अपने भ्रमण के समय में, मैंने भारत में कोढ़ के रोगियों के साथ प्रभु परमेश्वर की उपासना करी है। कोढ़ की चिकित्सा से संबंधित अधिकांशतः प्रगति उन मसीही विश्वासी मिशनरी चिकित्सकों के प्रयासों के कारण हुई है जो इस रोग के रोगियों के मध्य रहने, उनका इलाज, और अपने लिए इस भयावह रोग से ग्रसित होने का जोखिम उठाने के लिए तैयार थे। इसी कारण अधिकांश कुष्ठ रोग आश्रमों में सक्रीय और जीवन्त मसीही मण्डलियाँ देखी जा सकती हैं। म्याँमार में मैं एड्स रोग से अनाथ हुए बच्चों के आश्रम में गया, जहाँ मसीही विश्वासी स्वयंसेवक उन बच्चों को वह पारिवारिक स्नेह और दुलार देने में प्रयत्नरत हैं जो उन बच्चों से इस रोग ने चुरा लिया है। जिन सबसे अधिक उत्साह से भरी चर्च अराधना सभाओं में मैं सम्मिलित हुआ हूँ वह थीं दक्षिण अमेरिका के देश चिली और पेरू में, वहाँ के राजकीय जेलों के अन्दर, कैदियों के साथ करी गई परमेश्वर की आराधना सभाएं। मैंने देखा है कि संसार के तिरिस्कृत, उपेक्षित, कुचले हुए, नीच समझे जाने वाले लोगों में परमेश्वर का राज्य जड़ पकड़ता, बढ़ता और मज़बूत होता है।
यदि हम मसीही विश्वासी अपने लिए परमेश्वर की बुलाहट को गंभीरता से लेते हैं, तो हमें संसार को संसार से उलट दृष्टिकोण से देखना होगा, जैसा हमारे प्रभु परमेश्वर ने किया है। बजाए इसके कि हम उन लोगों को खोजें जो संसाधन-संपन्न हैं, जो हमारे लिए कुछ उपकार और भलाई कर सकते हैं, हमें उन लोगों को खोजना होगा जिनके पास संसाधन या संपन्नता नहीं है; उन लोगों के पास जाना होगा जो बलवान नहीं वरन कमज़ोर हैं; जो स्वस्थ नहीं वरन रोगी हैं - शारीरिक और आत्मिक दोनों ही रोगों के द्वारा। क्या परमेश्वर ऐसे ही लोगों को चुनकर अपने निकट नहीं बुलाता है? क्या प्रभु यीशु ने दो टूक नहीं कहा है: "उसने यह सुनकर उन से कहा, वैद्य भले चंगों को नहीं परन्तु बीमारों को अवश्य है। सो तुम जा कर इस का अर्थ सीख लो, कि मैं बलिदान नहीं परन्तु दया चाहता हूं; क्योंकि मैं धर्मियों को नहीं परन्तु पापियों को बुलाने आया हूं" (मत्ती 9:12-13)।
परमेश्वर के दृष्टिकोण को समझने और अपनाने के लिए, प्रभु यीशु के समान, संसार को संसार के समान नहीं वरन संसार से उलट दृष्टिकोण से देखें। - फिलिप यैन्सी
क्या आप प्रभु यीशु की नज़रों से ज़रूरतमन्द संसार को देखने पाते हैं?
हे भाइयो, अपने बुलाए जाने को तो सोचो, कि न शरीर के अनुसार बहुत ज्ञानवान, और न बहुत सामर्थी, और न बहुत कुलीन बुलाए गए। परन्तु परमेश्वर ने जगत के मूर्खों को चुन लिया है, कि ज्ञान वालों को लज्ज़ित करे; और परमेश्वर ने जगत के निर्बलों को चुन लिया है, कि बलवानों को लज्ज़ित करे। - 1 कुरिन्थियों 1:26-27
बाइबल पाठ: मत्ती 8:1-4; 9:9-13
Matthew 8:1 जब वह उस पहाड़ से उतरा, तो एक बड़ी भीड़ उसके पीछे हो ली।
Matthew 8:2 और देखो, एक कोढ़ी ने पास आकर उसे प्रणाम किया और कहा; कि हे प्रभु यदि तू चाहे, तो मुझे शुद्ध कर सकता है।
Matthew 8:3 यीशु ने हाथ बढ़ाकर उसे छूआ, और कहा, मैं चाहता हूं, तू शुद्ध हो जा और वह तुरन्त कोढ़ से शुद्ध हो गया।
Matthew 8:4 यीशु ने उस से कहा; देख, किसी से न कहना परन्तु जा कर अपने आप को याजक को दिखला और जो चढ़ावा मूसा ने ठहराया है उसे चढ़ा, ताकि उन के लिये गवाही हो।
Matthew 9:9 वहां से आगे बढ़कर यीशु ने मत्ती नाम एक मनुष्य को महसूल की चौकी पर बैठे देखा, और उस से कहा, मेरे पीछे हो ले। वह उठ कर उसके पीछे हो लिया।
Matthew 9:10 और जब वह घर में भोजन करने के लिये बैठा तो बहुतेरे महसूल लेने वाले और पापी आकर यीशु और उसके चेलों के साथ खाने बैठे।
Matthew 9:11 यह देखकर फरीसियों ने उसके चेलों से कहा; तुम्हारा गुरू महसूल लेने वालों और पापियों के साथ क्यों खाता है?
Matthew 9:12 उसने यह सुनकर उन से कहा, वैद्य भले चंगों को नहीं परन्तु बीमारों को अवश्य है।
Matthew 9:13 सो तुम जा कर इस का अर्थ सीख लो, कि मैं बलिदान नहीं परन्तु दया चाहता हूं; क्योंकि मैं धर्मियों को नहीं परन्तु पापियों को बुलाने आया हूं।
एक साल में बाइबल:
- यशायाह 45-46
- 1 थिस्सलुनीकियों 3