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रविवार, 22 अप्रैल 2018

सुनता और जानता



   निकट समय तक, ग्रामीण आयरलैंड के अनेकों कस्बों में घरों के नंबर अथवा पिन कोड का प्रयोग नहीं होता था। इसलिए यदि एक ही नाम के एक से अधिक व्यक्ति उस कस्बे में रहते थे, तो डाक सबसे पहले उस नाम के वहाँ सबसे अधिक समय से रहने वाले व्यक्ति को दी जाती थी, जो उसे पढ़कर यदि उससे संबंधित नहीं होती थी तो अपने से बाद वाले को दे देता था, और इसी प्रकार वह पढ़कर यदि अवश्यक होता था तो अपने से बाद वाले को देता था, जब तक वह पत्र सबके द्वारा पढ़ा जाता हुआ, सही व्यक्ति तक नहीं पहुँच जाता था। डाक वितरण में होने वाली इस गडबड़ी को कम करने के लिए हाल ही में आयरलैंड की सरकार ने पिन कोड प्रणाली को लागू किया है, जिससे डाक वितरण की गड़बड़ियां कम से कम हो सकें।

   हम जब परमेश्वर से प्रार्थना करते हैं, तो कभी-कभी हमें लगता है कि हम अपने आप को परमेश्वर के सम्मुख उतनी भली प्रकार से व्यक्त नहीं कर पा रहे हैं, जैसा हम व्यक्त करना चाहते हैं; हमें इस प्रक्रिया में सहायता की आवश्यकता है। परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पौलुस ने रोम के मसीही विश्वासियों को लिखी अपनी पत्री में कहा कि परमेश्वर का पवित्र आत्मा जो हमारे अन्दर बस्ता है, ऐसे में हमारी सहायता करता है, और वह जो हम व्यक्त नहीं कर पा रहे हैं, हमारे कराहने को, परमेश्वर पिता के सामने प्रस्तुत करता है: “इसी रीति से आत्मा भी हमारी दुर्बलता में सहायता करता है, क्योंकि हम नहीं जानते, कि प्रार्थना किस रीति से करना चाहिए; परन्तु आत्मा आप ही ऐसी आहें भर भरकर जो बयान से बाहर है, हमारे लिये बिनती करता है” (पद 26)। पवित्र आत्मा सदा परमेश्वर पिता की इच्छा के अनुरूप ही प्रार्थना करता है, सदा परमेश्वर की इच्छा से अवगत रहता है, और परमेश्वर पिता पवित्र आत्मा की मनसा जानता है।

   इसलिए हमें प्रोत्साहित रहना चाहिए कि हम जब भी प्रार्थना करते हैं, परमेश्वर हमारी सुनता है, और हमारी प्रत्येक आवश्यकता और मन की गहराई की बात को भली भांति जानता भी है। - मारविन विलियम्स


जब आप अपनी प्रार्थना को शब्दों में व्यक्त नहीं पर पाते हैं, 
परमेश्वर तब भी आपकी प्रार्थनाएं सुनता है।

यहोवा ने मेरा गिड़गिड़ाना सुना है; यहोवा मेरी प्रार्थना को ग्रहण भी करेगा। - भजन 6:9

बाइबल पाठ: रोमियों 8:19-27
Romans 8:19 क्योंकि सृष्टि बड़ी आशाभरी दृष्टि से परमेश्वर के पुत्रों के प्रगट होने की बाट जोह रही है।
Romans 8:20 क्योंकि सृष्टि अपनी इच्छा से नहीं पर आधीन करने वाले की ओर से व्यर्थता के आधीन इस आशा से की गई।
Romans 8:21 कि सृष्टि भी आप ही विनाश के दासत्व से छुटकारा पाकर, परमेश्वर की सन्तानों की महिमा की स्वतंत्रता प्राप्त करेगी।
Romans 8:22 क्योंकि हम जानते हैं, कि सारी सृष्टि अब तक मिलकर कराहती और पीड़ाओं में पड़ी तड़पती है।
Romans 8:23 और केवल वही नहीं पर हम भी जिन के पास आत्मा का पहिला फल है, आप ही अपने में कराहते हैं; और लेपालक होने की, अर्थात अपनी देह के छुटकारे की बाट जोहते हैं।
Romans 8:24 आशा के द्वारा तो हमारा उद्धार हुआ है परन्तु जिस वस्तु की आशा की जाती है जब वह देखने में आए, तो फिर आशा कहां रही? क्योंकि जिस वस्तु को कोई देख रहा है उस की आशा क्या करेगा?
Romans 8:25 परन्तु जिस वस्तु को हम नहीं देखते, यदि उस की आशा रखते हैं, तो धीरज से उस की बाट जोहते भी हैं॥
Romans 8:26 इसी रीति से आत्मा भी हमारी दुर्बलता में सहायता करता है, क्योंकि हम नहीं जानते, कि प्रार्थना किस रीति से करना चाहिए; परन्तु आत्मा आप ही ऐसी आहें भर भरकर जो बयान से बाहर है, हमारे लिये बिनती करता है।
Romans 8:27 और मनों का जांचने वाला जानता है, कि आत्मा की मनसा क्या है क्योंकि वह पवित्र लोगों के लिये परमेश्वर की इच्छा के अनुसार बिनती करता है।


एक साल में बाइबल: 
  • 2 शमूएल 12-13
  • लूका 16