पूछा, कि हे गुरू, हम क्या करें?
Luke 3:13 उसने उन से कहा, जो तुम्हारे लिये ठहराया गया है, उस से अधिक न लेना।
Luke 3:14 और सिपाहियों ने भी उस से यह पूछा, हम क्या करें? उसने उन से कहा, किसी पर उपद्रव न करना, और न झूठा दोष लगाना, और अपनी मजदूरी पर सन्‍तोष करना।

एक साल में बाइबल:  
  • 1 शमूएल 30-31
  • लूका 13:23-35