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मंगलवार, 9 जून 2015

आराधना


   मैं एक मसीही हाई स्कूल के छात्रों की गायन मण्डली के साथ भ्रमण पर था; उन छात्रों को मसीही गीतों द्वारा चर्च सभाओं में आराधना की अगुवाई करते देखना उत्तम अनुभव था, परन्तु उससे भी उत्तम अनुभव था उन्हें चर्च के बाहर अपने मसीही विश्वास को कार्यकारी रूप में प्रकट करते हुए देखना। एक दिन उस छात्र समूह की जानकारी में आया कि एक महिला के पास अपनी कार में पेट्रोल डलवाने लायक पैसे नहीं थे; उस महिला के लिए कुछ करने के लिए परमेश्वर से अगुवाई अनुभव करते हुए, उन्होंने तुरंत उस महिला के लिए दान एकत्रित किया और उसे कई बार कार की टंकी भरने लायक धन एकत्रित करके दे दिया।

   चर्च के अन्दर परमेश्वर की आराधना करना, उसकी स्तुति के गीत गाना एक बात है; किंतु चर्च के बाहर व्यावाहरिक जीवन में प्रतिदिन अपनी आज्ञाकारिता के द्वारा परमेश्वर को महिमा देना, उसे आराधना प्रस्तुत करना बिलकुल अलग बात है। उन छात्रों का उदाहरण हमें अपने जीवनों के बारे में सोचने पर बाध्य करता है। क्या अपने प्रभु परमेश्वर के लिए हमारा प्रेम और हमारी आराधना केवल चर्च के अन्दर तक ही सीमित है, या हम अपने दैनिक जीवन में उसकी आज्ञाकारिता के द्वारा उसकी महिमा देते हैं, उसकी सेवकाई को पूरा करने के प्रयास करते रहते हैं?

   परमेश्वर के वचन बाइबल में 1 शमूएल 15 में हम देखते हैं कि राजा शाऊल को परमेश्वर ने कुछ कार्य करने के लिए कहा, परन्तु इस कार्य को लेकर जब हम उसकी आज्ञाकारिता के बारे में देखते हैं तो हम पाते हैं कि उसने उपासना (बलिदान चढ़ाने) को अपनी अनाज्ञाकारिता छुपाने का बहाना बनाने का प्रयास किया, जो परमेश्वर को कतई स्वीकार्य नहीं था; तब परमेश्वर की ओर से शाऊल से कहा गया, "शमूएल ने कहा, क्या यहोवा होमबलियों, और मेलबलियों से उतना प्रसन्न होता है, जितना कि अपनी बात के माने जाने से प्रसन्न होता है? सुन मानना तो बलि चढ़ाने और कान लगाना मेढ़ों की चर्बी से उत्तम है" (1 शमूएल 15:22)।

   चर्च में आराधना तथा स्तुति गीत गाने में सम्मिलित होना अच्छी बात है, परन्तु उससे भी अच्छा है परमेश्वर की आज्ञाकारिता में जीवन व्यतीत करना। प्रमेश्वर से प्रार्थना करें कि वह आपको ऐसे अवसर प्रदान करे जहाँ आप उसके प्रति अपनी आज्ञाकारिता से उसे वह आराधना अर्पित कर सकें जैसी वह चाहता है तथा जिसके वह योग्य है। - डेव ब्रैनन


हमारी आराधना समय अथवा स्थान से जुड़ी हुई नहीं वरन सदा ही हमारे जीवनों से जुड़ी और मन की भावना होनी चाहिए।

यहोवा के नाम की ऐसी महिमा करो जो उसके योग्य है; भेंट ले कर उसके आंगनों में आओ! - भजन 96:8

बाइबल पाठ: 1 शमूएल 15:13-23
1 Samuel 15:13 तब शमूएल शाऊल के पास गया, और शाऊल ने उस से कहा, तुझे यहोवा की ओर से आशीष मिले; मैं ने यहोवा की आज्ञा पूरी की है। 
1 Samuel 15:14 शमूएल ने कहा, फिर भेड़-बकरियों का यह मिमियाना, और गय-बैलों का यह बंबाना जो मुझे सुनाई देता है, यह क्यों हो रहा है? 
1 Samuel 15:15 शाऊल ने कहा, वे तो अमालेकियों के यहां से आए हैं; अर्थात प्रजा के लोगों ने अच्छी से अच्छी भेड़-बकरियों और गाय-बैलों को तेरे परमेश्वर यहोवा के लिये बलि करने को छोड़ दिया है; और बाकी सब को तो हम ने सत्यानाश कर दिया है। 
1 Samuel 15:16 तब शमूएल ने शाऊल से कहा, ठहर जा! और जो बात यहोवा ने आज रात को मुझ से कही है वह मैं तुझ को बताता हूं। उसने कहा, कह दे। 
1 Samuel 15:17 शमूएल ने कहा, जब तू अपनी दृष्टि में छोटा था, तब क्या तू इस्राएली गोत्रियों का प्रधान न हो गया, और क्या यहोवा ने इस्राएल पर राज्य करने को तेरा अभिषेक नहीं किया? 
1 Samuel 15:18 और यहोवा ने तुझे यात्रा करने की आज्ञा दी, और कहा, जा कर उन पापी अमालेकियों को सत्यानाश कर, और जब तक वे मिट न जाएं, तब तक उन से लड़ता रह। 
1 Samuel 15:19 फिर तू ने किस लिये यहोवा की वह बात टालकर लूट पर टूट के वह काम किया जो यहोवा की दृष्टि में बुरा है? 
1 Samuel 15:20 शाऊल ने शमूएल से कहा, नि:सन्देह मैं ने यहोवा की बात मानकर जिधर यहोवा ने मुझे भेजा उधर चला, और अमालेकियों को सत्यानाश किया है। 
1 Samuel 15:21 परन्तु प्रजा के लोग लूट में से भेड़-बकरियों, और गाय-बैलों, अर्थात सत्यानाश होने की उत्तम उत्तम वस्तुओं को गिलगाल में तेरे परमेश्वर यहोवा के लिये बलि चढ़ाने को ले आए हैं। 
1 Samuel 15:22 शमूएल ने कहा, क्या यहोवा होमबलियों, और मेलबलियों से उतना प्रसन्न होता है, जितना कि अपनी बात के माने जाने से प्रसन्न होता है? सुन मानना तो बलि चढ़ाने और कान लगाना मेढ़ों की चर्बी से उत्तम है। 
1 Samuel 15:23 देख बलवा करना और भावी कहने वालों से पूछना एक ही समान पाप है, और हठ करना मूरतों और गृहदेवताओं की पूजा के तुल्य है। तू ने जो यहोवा की बात को तुच्छ जाना, इसलिये उसने तुझे राजा होने के लिये तुच्छ जाना है।

एक साल में बाइबल: 
  • 2 इतिहास 32-33
  • यूहन्ना 18:19-40