जब एक ब्रिटिश विद्वान ने सँसार भर के सभी
धर्मों को एक साथ मिलकर विश्वव्यापी एकता के लिए कार्य करने का आवाहन किया तो सभी
ने उसे बहुत सराहा। उस विद्वान ने इस बात की ओर ध्यान खींचा कि सभी धर्म ‘सुनहरे
नियम’ में विश्वास रखते हैं, और सुझाव दिया कि “हमारे समय का मुख्य उद्देश्य है एक
वैश्विक समाज का निर्माण करना जहाँ सभी विचारधाराओं के लोग एक साथ शान्ति और
मेल-मिलाप के साथ रह सकें।”
प्रभु यीशु ने भी उस ‘सुनहरे नियम’ को सिखाया:
“इस कारण जो कुछ तुम चाहते हो, कि मनुष्य तुम्हारे
साथ करें, तुम भी उन के साथ वैसा ही करो; क्योंकि व्यवस्था और भविष्यद्वक्तओं की शिक्षा यही है”
(मत्ती 7:12)। अपने इसी उपदेश में प्रभु ने यह भी कहा, “...अपने बैरियों से
प्रेम रखो और अपने सताने वालों के लिये प्रार्थना करो” (मत्ती 5:44)। इन मौलिक
आज्ञाओं का पालन करने के द्वारा निश्चय ही शान्ति और मेल-मिलाप को बहुत बढ़ावा
मिलगा। सुनहरे नियम को कहने के तुरंत बाद प्रभु ने सचेत रहने की बात भी कही। प्रभु
ने अपने अनुयायियों को लुभावनी और आकर्षक बातों के बनाने वालों के प्रति सचेत करते
हुए कहा, “झूठे भविष्यद्वक्ताओं से सावधान रहो, जो भेड़ों के भेष में तुम्हारे पास आते हैं, परन्तु
अन्दर से फाड़ने वाले भेड़िए हैं” (मत्ती 7:15)।
औरों के प्रति आदर रखना, तथा सत्य की पहचान
करने की क्षमता रखना साथ-साथ ही चलते हैं। यदि हमारे पास सत्य है, तो हमारे पास
लोगों को सिखाने योग्य सन्देश भी होगा। परन्तु प्रभु परमेश्वर ने प्रत्येक व्यक्ति
को यह स्वतंत्रता दी है कि वह स्वेच्छा से प्रभु को चुने या उसका तिरिस्कार कर दे।
हम मसीही विश्वासियों की यह जिम्मेदारी है कि हम प्रभु के विषय सत्य को प्रेम, और
नम्रता के साथ दूसरों के सामने प्रस्तुत कर दें और फिर सत्य के उस सन्देश के विषय
दूसरों द्वारा किए गए निर्णय का आदर करें, जैसे परमेश्वर उन लोगों के प्रति करता
है।
औरों का आदर करने से ही हम उनके आदर के
पात्र बन सकेंगे। और यह आदर तथा विश्वास पाना, प्रभु यीशु के सन्देश, “...मार्ग
और सच्चाई और जीवन मैं ही हूं; बिना मेरे द्वारा
कोई पिता के पास नहीं पहुंच सकता” (यूहन्ना
14:6) को लोगों तक पहुँचाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। - टिम गुस्ताफासन
सत्य
से प्रेम करें; लोगों से भी प्रेम करें।
क्योंकि
ऐसे लोग झूठे प्रेरित,
और छल से काम करने वाले, और मसीह के प्रेरितों
का रूप धरने वाले हैं। और यह कुछ अचम्भे की बात नहीं क्योंकि शैतान आप भी
ज्योतिमर्य स्वर्गदूत का रूप धारण करता है। सो यदि उसके सेवक भी धर्म के सेवकों का
सा रूप धरें, तो कुछ बड़ी बात नहीं परन्तु उन का अन्त उन के
कामों के अनुसार होगा। - 2 कुरिन्थियों 11:13-15
बाइबल
पाठ: मत्ती 7:12-23
Matthew 7:12 इस कारण जो कुछ तुम चाहते हो, कि मनुष्य
तुम्हारे साथ करें, तुम भी उन के साथ वैसा ही करो; क्योंकि व्यवस्था और भविष्यद्वक्तओं की शिक्षा यही है।
Matthew 7:13 सकेत फाटक से प्रवेश करो, क्योंकि चौड़ा है वह
फाटक और चाकल है वह मार्ग जो विनाश को पहुंचाता है; और
बहुतेरे हैं जो उस से प्रवेश करते हैं।
Matthew 7:14 क्योंकि सकेत है वह फाटक और सकरा है वह मार्ग जो जीवन को पहुंचाता है,
और थोड़े हैं जो उसे पाते हैं।
Matthew 7:15 झूठे भविष्यद्वक्ताओं से सावधान रहो, जो भेड़ों
के भेष में तुम्हारे पास आते हैं, परन्तु अन्दर से फाड़ने
वाले भेड़िए हैं।
Matthew 7:16 उन के फलों से तुम उन्हें पहचान लोग क्या झाडिय़ों से अंगूर, वा ऊंटकटारों से अंजीर तोड़ते हैं?
Matthew 7:17 इसी प्रकार हर एक अच्छा पेड़ अच्छा फल लाता है और निकम्मा पेड़ बुरा
फल लाता है।
Matthew 7:18 अच्छा पेड़ बुरा फल नहीं ला सकता, और न निकम्मा
पेड़ अच्छा फल ला सकता है।
Matthew 7:19 जो जो पेड़ अच्छा फल नहीं लाता, वह काटा और आग
में डाला जाता है।
Matthew 7:20 सो उन के फलों से तुम उन्हें पहचान लोगे।
Matthew 7:21 जो मुझ से, हे प्रभु, हे
प्रभु कहता है, उन में से हर एक स्वर्ग के राज्य में प्रवेश
न करेगा, परन्तु वही जो मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर
चलता है।
Matthew 7:22 उस दिन बहुतेरे मुझ से कहेंगे; हे प्रभु,
हे प्रभु, क्या हम ने तेरे नाम से
भविष्यद्वाणी नहीं की, और तेरे नाम से दुष्टात्माओं को नहीं
निकाला, और तेरे नाम से बहुत अचम्भे के काम नहीं किए?
Matthew 7:23 तब मैं उन से खुलकर कह दूंगा कि मैं ने तुम को कभी नहीं जाना,
हे कुकर्म करने वालों, मेरे पास से चले जाओ।
एक साल में
बाइबल:
- अय्यूब 36-37
- प्रेरितों 15:22-41