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बुधवार, 25 अक्टूबर 2017

आचरण और व्यवहार


   हमारे चर्च द्वारा आयोजित की गई सुसमाचार प्रचार सेवा का अन्त एक सभा के साथ हुआ, जिसमें सारे शहर से लोगों को आमंत्रित किया गया था। जिस दल ने इस सेवा-कार्य को आयोजित तथा संचालित किया था, जब उसके सदस्य, जिनमें हमारे चर्च के युवाओं की संगीत मण्डली, परामर्शदाता, और अगुवे सम्मिलित थे, मंच पर आए तो हम सबने बड़े उत्साह से तालियाँ बजाकर उनका स्वागत किया, और उनके द्वारा किए गए कठिन परिश्रम के लिए उनकी सराहना की। लेकिन एक व्यक्ति था जो पूरे कार्यक्रम में लगभग अप्रत्यक्ष रहा; वह था उस दल का अगुवा। कुछ दिन के बाद जब मेरी उससे मुलाकात हुई, तो मैंने उसे धन्यवाद एवं उसके कार्य के लिए उसे शुभकामनाएँ देते हुए कहा, हमने कार्यक्रम के दौरान आपको बहुत कम देखा। उसने कहा, "मैं पृष्ठभूमि में रहकर कार्य करता हूँ"; उसे अपने लिए सम्मान और पहचान अर्जित करने में कोई रुचि नहीं थी। उसका उद्देश्य था कि जिन लोगों ने परिश्रम किया था, उनकी सराहना हो।

   उसका यह शान्त और निःस्वार्थ व्यवहार मेरे लिए मसीही आचरण पर एक पूरा प्रचार सन्देश था। इसने मुझे स्मरण करवाया कि प्रभु परमेश्वर की सेवकाई में, मुझे अपने लिए सम्मान या पहचान अर्जित करने के प्रयास नहीं करने चाहिएं। चाहे मुझे प्रगट रूप में सम्मान अथ्वा सराहना मिले या नहीं, मैं अपने प्रभु परमेश्वर को सदा आदर दे सकता हूँ, उसके कार्य को पूरा कर सकता हूँ। जब मैं अपने व्यवहार और आचरण में प्रभु यीशु मसीह को सर्वोपरि रखूँगा, तो यह मेरे अन्दर ईर्ष्या और दूसरों के साथ व्यर्थ होड़ में पड़ने की भावना को पनपने से दबा कर रखेगा।

   मेरे जीवन की हर बात में मेरा प्रयास होना चाहिए कि, मुझमें और मेरे द्वारा बस प्रभु यीशु "बढ़े और मैं घटूँ" (यूहन्ना 3:30), क्योंकि वही "सर्वोत्तम है" (यूहन्ना 3:31)। जब यह बात हमारे आचरण और व्यवहार को निर्देषित करेगी, तब ही हम परमेश्वर के कार्य को बढ़ता और उन्नत होता हुए देखेंगे। हम जो भी करते हैं, उसमें और उससे हमें नहीं, प्रभु यीशु मसीह को महिमा मिलनी चाहिए। - लॉरेंस दरमानी


महिमा का स्थान सदा प्रभु यीशु मसीह के लिए है।

इस कारण हमारे मन की उमंग यह है, कि चाहे साथ रहें, चाहे अलग रहें पर हम उसे[प्रभु यीशु मसीह को] भाते रहें। - 2 कुरिन्थियों 5:9

बाइबल पाठ: यूहन्ना 3:22-31
John 3:22 इस के बाद यीशु और उसके चेले यहूदिया देश में आए; और वह वहां उन के साथ रहकर बपतिस्मा देने लगा। 
John 3:23 और यूहन्ना भी शालेम् के निकट ऐनोन में बपतिस्मा देता था। क्योंकि वहां बहुत जल था और लोग आकर बपतिस्मा लेते थे। 
John 3:24 क्योंकि यूहन्ना उस समय तक जेलखाने में नहीं डाला गया था। 
John 3:25 वहां यूहन्ना के चेलों का किसी यहूदी के साथ शुद्धि के विषय में वाद-विवाद हुआ। 
John 3:26 और उन्होंने यूहन्ना के पास आकर उस से कहा, हे रब्बी, जो व्यक्ति यरदन के पार तेरे साथ था, और जिस की तू ने गवाही दी है देख, वह बपतिस्मा देता है, और सब उसके पास आते हैं। 
John 3:27 यूहन्ना ने उत्तर दिया, जब तक मनुष्य को स्वर्ग से न दिया जाए तब तक वह कुछ नहीं पा सकता। 
John 3:28 तुम तो आप ही मेरे गवाह हो, कि मैं ने कहा, मैं मसीह नहीं, परन्तु उसके आगे भेजा गया हूं। 
John 3:29 जिस की दुलहिन है, वही दूल्हा है: परन्तु दूल्हे का मित्र जो खड़ा हुआ उस की सुनता है, दूल्हे के शब्द से बहुत हर्षित होता है; अब मेरा यह हर्ष पूरा हुआ है। 
John 3:30 अवश्य है कि वह बढ़े और मैं घटूं।
John 3:31 जो ऊपर से आता है, वह सर्वोत्तम है, जो पृथ्वी से आता है वह पृथ्वी का है; और पृथ्वी की ही बातें कहता है: जो स्वर्ग से आता है, वह सब के ऊपर है।

एक साल में बाइबल: 
  • यिर्मयाह 6-8
  • 1 तिमुथियुस 5